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राजस्थान मिशन 2030 के तहत् कृषि विभाग द्वारा परामर्श कार्यक्रम आयोजित

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02 Sep 23
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राजस्थान मिशन 2030 के तहत् कृषि विभाग द्वारा परामर्श कार्यक्रम आयोजित

श्रीगंगानगर । राजस्थान मिशन 2030 के सम्बन्ध में कृषि विभाग, श्रीगंगानगर द्वारा शुक्रवार को कृषि, उद्यान, कृषि विपणन आदि सम्बन्धी गतिविधियों के सुझावों के लिए जिला स्तरीय परामर्ष कार्यक्रम का आयोजन आत्मा सभागार, कार्यालय उपनिदेशक कृषि व पदेन परियोजना निदेशक, आत्मा, श्रीगंगानगर में किया गया, जिसमें जन प्रतिनिधि, कृषि हितधारकों व अधिकारियों के सुझावों को एकत्रित किया गया।
कार्यक्रम में उप जिला प्रमुख श्री सुदेश मोर, जिला परिषद सदस्य, सरपंच, कृषि विभागीय अधिकारी,कृषि समबद्ध विभागों के जिला स्तरीय अधिकारी, प्रगतिशील कृषक, कृषि महाविद्यालय, कृषि अनुसंधान केन्द्र व राज्य बीज निगम के प्रतिनिधि,कृषि अध्ययनरत छात्र छात्रायें कृषि उद्यमी, निजी आदान विक्रेता आदि उपस्थित रहें।
कृषि आयुक्तालय जयपुर से जिला स्तरीय नोडल अधिकारी श्री नवल किशोर शर्मा ने कार्यक्रम की शुरूआत में राजस्थान मिशन 2030 कार्यक्रम की भूमिका के बारे में विस्तार पूर्वक बताया। उन्होनें बताया कि सुझावों को एकत्रित कर एक विजन दस्तावेज 2030 तैयार किया जायेगा, जिससे राजस्थान को 2030 तक हर क्षेत्र में अग्रणी बनाने के लिए प्रयास किये जायेगें। उन्होनें बताया कि कोई भी व्यक्ति अपने सुझावों को किसी भी माध्यम से राजस्थान मिशन 2030 की बेवसाइट पर अपलोड कर सकता है।
इसके बाद रमेश बराला, उपनिदेशक कृषि, श्रीगंगानगर ने कृषि विभागीय गतिविधियों की गहन पूर्वक चर्चा की। उन्होनें कृषि के 12 मिशनों के बारे में विस्तार पूर्वक बताया, उन्होनें बकाया कि कोई भी व्यक्ति अपने सुझावों को ऑनलाइन, फेस टू फेस सर्वे, टॉल-फ्री नम्बर विडियों, निबंध लेखन के माध्यम से प्रेषित कर सकता है।
उपजिला प्रमुख श्री सुदेश मोर ने समर्थन मूल्य पर फसलों की खरीद कृषि सिंचाई डिग्गी के लक्ष्य बढायें जाने,सोलर संयत्र पर अनुदान बढायें जाने के सुझाव दिये है, जिससे किसान की आय को बढाकर राजस्थान को कृषि क्षेत्र में अग्रणी किया जा सकें। जिला परिषद् श्री सुभाष भाकर ने मनरेगा को कृषि के साथ जोड़कर किसानों की इसमें भागीदारी बढ़ाने का सुझाव दिया। उन्होनें बताया कि किसानों को गुणवत्ता पूर्वक खाद्य बीज मिलें। फसल बीमा में पटवार मण्डल के स्थान पर राजस्व चक का चयन किया जाना उचित है। उन्होंने बताया कि कृषि सम्बन्धी दुर्घटना में किसान की मृत्यु होने पर मुआवजें की प्रक्रिया को सरल बनाया जावें। श्री अजीत सिंह मल्ली, श्री लालचन्द, श्री सुखप्रीत सिंह ने सुझाव दिए।

डॉ. प्रदीप कुमार, वैज्ञानिक कृषि अनुसंधान केन्द्र, श्रीगंगानगर ने सुझाव दिया कि कृषि अनुसंधान केन्द्रों में स्टाफ व संसाधनों को बढ़ाया जावें ताकि वैज्ञानिकों द्वारा नई किस्मों, तकनीको व रसायनों को इजात कर किसानों को फायदा पहुंचाया जा सकें।

श्री अमरजीत सिंह, डीडीएम नाबार्ड ने सुझाव दिया कि कृषि की वृद्धि दर को 2030 तक 20 से 30 प्रतिषत तक बढ़ानें का सुझाव दिया। उन्होनें कृषि सुदृढ़ीकरण हेतु फसल बीमा, कृषि मशीनीकरण में सुधार करने सम्बन्ध में सुझाव दिया ताकि किसान की कृषि लागत को कम करके मुनाफे में इजाफा किया जा सकें। उन्होनें बताया कि किसान को सुदृढ़ करने के लिए फसलों के साथ-2 पशुओं का बीमा,मछली पालन बीमा आदि हो तो किसान को इसके आधार पर बैंक से वित्तीय सहायता प्राप्त हो सकें।

श्री राज अबास अध्यक्ष किन्नू संघ श्रीगंगानगर ने सुझाव दिया कि नहरों में पानी का रेगूलेषन सही करके फसल उत्पादन को बढाया जायें। उन्होनें बताया कि किन्नू को अन्य देशों में भेजने पर लगने वाले टैक्स को कम किया जावें। उन्होनें श्रीगंगानगर में गाजर मार्केटिंग कमेटी की स्थापना और अन्य फसलों की भांति किन्नू का समर्थन मूल्य तय करने, किन्नू व गाजर के खाद्य प्रसंस्करण संयत्र लगाने का सुझाव दिया।

श्री अरविंद गोदारा प्रगतिशील कृषक ने बताया कि कृषि अध्ययनरत एग्री स्टार्ट अप शुरू करने चाहिए व भविष्य में कृषि क्षेत्र में अधिक रोजगार पैदा करने के अवसरों के बारे में बताया। सुश्री पलक चावला, कृषि अध्ययनरत छात्रा नें सुझाव दिया कि सरकार को सरकारी तंत्र के साथ-2 निजी क्षेत्र में निवेष के अवसर बढाने चाहिए, जिससे किसानों के लिए उन्नत तकनीक निजात कि जा सकें।

श्री रामकुमार प्रगतिशील किसान ने बताया कि कृषि पर्यवेक्षक क्षेत्र का दायरा घटाकर कम किया जाये, जिससे कृषि पर्यवेक्षक की पहुंच हर किसान तक हो सकें। कार्यक्रम के अन्त में कृषि खण्ड, श्रीगंगानगर के अतिरिक्त निदेशक कृषि श्री एल.एन. बैरवा ने कार्यक्रम पधारें सभी लोगो का धन्यवाद किया। उन्होनें बताया कि सभी सुझावों को एकत्रित कर कृषि आयुक्तालय व राजस्थान मिशन 2030 की बेवसाइट पर अपलोड किया जावेंगा।

डॉ.जी.आर. मटोरिया संयुक्त निदेशक कृषि (विस्तार) जिला परिषद् ने कृषि अनुदान के सदुपयोग पर जोर दिया। उन्होने बताया कि किसानों को चाहिए कि वह टयूवबैल आदि के पानी की बजाय सुक्ष्म सिंचाई तंत्र के उपयोग को बढावा दें, जिससे सिंचाई पानी की बचत से कृषि बुवाई क्षेत्र को बढाया जा सकें। कार्यक्रम में कृषि विभागीय अधिकारी/कार्मिक श्री जसवन्त सिंह, विकास भादू, जगजीत सिंह, सुदेश कुमार, छोटूराम, नवनीत सिंह ,विक्रम गोदारा आदि ने भाग लिया। 


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