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देवनानी को प्रवासी भारतीयों ने दिलाया भरोसा - दोनों देशों की उन्नति, संबंध और राइजिंग राजस्थान में होगी उनकी बेहतर भूमिका

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25 Jun 25
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देवनानी को प्रवासी भारतीयों ने दिलाया भरोसा - दोनों देशों की उन्नति, संबंध और राइजिंग राजस्थान में होगी उनकी बेहतर भूमिका

नई दिल्ली/ राजस्थान विधानसभाध्यक्ष वासुदेव देवनानी के साथ मंगलवार को बर्लिन में भारतीय दूतावास में प्रवासी भारतीयों के साथ सौहार्दपूर्ण और जीवंत संवाद हुआ|

 

 देवनानी के समक्ष प्रवासी  भारतीयों ने महत्वपूर्ण सुझाव रखें, जिन पर श्री देवनानी ने संबंधित मंत्रीगण से समाधान कराने का आश्वासन दिया|

 

देवनानी के साथ संवाद के दौरान  जर्मनी में राजस्थान फाउंडेशन के अध्यक्ष हरगोविंद सिंह राणा ने राजस्थान में एक ‘भाषा पार्क’ की स्थापना का सुझाव दिया, जहाँ जर्मन भाषा को केंद्र में रखते हुए विद्यार्थियों के लिए प्रशिक्षण एवं संवाद की एक नई सांस्कृतिक धारा आरंभ हो सके। उन्होंने रोजगारोन्मुखी दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए युवाओं के लिए कौशल विकास और अंतरराष्ट्रीय मानकों वाले प्रमाणन पाठ्यक्रमों को शिक्षा व्यवस्था में जोड़ने का प्रस्ताव भी रखा, जिससे प्रवास और रोजगार की दिशा में उनकी तैयारी को गति मिल सके। दीपक पाटिल ने बर्लिन और भारत के प्रमुख शहरों विशेषकर दिल्ली या मुंबई  के बीच सीधी उड़ान की आवश्यकता को रेखांकित किया, ताकि प्रवासी भारतीयों, छात्रों और व्यवसायिक यात्रियों को सीधा और सुविधाजनक संपर्क मिल सके। 

 

देवनानी के साथ इस संवाद में उद्यमिता की संभावनाओं पर भी चर्चा हुई, जहाँ श्री कमल मान ने बताया कि जर्मनी में बसे पंजाबी उद्यमी राजस्थान में निवेश करने को इच्छुक हैं और इसके लिए वे राज्य सरकार से मार्गदर्शन, पारदर्शिता और सुविधाओं की अपेक्षा रखते हैं। 

 

विधानसभाध्यक्ष  देवनानी से शैलजा पाटिल ने वीज़ा नियमों के मानवीय पक्ष को रेखांकित करते हुए आग्रह किया कि जर्मनी में बसे भारतीयों के माता-पिता के लिए दीर्घकालिक वीज़ा की सुविधा सुनिश्चित की जाए, जिससे परिवार एक साथ लंबे समय तक रह सकें और पारिवारिक मूल्यों की गरिमा बनी रहे। वहीं, श्री गोपीनाथ ने बर्लिन में भारतीय समुदाय द्वारा निर्मित हो रहे श्री गणेश मंदिर का उल्लेख करते हुए भारत सरकार से सांस्कृतिक समर्थन की अपेक्षा जताई ताकि विदेशों में भारतीय संस्कृति की उपस्थिति और अधिक सुदृढ़ हो सके।

 

वासुदेव देवनानी ने धैर्य और संवेदनशीलता के साथ सभी सुझावों को सुना और आश्वासन दिया कि इन सभी विषयों को वे संबंधित मंत्रालयों और विभागों के समक्ष गंभीरता से प्रस्तुत करेंगे। उन्होंने कहा कि प्रवासी भारतीय भारत के सच्चे सांस्कृतिक प्रतिनिधि हैं और उनकी सोच, अनुभव एवं दृष्टिकोण से न केवल राज्य, बल्कि देश समृद्ध होता है। उन्होंने प्रवासी भारतीयों को आश्वस्त किया कि राजस्थान सरकार ऐसे हर विचार और पहल के लिए प्रतिबद्ध है, जो जनहितकारी, नवाचार प्रेरित और अंतरराष्ट्रीय सहयोग को प्रोत्साहन देने वाला हो। यह संवाद न केवल भारत-जर्मनी संबंधों को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाने वाला एक प्रेरणादायक अवसर सिद्ध हुआ, बल्कि यह भी दर्शाया कि भारतीय संस्कृति, भाषा, शिक्षा और व्यापार — ये सभी सीमाओं से परे जाकर एक साझा भविष्य की दिशा में बढ़ सकते हैं।


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