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नाटक ’’पागलखाना‘‘ में राजनैतिक और सामाजिक हालातों का पर्दाफाश

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03 Feb 20
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नाटक ’’पागलखाना‘‘ में राजनैतिक और सामाजिक हालातों का पर्दाफाश

उदयपुर । पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र की ओर से आयोजित मासिक नाट्य संध्या ’’रंगशाला‘‘ में मंचित नाटक ’’पागलखाना‘‘ में राजनैतिक और सामाजिक हालात के साथ-साथ महिलाओं की स्थिति को बेपर्दा किया गया।

शिल्पग्राम के दर्पण सभागार में रविवार शाम नाट्यांश सोसायटी ऑफ ड्रामेटिक्स एण्ड परफोर्मिंग आट्र्स के कलाकारों द्वारा  अशोक कुमार ’अंचल‘ द्वारा लिखित व अशफाक नूर खान पठान द्वारा निर्देशित नाटक ’’पागलखाना‘‘ मंचित किया गया। नाटक एक गंभीर विषय को लेकर रचा गया जिसमें एक पागलखाने के माध्यम से समाज के विभिन्न चरित्रों नेता, पत्रकार, पुलिस, बिजनेसमेन आदि की दोहरी जिन्दगी या यूं कहें यथार्थ व मूक सत्य को उजागर किया गया। नाटक की शुरूआत पागलखाने के दृश्य से होती है और पागलों के माध्यम से विभिन्न किरदारों को प्रभावी ढंग से दर्शाया गया। नाटक में एक नेता, एक बिजनेसमैन और एक पत्रकार के चरित्रों के जरिये व्याप्त राजनैतिक और सामाजिक विषमताओं को सटीक अभिनय और भ्ज्ञंगिमाओं के साथ दर्शाया गया। प्रस्तुति में ध्वनि और प्रकाश के प्रभाव के साथ-साथ छाया नाट्य तकनीक का प्रयोग भी उत्कृष्ट ढंग से किया गया।

कलाकारों में सुरसतिया के किरदार में मनीषा शर्मा, दरबान राघव गुर्जरगौड, पत्रकारमोहन शिवतारे का अभिनय उत्कृष्ट बन सका वहीं नेता की भूमिका में धर्मेन्द्र टिलावत, उद्योगपति-महेश कुमार जोशी, भांजी नेहा पुरोहित का अभिनय दर्शकों को रास आया। मुखबिर के किरदार में चक्षुसिंह व राधा की भूमिका में इन्द्रसिंह सिसोदिया का अभिनय सराहनीय बन सका। नाटक के प्रस्तोता अमित श्रीमाली थे वहीं रूप सज्जा ईशा जैन, दिक्षा सक्सेना, योगिता सिसोदिया व नाइल खान की थी। संगीत प्रभव हेमन्त आमेटा तथा प्रकाश संयोजन अशफाक नूर खान पठान का था।


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