उदयपुर / राजकीय पशुपालन प्रशिक्षण संस्थान में आयोजित वेबीनार में प्रथम वर्ष के विद्यार्थियों को खुरपका-मुंहपका रोग नियंत्रण कार्यक्रम की जानकारी दी गई। वरिष्ठ प्रशिक्षण अधिकारी डॉ.सुरेन्द्र छंगाणी ने कहा कि पशुओं में इस रोग की मृत्युदर बहुत ही कम होती है, लेकिन रोग के ठीक हो जाने पर भी पशुओं की कार्यक्षमता, दूध व ऊन उत्पादन क्षमता काफी कम हो जाती है और इससे पशुपालकों को आर्थिक नुकसान होता है। इस रोग से मुक्त होने की पूर्ण सफलता जन सहभागिता के बिना सम्भव नही है। डॉ. सुरेश शर्मा ने कहा कि यह एक विषाणु जनित रोग है जो एक पशु से दूसरे पशु में तेजी से फैलता है। डॉ. पद्मा मील ने भी विचार रखे।