उदयपुर, भागवत सत्संग परिवार की ओर से छोटी ब्रह्मपुरी स्थित सहस्त्र औदीच्य धर्मशाला में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के पांचवें दिन गुरुवार को भगवान श्रीकृष्ण जन्मोत्सव की भक्ति-भावना से परिपूर्ण अमृतवर्षा हुई। पंडित राकेश मिश्रा महाराज की हृदयस्पर्शी वाणी में जब कारागृह में भगवान श्रीकृष्ण के प्राकट्य की कथा सुनाई गई, तो समूचा वातावरण भावविह्वल हो गया।
जैसे ही कथा में श्रीकृष्ण जन्म का प्रसंग आया, कथास्थल 'जय कन्हैया लाल की' के गगनभेदी जयकारों से गूंज उठा। श्रद्धालुओं की आंखों में आनंदाश्रु छलक पड़े और वाणी में जन्मोत्सव की उमंग भर गई। नंदोत्सव के भावपूर्ण प्रसंग में "बाजे बाजे रे बधाई, मैया तोरे अंगना" भजन पर भक्ति का ऐसा सैलाब उमड़ा कि हर कोई झूम उठा। महिलाएं नाचने लगीं और वृद्ध श्रद्धालु हाथ जोड़कर आनंद में मग्न हो गए।
कथा संयोजक सुनील व्यास ने बताया कि गुरुवार को कथा के दौरान भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का भावपूर्ण वर्णन किया गया। विशेष रूप से माखन चोरी, गोपियों संग नटखट लीलाएं और गोवर्धन पर्वत धारण करने की महालीलाओं ने श्रद्धालुओं को भावविभोर कर दिया। जैसे-जैसे महाराजश्री की वाणी में बालकृष्ण की छवियां सजीव होती गईं, कथा पांडाल भक्ति की तरंगों में डूबता चला गया।
इस पावन अवसर पर शहर के कई गणमान्य भी कथा श्रवण के लिए उपस्थित रहे। उदयपुर नगर परिषद के पूर्व सभापति रवीन्द्र श्रीमाली, समाजसेवी ओम खोखावत, जिनेन्द्र शास्त्री, जगदीश रावल, विजय याग्निक, शशिकला दवे, शंभू वल्लभ दवे, सुधीर व्यास, कृष्ण व्यास, कल्पना व्यास, एसबीआई अधिकारी विवेक वर्मा आदि ने महाराजश्री का पुष्पहारों एवं शाल से सम्मान कर उनका अभिनंदन किया।
कथा के प्रसंगों में श्रीकृष्ण की दिव्य लीलाओं के वर्णन पर ऐसा लगा मानो वृंदावन की गलियों में बांसुरी की मधुर तान गूंज रही हो। इस भक्ति की सरिता का प्रवाह 31 मई तक शाम 4 बजे से 7 बजे तक रहेगा।