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शब्दों से खिलवाड़ नहीं करें, भावनाओं के साथ शब्द स्वयं चलते हैं - विजय जोशी

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14 Feb 24
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शब्दों से खिलवाड़ नहीं करें, भावनाओं के साथ शब्द स्वयं चलते हैं - विजय जोशी

 

कोटा साहित्य सृजन में शब्दों के साथ कभी भी खिलवाड़ नैन करना चाहिए। भावनाओं के साथ शब्द स्वयं चलते हैं। किसी भी पुस्तक की समीक्षा का यहीं बेहतर आधार होता है। यह विचार कथाकार और समीक्षक विजय जोशी ने आज राजकीय सार्वजनिक मंडल पुस्तकालय में पांच दिवसीय पुस्तक मेला एवं कोटा साहित्यिक महोत्सव समारोह के तीसरे दिन के प्रथम सत्र की चर्चा में व्यक्त किए। साहित्यकार किशन प्रणय जोशी से उनके सृजन और समीक्षा विधा पर चर्चा कर रहे थे। 
    जोशी ने कहा साहित्य अपने समय के समाज की अभिव्यक्ति होता है जो आने वाली पीढ़ी का मार्ग तो प्रशस्त कर सकता है पर लेखन की दृष्टि से सामयिक नहीं हो सकता। इस संदर्भ में उन्होंने कई उदाहरण से अपनी बात को पुष्ट करते हुए कहा कि आज समय आ गया है जब हमें साहित्य में नवाचार के लिए सोचना होगा और नई सोच के साथ लिखना होगा। उन्होंने कहा हर पुस्तक में कोई सच्चाई होती है। समीक्षा के दौरान नैसर्गिक रूप से लिखी पुस्तक विचारों को स्वयं उद्वेलित करती है। गीत विधा में दखल रखने वाले जोशी ने 
" रे़ बंधु तेरा कहां मुकाम " सुना कर श्रोताओं को गुदगुदाया।
    दूसरे सत्र में जोशी ने प्रसिद्ध कवि विश्व मित्र दाधीच से उनके साहित्य कर्म पर चर्चा की। दाधीच ने अपने संस्मरण के साथ अपना  35 साल पुराना लिखा गीत " अकातरा" सुनाया और इस से जुड़े रोचक प्रसंग सुनाएं। आज के साहित्यिक सत्रों का शुभारंभ पूर्व संयुक्त निदेशक जनसंपर्क विभाग डॉ. प्रभात कुमार सिंघल ने मां सरस्वती की पूजा अर्चना कर किया। इस अवसर पर बद्री लाल दिव्य, जितेंद्र निर्मोही, कृष्णा कुमारी, बिगुल जैन, डॉ.शशि जैन सहित कई साहित्यकार मौजूद रहे। पुस्तकालय अधीक्षक डॉ.दीपक कुमार श्रीवास्तव ने सभी का स्वागत किया। प्रारंभ में वरिष्ठ नेत्र रोग चिकित्सक डॉ. संजय गुप्ता ने प्रदर्शनी स्थल पर मां सरस्वती की पूजा अर्चना कर आज के कार्यक्रम का शुभारंभ किया। 
प्रमुख क्षेत्र की पुस्तकें
पुस्तक प्रदर्शनी में सेल्फ हेल्प , नॉन फिक्सन, फिक्सन, साईन्स फिक्सन, क्राईम  मिस्ट्री एवम थ्रीलर, बिजनेस एण्ड मेनेजमेंट , जीवनीया , क्लासीक्स , हिन्दी नोवेल्स, स्पीरीचुयल्स , माईथोलोजी , यंग फिक्सन, विश्वकोश , चिल्ड्रेन्स बुक्स इत्यादि ।स्वामी विवेकानद एवं स्वामी रामकृष्ण साहित्य सी.डी.फ़ोटोज़ प्रदर्शनी लगाई गई । 
प्रमुख प्रकाशक :
 समारोह में जायकों , फिंगर प्रिंट , प्रभात प्रकाशन , राजपाल , हार्पर कोलिन्स, पैंगविन रेन्डम हाउस , सीमोन एंड सुस्टर , राधाकृष्ण, राजकमल , एनीकडोट , स्कालिस्टीक, पेन –मेक मिलन , ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सीटी , ब्लूम्सबरी , केम्ब्रीज, एनीकडोट इत्यादि के साथ - साथ जया बुक वर्ल्ड, ए.के.बी. पब्लिसर्स, एनीकडॉट पब्लिकेशन , स्वामी साहित्य  वितरकों ने भागीदारी की है।
ख्यात लेखकों की प्रमुख पुस्तकें : 
पुस्तक मेले में प्रख्यात लेखक राबिन शर्मा , जेम्स क्लीयर , अमीश , अंकुर बारिकों, ए.पी.जे. अब्दुल कलाम आजाद , ओशो , जे.के. रोलिंग, दीप त्रिवेदी , राबर्ट ग्रीन आई आदि की पुस्तकें प्रदर्शित की गई हैं।
हाड़ोती के लेखक :
पुस्तक मेले में हाड़ोती अंचल के विष्णु हरिहर , योगीराज योगी , रामेशवर “रामू “जितेंद्र निर्मोही , विजय जोशी , अंबिका दत्त चतुर्वेदी , डॉ विवेक मिश्र , देवकी दर्पण , हरिचरण अहरवाल , योगेश यथार्थ , डॉ कृष्णा कुमारी , श्यामा शर्मा , रेखा पंचोली , मुकटमणी राज , मंजु किशोर रश्मि , सी.एल.सांखला , डॉ प्रभात सिंघल ,फिरोज अहमद , डॉ हुकुम चंद जैन , ममता महक , डॉ नन्द किशोर महावर ,हेम सिंह हेम, रामवातार सागर , डॉ अदित्य कुमार गुप्ता,  महेंद्र नेह , राम नारायण “हलधर”, रामकरण प्रभाती , प्रीतिमा पुलक , जगदीश भारती , डॉ कृष्णा कुमारी , डॉ अनीता वर्मा ,मेघना तरुण , चाँद शेरी , किशण प्रणय , किशन वर्मा , सुरेश पण्डित , प्रेम शास्त्री सहित 100 से अधिक स्थानीय लेखकों की पुस्तकें भी प्रदर्शित की गई हैं। 
     पुस्तक मेले  में बड़ी संख्या में साहित्यकार, विद्यालयों, महाविधालयों के छात्रों समेत आमजन देखने के लिए प्रतिदिन उमड़ रहे हैं।
 


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