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रेल्वे लोको पायलट ने करवाया पत्नि का नेत्रदान

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25 Apr 19
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रेल्वे लोको पायलट ने करवाया पत्नि का नेत्रदान

केंद्रीय विद्यालय एक,स्टेशन रोड के पास विध्या-विहार कॉलोनी निवासी 54 वर्षीया श्रीमति जयश्री भट्ट की घर पर ही अचानक तबियत खराब होने के बाद मृत्यु हो गयी । इनके पति श्री महेंद्र भट्ट जी रेल्वे विभाग में लोको पायलट के पद पर कार्यरत है व एकलौता पुत्र ध्रुव भट्ट राजकीय चिकित्सालय भीमगंजमण्डी में,फार्मासिस्ट के पद पर कार्यरत है । अचानक सुबह माँ के देहांत ही जाने के बाद घर के सभी सदस्य घबरा गए,ध्रुव तुरंत जाकर अपने चिकित्सालय से तुरंत डॉ सुधीर उपाध्याय को घर पर लेकर आये, जहाँ प्राथमिक परीक्षण के उपरांत उनको 

मृत घोषित कर दिया गया।  

 

डॉ साहिब के जाने के बाद,महेंद्र जी के उदास मन में,पत्नि के पार्थिव-शव को देखते हुए विचार आया, कि क्यूँ न जयश्री के नेत्रदान करवा दिये जायें,जिससे कम से कम उसकी आँखो से कम से कम दो दृष्टिहीन जरूरत-मंद लोगों को रौशनी मिल सकेगी,और हमको भी यह सुकून रहेगा कि,भले ही मेरी पत्नि दुनिया में नहीं रही हो,पर नेत्रदान ही एक ऐसा ज़रिया है,जिसके माध्यम से इसका जीवन दूसरों के काम आ सकेगा । 

 

विचार आते ही उन्होंने अपने फार्मासिस्ट बेटे ध्रुव को बुलाकर,जयश्री जी के नेत्रदान करवाने की बात कहीं । बेटे ने दुबारा डॉ सुधीर उपाध्याय जी को संपर्क कर नेत्रदान करवाने की बात की । डॉ साहिब ने नेत्रदान-अंगदान के लिये 8 वर्षों से संभाग स्तर,पर अनवरत काम कर रही संस्था शाइन इंडिया फाउंडेशन को संपर्क किया । थोड़ी देर में ही संस्था के ज्योति-मित्र व स्टेशन क्षेत्र के आरिफ मोहम्मद (कहकंशा मुस्कान संस्था के अध्यक्ष) व आई बैंक के तकनीशियन उनके निवास पर पहुँच गये । 

 

उपस्थित पडौसी व रिश्तदारों के मन मे यह शंका थी कि,नेत्रदान की प्रक्रिया के लिये फिर पार्थिव शरीर को वापस अस्पताल में ले जाना पड़ेगा,और शायद नेत्रदान की प्रक्रिया में समय भी काफी लग जायेगा । इस पर संस्था सदस्यों ने समझाया कि नेत्रदान की प्रक्रिया का कुल समय सिर्फ 10 से 15 मिनट का होता है,और इस नेत्रदान की प्रक्रिया को घर ,अस्पताल व मुक्ति-धाम में कहीं भी किया जा सकता है । यह जानकारी मिलने के बाद उपस्थित सभी सदस्यों ने नेत्रदान की सम्पूर्ण प्रक्रिया को अपने सामने देखा । 

 

गर्मियों में ध्यान रखने योग्य बात: 

1. यदि परिजन की मृत्यु के बाद नेत्रदान का निर्णय ले चुके है, तो अतिशीघ्र 8386900101-102 पर कॉल करें ।

2. टीम के आने तक आँखे पूरी तरह बंद रखें ।

3. आँखों पर गीली पट्टी रखें ।

4. पार्थिव शव के ऊपर का पंखा बंद रखें । 

5. सिर के नीचे तकिया रखें ।


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