उदयपुर | पृथ्वी दिवस है। पूरा विश्व इसे स्पीजिज( प्रजातियों ) को बचाने के संकल्प के साथ मना रहा है। उदयपुर व सम्पूर्ण मेवाड़ के पहाड़ों, पेड़ों , तालाबो , नदियों को नष्ट करने, उन पर अतिक्रमण व प्रदूषण से वनस्पति व जीवों की कई प्रजातियाँ लुप्त हो गई है। मेवाड़ ने इस विनाशकारी प्रक्रिया को नही रोका तो यह क्षेत्र रहने लायक नही रहेगा। झील मित्र संस्थान, झील संरक्षण समिति तथा गांधी मानव कल्याण समिति के तत्वावधान में आयोजित पृथ्वी दिवस परिचर्चा में यह चिंता व्यक्त की गई।
डॉ अनिल मेहता ने कहा कि झीलों व आयड़ नदी के किनारों को नष्ट कर देने से कई महत्वपूर्ण प्रजातियों के देशी विदेशी पक्षियों सहित अनेक बड़े व सुक्ष्म जीवों के प्राकृतिक आवास खत्म हो गए हैं। महासीर जैसी मछली का खत्म होना यह सूचक है कि मेवाड़ की प्रजातियां संकट में है। राजस्थान उच्च न्यायालय ने वर्ष 2017 में बड़ी झील में महासीर के संरक्षण के निर्देश दिए लेकिन वंहा भी महासीर को खत्म कर देने की गतिविधियां प्रारम्भ हो गई है।
तेज शंकर पालीवाल ने कहा कि कभी झीलों में कछुओं, तरह तरह की मछलियों , मेंढक व अन्य जलीय जीवों की बहुतायत थी व इसी कारण झीलें स्वस्थ स्थिति में थी। मानवीय गतिविधियों ने इन जलस्त्रोतों को प्रदूषित किया है और अब ये झीलें लाभदायक जलीय जीवों को खो चुकी है।
नंदकिशोर शर्मा ने कहा पहाड़ों व पेड़ों को नष्ट करने से सम्पूर्ण जलीय तंत्र प्रभावित हुआ है। सतही व भूजल की कमी प्रजातियों के लिए एक बड़ा संकट है।
इसे दूर करने के लिए पानी का मितव्ययिता पूर्ण उपभोग सुनिश्चित करना होगा व पूरे जलग्रहण क्षेत्र के पहाड़ों की कटाई पर रोक लगानी होगी।
पल्लब दत्ता व दिगम्बर सिंह ने कहा कि झीलों व आयड़ नदी में कई प्रकार के केमिकल प्रवाहित हो रहे हैं। जिनसे प्रजातियों को नुकसान पंहुचा है।
द्रुपद सिंह व कुशल रावल ने कहा कि पॉलीथिन की परत से मिट्टी के कई लाभदायक सूक्ष्म जीव मर रहे हैं।
रमेश चंद्र राजपूत व रामलाल ने कहा कि पृथ्वी को मातृवत मानने वाले हम नागरिक अपनी ही मां की हत्या करने में लगें है।
इस अवसर पर श्रमदान कर पिछोला से विविध प्रकार की गंदगी को हटाया गया। श्रमदान में मोहन सिंह मेहता मेमोरियल ट्रस्ट के अध्यक्ष मानव सिंह , पल्लब दत्ता, दिगम्बर सिंह , कुशल रावल, रमेश चंद्र राजपूत , रामलाल गहलोत , द्रुपद सिंह , सुमित विजय , तेज शंकर पालीवाल, नंदकिशोर शर्मा, रामप्रताप जेठी, जसवंत सिंह टांक , एकलिंगनाथ पालीवाल ने भाग लिया।
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