
कोटा | चम्बल नदी के किनारे राजस्थान एतिहासिक कोटा शहर की विश्व के सेवन वंडर्स पार्क से नई पहचान बन गई है। पार्क की खूबसूरत लोकेशन की वजह से ही अब इस और फिल्मकारों का ध्यान आकर्षित हुआ है। हाड़ोती में अनेक आकर्षक लोकेशन है।पार्क में " बद्रीनाथ की दुल्हनिया" शूटिंग की गई जो खासी लोकप्रिय हुई।बारां ज़िले के शेरगढ़ फोर्ट में" कप्तान"की शूटिंग की जा रही है।आप ने कहीँ नई जगह घूमने का कार्यक्रम बना रहे तो चले आइये कोटा एक ऐसे अनूठे पार्क को देखने जहाँ विश्व के सात आश्चर्यो की अनुकृति एक ही स्थान पर सुंदरता के साथ देखने को मिलती है।
शहर के मध्य बने किशोर सागर के किनारे पानी मे पार्क का झिलमिलाते प्रतिबिम्ब की आभा से उभरता खूबसूरत नज़ारा देखते ही बनता है। कोटा में इस अद्भुत पर्यटन स्थल का विकास पूर्व मंत्री शांति कुमार धारीवाल की कल्पना का साकार रूप है।शाम होते-होते यह पार्क देखने वालों की चहल कदमी से आबाद हो जाता है।पार्क के नज़ारो एवम् खूबसूरती को कैद करने के लिए मोबाईल चमक उठते है।पार्क में हरे भरे लॉन एवम् पैदल चलने के लिए सुन्दर परिपथ बनाये गए है।
पार्क में प्रवेश करने पर नज़र ठहरती है एक बड़ी सी गोल संरचना
पर जिसे "कॉलेसियम" कहते है।यह रोम् में बने विशाल खेल स्टेडियम की अनुकृति है।इसे रोम में 1970 के दशक में बनवाया गया था जिसमें 50 हज़ार लोगों के लिए जगह थी।
जब आगे बढ़ते है तो मिश्र में काहिरा के उप नगर गीजा तीन पिरामिडों में एक" ग्रेट पिरामिड" जो विश्व के सात आश्चर्यो में है की पतिक्रति बनाई गई है। इसे मिश्र के शासक खुफु के चौथे वंश द्वारा अपनी कब्र के रूप में2560 ईसा पूर्व बनवाया था। करीब 450 फ़ीट ऊँचे एवम् 43 सीढ़ियों वाले पिरामिड को बनाने में 23 वर्ष का समय लगा।पिरामिड का आधार 13 एकड़ क्षेत्रफल में बना है।
समीप ही बनाया गया है दुनिया में प्रेम की निशानी के रूप में प्रसिद्ध भारत में आगरा स्थित "ताजमहल" का नमूना। मुग़ल बादशाह शाहजहाँ ने इसे अपनी प्रिय बेगम मुमताज महल की याद में बनवाया था। सफेद संगममर से बने खूबसूरत स्मारक का निर्माण कार्य 1632 ई.में शुरू किया गया जिसे पूरा करने में15 वर्ष लगे। इस विश्व प्रसिद्ध भवन के पीछे यमुना नदी बहती है एवं चारो तरफ आकर्षक उधान एवम् फव्वरें इसे और भी न्याभिराम बना देते हैं।
इसी के पास नज़र आता है न्यूयार्क के "स्टेच्यू ऑफ़ लिबर्टी" की सुंदर मूर्ति का साकार रूप। यह मूर्ति न्यूयार्क के हार्बर टापू पर ताम्बे से बनी है। मूर्ति 151 फ़ीट ऊँची है तथा चौकी एवम् आधार को मिला कर 305 फ़ीट है।मूर्ति के ताज तक पहुचने के लिए 354 सीढ़िया बनाई गई है। मूर्ति एक हाथ को ऊचा कर जलती मशाल लिए है तथा दूसरे हाथ में किताब लिए है।मूर्ति अमेरिकन क्रन्ति के समय दोस्ती की यादगार के रूप में फ़्रांस ने1886 ई.में अमेरिका को दी थी।प्रतिमा का कुल वजन 225 टन है।ताज में 7 कीलें लगी हैँ।प्रत्येक कील की लम्बाई 9फ़ीट एवम् वजन 86 किलो हैं। इस का पूरा नाम "लिबर्टी एनलाइटिंनिंग द वर्ल्ड अर्थात स्वतंत्र संसार को शिक्षा प्रदान करती है" है।
यहीँ से सामने नज़र आती है लम्बाई लिए इटली की झुकी हुई"पीसा की मीनार" जो रात्रि में रौशनी में अत्यंत सूंदर लगती है।इटली में जहां यह मीनार बनी है सात मंजिल की है जमीं से जिस तरफ झुकी है 55.86 मीटर तथा ऊपर की तरफ से56.70 मीटर है।दीवारों की चौड़ाई आधार पर4.09 मीटर एवम् टॉप पर2.48 मीटर है।इसका वजन 14,500 मेट्रिक टन है।मीनार का निर्माण14 अगस्त 1173 ई. में प्रारम्भ हुआ एवम् 199 वर्ष में तीन चरणों में पूरा हुआ।
आगे चलने पर एक और क्राइस्ट द रिडीमर एवम् दूसरी ओर एफिल टावर की अनुकृति दिखाई पड़ती है। क्राइस्ट द रिडीमर (उद्धार कर ने वाले) की प्रतिमा ब्राज़ील में एक पहाड़ी के ऊपर बनाई गई है।सीमेंट एवम् पत्थर सेबनी यह मूर्ति दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी मूर्ति मानी जाती है।मूर्ति की उचाई130 फ़ीट है एवम् इसे 1922 से1931 ई. के मध्य बनवाया गया।
पार्क में 130 वर्ष पुराना पेरिस के एफिल टावर की नीव 26 जनवरी 2887 को शोदे मार्स ने रक्खी थी।लोहे से बना होने से इसे"आयरन लेडी"कहा जाता है। एफिल टावर 300 मीटर ऊँची होने से दुनिया की सबसे ऊँची रचना का ख़िताब प्राप्त है। इस के निर्माण में 7 हज़ार 300 टन लोहे का उपयोग किया गया है। विश्व की इस लोकप्रिय साईट पर अनेक फिल्मों की शूटिंग की जा चुकी है।
विश्व की इन सभी लोकप्रिय आश्चर्यो को एक ही स्थान पर कोटा शहर में एक पार्क में देखने के साथ इस से जुड़े किशोर का सौंदर्य आकर्षण का केंद्र है। इस के दूसरे छोर पर खूबसूरत बारादरी और घाटो के साथ शाम को 7.00 बजे आयोजित होने वाला "म्यूजिकल फाउंटेन" शो की आभा के आकर्षण जुड़े है।समीप ही छत्रविलास उधान,चिड़ियाघर,राजकीय संग्रहालय,कला दीर्घा एवम क्षारबाग की कलात्मक छतरियाँ जिन्हें कोटा के शासको की याद में बनाया गया है पर्यटकों के लिए दर्शनीय स्थल है।तालाब के मध्य जगमंदिर को देखने के लिए नोकायन् का भी अलग मज़ा है।
किशोर सागर की खूबसूरत झील का निर्माण 14 वीं सदी में बूंदी के राजकुमार धीर देव ने कराया था।किशोर सागर का सम्पूर्ण परिक्षेत्र आज "शान-ए-कोटा" बनगया है। इस परिक्षेत्र में कई धार्मिक स्थल भी आस्था के केंद्र है। बिजली की रौशनी में जगमगाता किशोर सागर का सीन पेरिस से कम नही लगता। इसे कोटा का मेरीन ड्राइव भी कहे तो अतिश्योक्ति नही होगी।
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