उदयपुर। विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा 1987 से पूरे विश्व में 31 मई को विश्व तम्बाकू दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य आमजन को तम्बाकू के दुष्प्रभावो से अवगत कराते हुए तम्बाकू छोड़ने के प्रति प्रोत्साहित करना है।
पशुपालन प्रशिक्षण संस्थान उदयपुर मे तम्बाकू का जहर जिंदगी पर कहर विषयक पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। प्रमुख वक्ता के रूप में संस्थान के उपनिदेशक डॉ. सुरेन्द्र छंगाणी ने कहा कि हमारा यह भी दायित्व है कि हम किसानों को तम्बाकू की खेती से होने वाले नुकसान की जानकारी उपलब्ध कराते हुए पौष्टिक खेती करने के प्रति प्रेरित करे। तम्बाकू की खेती से पर्यावरण को नुकसान हो ही रहा है साथ में मानव स्वस्थ के प्रति भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। भारत मे अनुमानित 26.7 करोड़ लोग तम्बाकू का प्रयोग कर रहे है। जीवन के लिए भोजन की आवश्यकता है तम्बाकू की नहीं। डॉ. छंगाणी ने कहा कि दृढ़ इच्छा भक्ति एवं संयमित जीवन से इसे आसानी से छोड़ा जा सकता है। आज के युवा प्रारम्भ में मौज मस्ती एवं शौक के कारण सीगरेट का सेवन करते है। किन्तु बाद में यही शौक इनकी आदत बन जाती है। अतः आज युवाओं को तम्बाकू से दूरी बनानी चाहिए। डॉ. पदमा मील ने इस अवसर पर कहा कि तम्बाकू का सेवन करने वाले व्यक्ति की कार्य करने की क्षमता मे शिथिलता आ जाती है एवं वह अवसाद का शिकार हो जाता है। सीगरेट पीने वाला व्यक्ति स्वयं को ही नही अपितु अपने आस पास, परिवार एवं समाज में सभी को भी नुकसान पहुंचाता है। संस्थान के डॉ. ओमप्रकाश साहू ने कहा कि भारत मे प्रतिवर्ष तम्बाकू से होने वाले रोग के उपचार के लिए लाखों करोड़ों रूपये खर्च हो जाते हैं इस अवसर पर पशुपालन डिप्लोमा के सभी विद्यार्थियों ने संकल्प लिया कि वे तम्बाकू एवं तम्बाकू के उत्पाद से दूर रहेंगे एवं दूसरो को भी दूरी बनाये रखने के लिए प्रेरित करेंगे।