उदयपुर। नगर माहेश्वरी युवा संगठन उदयपुर की ओर से महेश नवमी महोत्सव - 2025 के कार्यक्रमों को लेकर शनिवार रात नगर निगम के सुखाड़िया रंगमंच पर आयोजित लाफ्टर नाइट में हंसी और ठहाको से सभागार गूंज उठा। कहीं थोड़ी-थोड़ी देर में तालियां बजी तो कहीं सीटी भी, कहीं किसी कॉमेडी में राजनेताओं की टांग खिंचाई की गई तो , कहीं मोदी की तारीफ भी सुनाई दी। कहानी - किस्सों ओर छोटे छोटे व्यंग्य में पुरुषों को पत्नी पीड़ित बताया गया तो महिलाओं ने भी जमकर तालियों ओर हंसी से समर्थन दिया, वही जब महिलाओं के मेकअप और नखरो पर कवियों ने व्यंग बाण छोड़े तो पुरुषों ने भी जोरदार तालियां बजाकर बदला ले लिया ।
संगठन के उपाध्यक्ष अभिषेक चैचाणी ने बताया कि सुखाड़ीया रंगमंच में शनिवार देर रात तक आयोजित हुए लाफ्टर नाइट में देश के जाने-माने कवियों ने अपनी रचनाओं से सभी को हंसने और लोटपोट होने पर मजबूर कर दिया। कार्यक्रम की शुरुआत में अतिथि रूप में समाज के निर्मला - गोपाल काबरा, रेखा - रमेश असावा, प्रेमलता - दिलीप मूंदड़ा, विमला - अशोक बाहेती, जतन- नारायण असावा एवं पुष्पा - लादूलाल मूंदड़ा समेत संगठन के पदाधिकारियों ने कवियों का स्वागत किया।
सह सचिव शिवम मूंदड़ा ने बताया कि लाफ्टर नाईट में सबसे अंत की पारी को खेलते हुए काफी इंतजार के बाद लाफ्टर किंग ओर हथेलियों को मसल - मसल कर कॉमेडी करने वाले सुरेश अलबेला ने आते ही सभी को अपने हास्य का मुरीद कर डाला। सबसे पहले अलबेला ने अपना तकिया कलाम डायलॉग मारा की " मैं ऐसी कोई बात नही करूँगा की किसी के दिमाग पर लोड पड़े,, फिर उन्होंने बातों बातों में सुनाया की कोरोना के बाद एक साथ इतने जिंदा आदमी पहली बार देख रहा हु, हास्य को यहां से शुरू कर अलबेला ने कहा कि सेल्फी लेते वक़्त लड़कियों का ओर बीड़ी पीते वक़्त गांव के डोकरो का मुंह एक जैसा हो जाता है,,ऐसे ही छोटे - छोटे चुटकुलों ओर कुछ राजनीति को लपेटते हुए हास्य की बौछार की तो कुछ कुछ मिनट में सभागार में तालियां भी गूंजी ओर ठहाके भी।
लाफ्टर नाईट का संचालन कर रहे उदयपुर के राष्ट्रीय कवि राव अजात शत्रु ने कवियों की रचनाओं ओर हास्य पर खूब वाह वाह की तो साथ ही खुद की कई रचनाये सुनाकर दाद बटोरी। अजात शत्रु ने " खाऊंगा ना खाने दूंगा ना कहीं दबाने दूंगा, भाइयों और बहनों सुना कर मार डालूंगा, वनवास भेज दूंगा राम के विरोधियों को, राम जी का मंदिर बना के मार डालूंगा",,, सुना कर हास्य ओर राजनीति के साथ धर्म का अद्भुत मिश्रण प्रस्तुत किया।
मंच पर जैसे ही अपनी भारी कद काठी के साथ कवि शम्भू शिखर ने माइक सम्भाला श्रोताओ की हंसी छूट गयी , शम्भू शिखर ने एक किस्सा सुनाते हुए हास्य बिखेरा , कहा कि होटल से बाहर चाय की दुकान पर एक बिस्किट कुत्ते को दिया तो उसने 1 मिनट में 12 बार उसको पलटा, चाय वाले को मैने कहा ये कैसा बिस्किट तो उसने बताया पतंजलि का है, तभी तो अलोम- विलोम,सूर्य नमस्कार, कपाल भाती सब करने लगा,,
कानू पंडित ने फूल देसी अंदाज में मेवाड़ी ओर हिंदी के साथ अंग्रेजी का छोंक लगाकर दर्शको के दिलों तक को खुश कर डाला। और अपनी रचना खास तौर से महेश नवमी महोत्सव को हास्य रूप में समर्पित करते हुए कहा " अजब , अनोखी, अलौकिक, अद्वितीय एक घटना का आज में उल्लेख कर रहा हु, यह मत सोचना नेताओ के जैसी लंबी लंबी बाते फेंक कर रहा हु, अचानक डमरू जब गुंजा त्रिभुवन में तो सबको बड़ा बेचैन देख रहा हु,ब्रम्हा जी ने पूछा भोलेनाथ जी से ये क्या हुआ, भोले बोले डमरू को चेक कर रहा हूँ।
कवि गोविंद राठी ने अपने चित परिचय अंदाज में कुछ मजाक और कुछ राजनीति की बात कही तो वही हास्य की झड़ी को महिलाओं और पुरुषो जोड़ते हुए कहा कि महिलाएं अपने पति को भगवान मानती हैं लेकिन मजा ले की कोई दूसरा पूजा कर दें वह उनकी आरती उतार देती है।