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चार साल की मासूम साक्षी को आरबीएसके से मिला नवजीवन

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18 Aug 18
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चार साल की मासूम साक्षी को आरबीएसके से मिला नवजीवन कोटा (सरफराज खान) । शहर के गणेश नगर में रहने वाली चार साल की मासूम साक्षी को सरकार के राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) से नई जिंदगी मिली है। साक्षी जन्म से ही दिल में छेद की गंभीर बीमारी की चपेट में थी। कार्यक्रम के तहत उसका जयपुर के एक प्राइवेट अस्पताल नारायणा में 14 अगस्त को निषुल्क ऑपरेशन किया गया। अब वह पूरी तरह स्वस्थ है। साक्षी के पिता चन्द्रप्रकाष एक कॉचिंग संस्थान में मजदूरी कर जैसे-तैसे घर चलाते हैं। कमजोर आर्थिक हालातों से जूझते इस परिवार के लिए इससे बड़ी राहत की बात नही हो सकती थी। क्योंकि इस बीमारी के ऑपरेषन में 1 से 1.5 लाख रूपयों का खर्ता आता है। जिसे यह परिवार वहन नही कर सकता था। ऐसे में बेटी के निषुल्क इलाज से अब इस परिवार में खुशियों का माहौल है।
आरसीएचओ डॉ महेन्द्र त्रिपाठी ने बताया कि आरबीएसके की अर्बन मोबाइल हैल्थ टीम - बी के डॉ आरती गुप्ता, डॉ मनीष नागर व योगेंद्र ने साक्षी को क्षेत्र की आगनबाड़ी केंद्र में स्क्रीनिंग के दौरान चिन्हित कर जिला स्तर पर रेफर किया था। डीईआईसी स्टाफ ने उसकी न्यू मेडिकल कॉलेज चिकित्साल में आवष्यक जांचे करवाई तो बच्ची के जन्मजात दिल मे छेद की बीमारी से ग्रसित होने का पता चला था। इसके बाद विभागीय स्तर से ऑपरेषन की कवायद शुरू कर साक्षी को जयपुर भिजवाया गया था। बेटी के सफल ऑपरेषन के बाद पिता चन्द्रप्रकाष ने आरबीएसके मोबाइल हैल्थ टीम व डीईआईसी स्टाफ का आभार व्यक्त किया।
आरसीएचओ ने बताया कि कार्यक्रम के तहत जिले में अब तक इस वर्ष मोबाइल हैल्थ टीमों ने 1441 संस्थानों पर जाकर 56 हजार से अधिक बच्चो की स्क्रीनिंग की। इस दौरान 3945 बच्चो को अलग-अलग बीमारियों में चिन्हित कर उच्च चिकित्सा संस्थानों पर रेफर किया गया था। इनमे से 3266 बच्चो का अब तक उपचार करवाया जा चुका है। उन्होने बताया कि वर्ष 2018-19 के दौरान अब तक दिल मे छेद से ग्रसित 76, कोकिलियर इम्प्लांट के 6 व 45 अन्य बीमारियों से ग्रसित बच्चों के निषुल्क ऑपरेषन करवाकर कोटा ने प्रदेश में पहला मुकाम हांसिल किया है।
डॉ त्रिपाठी ने बताया कि कार्यक्रम के तहत सरकारी स्कूलों, मदरसों एवं आंगनबाड़ी केंद्रों में पंजिकृत जन्म से 18 वर्ष तक की उम्र के बच्चों का जन्मजात विकृतियों समेत 38 तरह की बीमारियों में निषुल्क उपचार करवाया जा रहा है। उन्होने बताया कि समय-समय पर राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत जिले में इस तरह के शिविर आयोजित किए जाते हैं, जिसमे बच्चों की स्क्रीनिंग करने के साथ ही उन्हें स्वास्थ्य के संबध में जागरूक भी किया जाता है। डीआईईसी मैनेजर दीलिप ने बताया कि आबीएसके की बदौलत राजकीय चिकित्सालयों सहित सूचीबद्ध निजी अस्पतालों के सहयोग से रोग ग्रसित बच्चों को निःशुल्क उपचार मिल पा रहा है।
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