श्रीगंगानगर : बीकानेर रेल मंडल में रेलवे ट्रैक के समीप उग आए वृक्ष रेलवे परिचालन के लिए एक गंभीर चुनौती बनते जा रहे हैं। यह समस्या न केवल सुरक्षा के दृष्टिकोण से चिंताजनक है, बल्कि इससे ट्रेनों की समयबद्धता और सुचारू संचालन पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
बीकानेर वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबन्धक श्री भूपेश कुमार ने बताया कि रेल मंडल के रेवाड़ी-सादुलपुर, रेवाड़ी-भटिंडा, भिवानी-रोहतक रेलखंड ऐसे हैं जिनमें रेलवे ट्रैक के पास में बड़ी संख्या में वृक्ष हैं। ये वृक्ष आंधी-तूफ़ान, बरसात के मौसम में उखड़कर कई बार ट्रैक पर गिर जाते हैं जिससे रेल परिचालन अवरुद्ध हो जाता है एवं यात्रियों को जान-माल की हानी भी हो जाती है। पर्यावरण के संतुलन को देखते रेल विभाग द्वारा ट्रैक के नजदीक स्थित पेड़ों की शाखाओं सहित कुछ उपरी हिस्सों की कटाई-छंटाई की जाती है जिससे की पेड़ों की मौजूदगी भी बनी रहे और सुगम रेल सं्चालन भी हो सके, लेकिन हरियाणा राज्य के लगते कुछ खण्डों में राज्य सरकार के वन विभाग द्वारा पेड़ काटने की अनुमति नहीं होने से रेल संचालन में बाधा उत्पन्न होती है साथ ही यात्रियों की जान-माल की हानि का अंदेशा भी बना रहता है। उल्लेखनीय है कि रेलसेवा सुलभ एवं सस्ती होने के कारण इसमें सभी वर्गों के यात्री यात्रा करते है।ं रेल यात्रियों की सुरक्षा एवं संरक्षा को ध्यान में रखते हुए हरियाणा राज्य के वन विभाग को सहानुभूतिपूर्वक विचार कर ट्रैक के नजदीक स्थित पेड़ों की कटाई-छंटाई करने की अनुमति प्रदान करनी चाहिए।
हाल ही में ट्रैक के नजदीक स्थित पेड़ों से हुई हानि की बात की जाए तो विगत 21 मई को गाड़ी संख्या 14118 भिवानी-प्रयागराज एक्सप्रेस बामला-कलानौर कलां खंड में ट्रैक पर पेड़ गिरने से इस ट्रेन के कई डिब्बे क्षतिग्रस्त हुए एवं एक बालक के सर में गंभीर चोट लगीप् इसके साथ ही कई गाड़ियाँ भी प्रभावित रही।
25 मई को ही रेवाड़ी-सादुलपुर खंड के महेंद्रगढ़ स्टेशन के यार्ड में पेड़ गिरने से गाड़ी संख्या 22482 दिल्ली सराय रोहिल्ला-जोधपुर, गाड़ी संख्या 12457 दिल्ली-बीकानेर, गाड़ी संख्या 22481 जोधपुर-दिल्ली सराय रोहिल्ला, गाड़ी संख्या 12458 बीकानेर-दिल्ली सराय रोहिल्ला, गाड़ी संख्या 12324 बाड़मेर-हावड़ा, गाड़ी संख्या 14727 श्रीगंगानगर-तिलक ब्रिज सहित कई गाड़ियों के परिचालन में देरी हुई जिसके कारण से कई अभ्यर्थी जो कि प्रतियोगी परीक्षा हेतु जा रहे थे उनको परीक्षा से वंचित होना पड़ा।
रेलवे ट्रैक के पास मौजूद बड़े पेड़ आंधी, तूफान या भारी वर्षा के समय ट्रैक पर गिर जाते हैं जिससे रेल परिचालन प्रभावित होता है। ऐसे में रेलगाड़ियों का संचालन बाधित हो जाता है और दुर्घटना की आशंका भी बनी रहती है। कई बार पेड़ की शाखाएँ ओएचई (ओवरहेड इलेक्ट्रिक वायर) से टकराकर बिजली आपूर्ति को भी बाधित कर देती हैं, जिससे ट्रेनों की रफ्तार थम जाती है। इसके अलावा, पत्ते और टहनियाँ ट्रैक पर गिरने से फिसलन की स्थिति पैदा हो सकती है, विशेषकर मॉनसून के दौरान। इससे इंजन की ब्रेकिंग एफिशिएंसी पर असर पड़ता है। यह स्थिति विशेष रूप से तीव्र गति की ट्रेनों के लिए खतरनाक हो सकती है। रेलवे विभाग समय-समय पर ऐसे पेड़ों की पहचान कर उनकी छंटाई या आवश्यकतानुसार कटाई करता है। इसके लिए वन विभाग से समन्वय स्थापित किया जाता है ताकि पर्यावरणीय संतुलन भी बना रहे और सुरक्षा में भी कोई समझौता न हो।
इस सम्बन्ध में स्थानीय जनप्रतिनिधियों और आम नागरिकों को भी पर्यावर्णीय संतुलन के साथ रेलवे ट्रैक के समीप खड़े वृक्षों से ट्रेन संचालन में आने वाली बाधाओं को समझते हुए सुरक्षित रेल संचालन में सहर्ष अपना योगदान देकर आमजन को भी जागरूक करना चाहिए। इस समस्या का समाधान सतर्कता, समयबद्ध कार्रवाई और जनभागीदारी से ही संभव है।
उन्होंने कहा कि ‘‘हमारा उद्देश्य पर्यावरण के साथ सामंजस्य रखते हुए, ट्रेनों को सुरक्षित, संरक्षित एवं समय पर गंतव्य पर पहुँचाना है।’’
हरियाणा के मुख्यमंत्री को चाहिए कि वे संबंधित विभाग को निर्देशित कर ट्रैक किनारे वृक्षों की समय-समय पर कटिंग के लिए विभाग को पाबंद कर सुगम रेल संचालन में रेल प्रशासन का सहयोग करें।