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कोटा की साहित्यकार डॉ. कृष्णा कुमारी को रंगीतिका संस्था द्वारा आगामी 28 मई को शिक्षाविद् स्व. शिवप्रसाद शर्मा स्मृति में "काव्य रत्न" से सम्मानित किए जाने की घोषणा पर हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं....... जानिए हाड़ोती अंचल की इस महिला साहित्यकार के बारे में

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26 May 25
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कोटा की साहित्यकार डॉ. कृष्णा कुमारी को रंगीतिका संस्था द्वारा आगामी 28 मई को शिक्षाविद् स्व. शिवप्रसाद शर्मा स्मृति में "काव्य रत्न" से सम्मानित किए जाने की घोषणा पर हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं....... जानिए हाड़ोती अंचल की इस महिला साहित्यकार के बारे में

 डॉ. प्रभात कुमार सिंघल
सहज,सरल,हंसमुख साहित्यकार डॉ.कृष्णा कुमारी के काव्य सृजन का अपना निराला ही अंदाज है। उन्हें प्रकृति, चांदनी, बच्चें बहुत प्रिय है, पूजा के लिए एक भी फूल नहीं तोड़ती हैं।”अर्ध यामिनी की चांदनी के सुकोमल, पीयूषी, रेशमी अहसास” से मेरी प्रथम कविता जन्म हुआ । अन्तर्राष्ट्रीय तुलसा. ओ के 74136 यू.एस.ए. से प्रकाशित मासिक प्रत्रिका ‘रोशनी’ उर्दू में ग़ज़ले, लधु कथाएं आदि प्रकाशित होने से आपने देश के साहित्य  क्षेत्र में पहचान दिलवाई है।
 आप कविता, गीत, गज़ल, रिपोर्ताज़, स्लोगन, लघुकथा, कहानी, संस्मरण, साक्षात्कार, यात्रा वृतांत, बाल गीत, समीक्षाएँ लिखने में प्रवीण हैं। हिन्दी और राजस्थानी के साथ–साथ आप उर्दू व अंग्रजी भाषाओं की विभिन्न विधाओं में निरन्तर साहित्य सृजन में लगी हुई हैं। अंतर्मुखी प्रतिभा की एक रचना” प्रियतम, याद तुम्हारी आई” के कुछ अंशों की बानगी देखिए –
गोधूलि अम्बर पर लुकछिप,
मेघ सुहाने पल में छाए।
सांझ-वधू की छमछम सुनकर,
नभ में इन्द्रधनुष मुसकाए ।
स्नेह और दीपक ने मिलकर,
गेह - गेह जब ज्योति जलाई।
प्रियतम, याद तुम्हारी आई ॥
निष्ठुर मन की पुरवाई ने,
जगती पर आंचल फैलाया।
सतरंगी सपने पलकों में,
लिए कौन आंगन में आया
विदा प्रेयसी से होकर जब,
चातक ने निज रात बिताई।
प्रियतम याद तुम्हारी आई ॥

आपकी साहित्यिक रचनाएं कई शोध- ग्रन्थों , संदर्भ ग्रन्थों एवं गु.ना.देव वि.वि..की एम.फिल में अनुशांसित पुस्तकों में विस्तृत परिचय एवं रचनायें प्रकाशित हुई हैं। साहित्य सृजनशीलता के साथ – साथ आप संगीत, वादन एवं चित्रकला में विशेष रूचि रखती हैं। आपकी पेंटिंग्स और रेखा चित्र कई पुस्तकों एवं पत्रिकाओं के आवरण पृष्ठ बने हैं। भारतीय साहित्य परिषद शाखा कोटा द्वारा सुरेश वर्मा ने “श्रीमती कृष्णा कुमारी का साहित्य में योगदान” पर मोनोग्राफ प्रकाशित किया।”अब चुप नहीं रहूंगी ” वन्य जीव संरक्षण विषयक एकांकी पर एक छात्र ने पंजाब के विश्व विद्यालय से एम.फिल किया।
        कविता और ग़ज़ल विधा में पारंगत लेखिका की एक गज़ल का एक लाजवाब नमूना प्रस्तुत है ……
दिल लगाने की बात करते हो।
किस ज़माने की बात करते हो।
लोग पानी को जब तरसते हैं,
मय पिलाने की बात करते हो,
आंसुओं से दो भर दिया दामन,
मुस्कुराने की बात करते हो।
क्यूँ घड़ी, भर की रोशनी के लिये
घर जलाने की बात करते हो।
प्रेम की गहराइयों को बताती एक गज़ल यूं कहीं आपने, कुछ अंश……
बारिशों में भीग जाना इश्क़ है।
गीत कोई गुनगुनाना इश्क़ है।
नाज़ से पलकें उठा कर देखना,
शर्म से नज़रें झुकाना इश्क़ है।
राह को इक टक तके जाना युँ ही,
मन ही मन कुछ बुदबुदाना इश्क़ है।
होश गर बाक़ी रहे तो प्रेम क्या,
बेर चख-चख कर खिलाना इश्क़ है।
इश्क़ के दरिया में ‘कमसिन’ डूब कर,
आतिशे-दिल में नहाना इश्क़ है।

 आपकी 1995 में पहली पुस्तक “मैं पुजारिन हूँ” कविता संग्रह के रूप में प्रकाशित हुई। वर्तमान समय तक यह यात्रा निरंतरता लिए जारी है और 14 पुस्तकों का प्रकाशन साहित्य जगत की पूंजी बन गई हैं। वर्ष 2002 में “प्रेम है केवल ढाई आखर”, 2003 में “कितनी बार कहा है तुमसे ‘ काव्य संग्रह, 2004 में गज़ल संग्रह…. तो हम क्या करें”, 2006 में “ज्योतिर्गमय” और कहानी संग्रह “ स्वप्निल कहानियाँ”, 2009 में यात्रा वृत्तांत “आओ नैनीताल चलें”, 2014 में बाल गीत संग्रह “जंगल मे फाग”, 2008 में साक्षात्कार ’कुछ अपनी, कुछ उनकी’ साक्षात्कार एवं ‘नागरिक चेतना’ दीर्घ निबन्ध, 2022 में ‘हरित पगडंडी पर’ एवं ‘बहुत प्यार करते हैं शब्द’ पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं। कई रचनाओं का अंग्रेजी, उर्दू व गुजराती भाषाओं में अनुवाद प्रकाशित हुआ है। 
प्रेम की अनुभूति कराती लेखिका की कुछ पंक्तियां भी दृष्टव्य हैं …….
प्रेम है
नयनों के संवाद
होठों पर होठों की / अणुभर छुअन
गीत की अधूरी पंक्ति या
काग़ज़ पर खिंची हुई
आड़ी-तिरछी लकीरें / अनगढ़ रेखाचित्र
देवदार के तने पर गुदे हुए
दो नाम / हथेली पर लिखी इबारत
दीवारों पर बनी सहस्त्रों खड़ी रेखायें
चट्टानों की गहन परतों में / दबा इतिहास
प्रेम है एक ही जगह टकटकी लगाए देखना
प्रहरों खड़े रहना मुंडेर पर/ गुनगुनाना कोई पंक्ति बारम्बार.।
पुस्तक लेखन के साथ – साथ आपने करीब 100 से अधिक पुस्तकों की समीक्षा कर साहित्यकारों को सम्मान दिया। विभिन्न राष्ट्रीय एवं राज्य स्तरीय पत्र – पत्रिकाओं और संकलनों में भी आपकी हजारों रचनाएँ प्रकाशित हो चुकी हैं। शिक्षा निदेशालय बीकानेर द्वारा “शिक्षक दिवस” पर प्रकाशित पुस्तक श्रृंखला में लगातार रचनाएँ प्रकाशित हुई हैं।
      जीवन का वह पल गौरवपूर्ण रहा जब आपको एयर इण्डिया एवं राजस्थान पत्रिका द्वारा आयेजित ‘रेन्क एण्ड बोल्ट’ प्रतियोगिता मे जिला स्तरीय एवं राज्य स्तरीय प्रथम पुरस्कार प्राप्त हुआ और साथ ही सिंगापुर की यात्रा का अवसर। वह पल भी आपके लिए चिरस्मरणीय रहा जब 2008 के शिक्षक दिवस पर आपको महामहिम राज्यपाल द्वारा श्रेष्ठ शिक्षक के रूप में सम्मानित किया गया। आपको देश की कई साहित्यिक संस्थाओं द्वारा विशिष्ट अलंकरणों से सम्मानित और पुरस्कृत किया जा चुका है।
परिचय 
 डॉ.कृष्णा कुमारी का जन्म प्रभु लाल वर्मा के परिवार में हुआ। आपने एम.ए., एम.एड., (मेरिट अवार्ड) साहित्य रत्न. आयुर्वेद रत्न एवं बी.जे.एम.सी की शिक्षा प्राप्त की। “बाल साहित्यकार दीनदयाल शर्मा का रचना कर्म : एक समालोचनात्मक अध्ययन” विषय पर कोटा विश्वविद्यालय से पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की है।  अनेक प्रतियोगियों में भी अपने कई पुरस्कार जीते हैं। आकाशवाणी केंद्र कोटा और जयपुर एवं दूरदर्शन से समय- समय पर रचना पाठ और वार्ताएं की गई और अनेक कवि सम्मेलनों, मुशायरो में भागीदारी की है। आप कई संस्थाओं से जुड़ी हैं।


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