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डा. दीपक की पुस्तक " वेकअप कॉल " का लोकार्पण

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23 Feb 24
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डा. दीपक की पुस्तक " वेकअप कॉल " का लोकार्पण

संभागीय पुस्तकालय अध्यक्ष डा० दीपक कुमार की बहु प्रतिक्षित पुस्तक - "दी कॉनसिक्युन्सेज  ऑफ सीशियल मीडीया युज एमोंगस्ट युनिवर्सिटी स्कूल स्टूडेन्टस - ए वेक अप कॉल” का लोकार्पण मुख्य अतिथि महेन्द्र सिंह खींची निर्देशक भाषा एवं पुस्तकालय कियाग राजस्थान जयपुर, अध्यक्ष पुनम गुप्ता विशेषाधिकारी भाषा एवं पुस्तकालय विभाग राजस्थान जयपुर, डा एम.एल. अग्रवाल वरिष्ठ मनोचिकित्सक, एवं समाजसेवी, जितेन्द्र निर्मोही ख्यातनाम साहित्यकार, डा० अतल चतुर्वेदी अतिरिक्त जिला शिक्षा अधिकारी संयुत निदेशक शिक्षा विभाग कोटा, अम्बिका दत्त चतुर्वेदी पूर्व राजस्थान प्रशासनिक सेवा अधिकारी एवं प्रधानाचार्या स्नेहलता शर्मा द्वारा किया गया।

            इस अवसर पर कृति के लेखक डा. दीपक कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि इस पुस्तक का शीर्षक सेल्फ एक्सप्लेनेटरी है अर्थात वेक अप कॉल का मतलब है है, चेताना या जाग्रत करना।वर्तमान मे सोशियल मीडीया हमारे दैनिक जीवन का एक अभिन्न अंग बन गया है, जिससे हमारे वार्तालाप करने, संचार करने और जानकारियो को उपभोग करने के तरीके मे बदलाव आ रहा है। सोशियल मीडीया प्लेटफॉर्म के प्रसार के साथ विश्वविद्यालय के छात्र विभिन्न प्रकार की सामग्री और एक दूसरे से चर्चा के साथ जुडकर सोशिल मीडीया पर महत्वपूर्ण मात्रा मे समय व्यतित कर रहे हे |

            लेखक आगे बताते है कि कि सोशल मीडीया के कई लाभ भी है जिससे कनेक्टिवीटी तथा सूचनाओ तक पहुंच बढी है जिसके कई सुखद परिणाम , खासकर विश्वविद्यालयी छात्रों के लिये, जिनमे मनोवैज्ञानिक, शैक्षणिक, सामाजिक, गोपनीयता और राजनितिक, सांस्कृतिक, सुरक्षा, राज और मडिया इत्यादि शामिल है |

            यह पुस्तक, "यूनिवर्सिटी स्कूल के छात्रों के बीच सोशल मीडिया के उपयोग के परिणाम: एक वेक-अप कॉल," विश्वविद्यालय के स्कूल के छात्रों पर सोशल मीडिया के उपयोग के प्रभाव की एक व्यापक जांच है। यह मनोविज्ञान, समाजशास्त्र, शिक्षा, सूचना प्रौद्योगिकी, कानून, पत्रकारिता, संचार, विपणन और व्यवसाय सहित विभिन्न शैक्षणिक विषयों और व्यावहारिक अनुभवों के परिप्रेक्ष्य से सोशल मीडिया के उपयोग के संभावित परिणामों पर प्रकाश डालता है।

            पुस्तक को तेरह अध्यायों में विभक्त किया गया है, प्रत्येक अध्याय विश्वविद्यालय स्कूल के छात्रों के बीच सोशल मीडिया के उपयोग के एक विशिष्ट पहलू पर केंद्रित है। यह सोशल मीडिया के उपयोग के मनोवैज्ञानिक और शैक्षणिक प्रभावों, सोशल मीडिया के सामाजिक और सांस्कृतिक निहितार्थ, गोपनीयता और सुरक्षा चिंताओं, राजनीतिक और आर्थिक निहितार्थ, साथ ही सोशल मीडिया के उपयोग से जुड़े कानूनी और नैतिक मुद्दों पर अंतर्दृष्टि प्रदान करता है।

            इसके अलावा, पुस्तक सोशल मीडिया के उपयोग के नकारात्मक परिणामों के हस्तक्षेप और रोकथाम के लिए व्यावहारिक रणनीतियाँ प्रदान करती है। यह अनुसंधान के लिए भविष्य की दिशाओं और विश्वविद्यालय के स्कूली छात्रों के बीच सोशल मीडिया के उपयोग को आकार देने में उभरती प्रौद्योगिकियों की क्षमता पर एक दृष्टिकोण भी प्रदान करता है।

            कुल मिलाकर, इस पुस्तक का उद्देश्य विश्वविद्यालय के स्कूली छात्रों, शिक्षकों, अभिभावकों, नीति निर्माताओं और व्यापक समाज को जागरूक करना है, जिसमें सोशल मीडिया के उपयोग के संभावित जोखिमों और लाभों और जिम्मेदार और नैतिक सोशल मीडिया प्रथाओं की आवश्यकता पर प्रकाश डाला गया है।


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