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देवेन्द्र महिला संस्थान का 22 वां 8 दिवसीय धार्मिक एवं नैतिक संस्कार शिविर का रंगारंग समापन

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26 May 25
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देवेन्द्र महिला संस्थान का 22 वां 8 दिवसीय धार्मिक एवं नैतिक संस्कार शिविर का रंगारंग समापन


उदयपुर। श्री जैनाचार्य देवेंद्र महिला मंडल संस्थान की ओर से आयोजित जैन धार्मिक नैतिक संस्कार शिविर का रविवार को भुवाणा स्थित देवेंद्र धाम में रंगारंग समापन हुआ। समापन समारोह में संस्थान के सदस्यों सहित कई समाजजन उपस्थित हुए।
संस्थान अध्यक्ष संध्या नाहर ने बताया कि सन 2004 से 22 सालों से निरंतर जैन धार्मिक नैतिक संस्कार शिविर देवेंद्र धाम में श्री जैनाचार्य देवेंद्र महिला मंडल की ओर से आयोजित किया जाता रहा है। उसी के तहत आज या 22वंा शिविर था जिसका समापन रविवार को हुआ। उन्होंने बताया कि यह शिविर कभी 8 दिन का होता है कभी 12 दिन का होता है तो कभी 15 दिनों तक का भी होता है। इस शिविर में हर वर्ष 100 से 150 बच्चें आचार्य की प्रेरणा से धार्मिक एवं नैतिक शिक्षा प्राप्त करते हैं।
उन्होंने बताया कि इस शिविर का उद्देश्य यही है की बच्चंे अपने समय का सदुपयोग करें। शिविर में विषय विशेषज्ञों द्वारा बच्चों को धार्मिक एवं नैतिक शिक्षाएं प्रदान की जाती है ताकि बच्चे बड़े होकर धर्म के प्रति अपनी रुचि बरकरार रखें, और अपने जीवन में नैतिकता और संस्कारों को कभी नहीं भूले।
आज के समय में जहां बच्चे इंटरनेट की दुनिया में ही खोए रहते हैं। बच्चों को आज के समय में मोबाइल की लत लग चुकी है। इस मोबाइल की लत से बच्चों में धार्मिकता और नैतिकता के पतन की शुरुआत हो रही है। इन सब की रोकथाम के लिए इस तरह के धार्मिक एवं नैतिकता के शिविरों का होना बहुत आवश्यक है। इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए पिछले 22 सालों से जैनाचार्य देवेंद्र महिला मंडल की ओर से शिविर आयोजित किया जाता है।
समापन शिविर के प्रारंभ में दीप प्रचलन एवं मंगलाचरण हुआ। उसके बाद धार्मिक एवं नैतिक शिक्षा प्राप्त बच्चों ने जो भी शिविर में सीखा उसकी मंच से सभी के सामने मनमोहक प्रस्तुतियां दी। यही नहीं शिविर में आए अतिथियों एवं बच्चों को जो उपहार प्रदउान किये गए,वे उपहार भी शिविर में भाग लेने वाले बच्चों ने ही तैयार किए थे। प्रारंभ में समारोह में उपस्थित अतिथियों का माल ऊपरना एवं पगड़ी पहनाकर संस्थान की ओर से स्वागत किया गया। इसके बाद बच्चों ने शिविर के दौरान सिखाए गए योग की प्रस्तुति दी। बच्चों ने सामूहिक रूप से पाठशाला डांस भी किया जिसमें यह बताया गया कि जीवन में 18 पापों से कैसे बचा जा सकता है। पाठशाला पढ़ कर आना, कोई भी पूछे जल्दी से बताना, क्या-क्या करना पाप है... इस पर बच्चों ने शानदार नृत्य की प्रस्तुति दी तो उपस्थित जनसमूह ने तालियों के साथ बच्चों की हौसला अफजाई की। इसके माध्यम से बच्चों ने यह संदेश देने की कोशिश की कर्मों के फल से कोई भी नहीं बच सकता है। भगवान महावीर स्वामी को भी कर्मों का फल भोगना पड़ा था।
समारोह में बच्चों ने शिविर में सीखा गया धर्म ज्ञान एवं लोगस भी सुनाया। बालिकाओं ने धार्मिक नृत्यो की भक्तिमयी मनमोहक प्रस्तुतियां भी दी। समापन समारोह के आयोजन में उस समय पूरा वातावरण देशभक्ति में रम गया जब बच्चों ने हाल ही में हमारी सेना द्वारा किए गए ऑपरेशन सिंदूर का मार्मिक चित्रण सेना की ड्रेस में सबके सामने प्रस्तुत किया। संदेश आते हैं हमें तड़फाते हैं.. गीत के साथ जब बच्चों ने सामूहिक प्रस्तुति दी तो पूरा वातावरण देशभक्ति में रम गया और भारत माता के जयकारों से पूरा आयोजन स्थल गूंज उठा। समारोह में संस्थान का प्रतिवेदन भी प्रस्तुत किया गया।
समारोह में मु,य अतिथि निर्मल पोखरना,डॉ. जय चोरड़िया,शशि भण्डारी,दिनेश चोरड़ि़या,रमेश खोखावत,सुरेश बड़ाला,विजयसिहं सिंह छाजेड़,़संस्थान मंत्री इंदिरा चोरडिया, उपाध्यक्ष अनीता भंडारी, रेखा चौरडिया, ललिता बाफना, विनीता पामेचा, स्नेहा सिसोदिया, ममता रांका, लीला नाहर, मधु खमेसरा,मीनू छाजेड़ ,मीना बोकड़िया,प्रेम नाहर,रूचि चोरडिया, संगठन मंत्री रंजना चौहान,कल्पना चोरडिया, रानी मेहता,डॉ. स्नेहा बाबेल,चेतना बड़ाला, साधना बड़ाला,कोमल जैन,मंजू लोढ़ा,कला चोरड़िया आदि उपस्थित थे।


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