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जीवोत्थान - पंचांगम् 31/05/2020,- रविवार

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30 May 20
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जीवोत्थान - पंचांगम् 31/05/2020,- रविवार

Dainikam Jeevotthan Panchangam, Sanskaritam -  दिनांके -(आँग्ल) 31/05/2020,-
रविवार
राष्ट्रीय भारतीय दिनांक - 10/03/1942
10ज्येष्ठ 1942)
भारतीय पंचांगं दिनांक
24/03/2077( इसे यहाँ निम्नानुसार लिखा है - सूर्योदयी तिथि सौरतः कृष्ण पक्षतः या गताग्र /पूर्णिमांत चैत्रादि मास /विक्रम संवत्|तिथि /मास में वृद्धि पर +, क्षय पर - अंकित, स्थानीय व्यवस्था) 
सौर ज्येष्ठ  , शुक्ल पक्ष।
ग्रीष्म ऋतु। उत्तर गोलायन।
तिथि नवमी17:36:13तक।तदग्रे 1 0
पक्ष शुक्ल
नक्षत्र उत्तर फाल्गुनी27:00:02*तक।
योग वज्र16:28:29तक।
करण बालव06:49:13 तक।
करण कौलव17:36:13 तक।
करण तैतिल28:18:32*
वार
रविवार
माह (अमावस्यांत)ज्येष्ठ
माह (पूर्णिमांत)ज्येष्ठ
चन्द्र राशि सिंह 10:18:02 तक।
चन्द्र राशि  कन्या 10:18:02 से।
सूर्य राशि  वृषभ
विक्रम संवत् 2077
शकाब्द 1942
सूर्योदय05:47:45
सूर्यास्त19:18:21
दिनमान 13:30:35
रात्रीमान 10:29:15
चंद्रोदय13:40:38
चंद्रास्त26:24:10*
लग्न सूर्योदयी  वृषभ15°53' ,
सूर्य नक्षत्र रोहिणी
चन्द्र नक्षत्र उत्तर फाल्गुनीपद,
नामकरण
चरण1 टे उत्तर फाल्गुनी10:18:02 तक।
2टो उत्तर फाल्गुनी15:53:13
3 पा उत्तर फाल्गुनी21:27:11
4 पी उत्तर फाल्गुनी27:00:02*
मुहूर्त
राहुकाल17:37 - 19:18अशुभ
यमघंटा12:33 - 14:14अशुभ
अभिजित् 12:06 -13:00शुभ
दूर मुहूर्त17:30 - 18:24अशुभ
चोघडिया, दिन
उद्वेग05:48 - 07:29अशुभ
चर07:29 - 09:10शुभ
लाभ09:10 - 10:52शुभ
अमृत10:52 - 12:33शुभ
काल12:33 - 14:14अशुभ।
शुभ14:14 - 15:56शुभ
रोग15:56 - 17:37अशुभ
उद्वेग17:37 - 19:18अशुभ
चोघडिया, रात
शुभ19:18 - 20:37शुभ
अमृत20:37 - 21:56शुभ
चर21:56 - 23:14शुभ।
रोग23:14 - 24:33*अशुभ
काल24:33* - 25:52*अशुभ
लाभ25:52* - 27:10*शुभ
उद्वेग27:10* - 28:29*अशुभ
शुभ28:29* - 29:48*शुभ
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आकाशदर्शन/स्वाध्याय बोध ,-रवियोग श्रीमहेश नवमी । व्यापार उद्योग शिक्षा-तकनीकी एवं न्याय विद्वत् सज्जन में किसी प्रकरण में सुधार । जल तत्व तथा पूर्व दिशा प्रभावित। वृषार्क,। ##############
*अन्तिम कालम अन्त  समाप्तिकाल है।   
*समय आधी रात के बाद, लेकिन अगले दिन के सूर्योदय से पहले। तिथि - वार- नक्षत्र - योग - करण पंचांग में किसी के अशुभ प्रभाव में शुभाधिक्यता में सुयोग की तथा भद्रादि के यथा परिहार की मान्यता प्रचलित। कहीं स्थानीय यथाव्यवस्था देशाचारीय मान्यता से व्रतपर्वोत्सवोंकी व्यावहारिकता प्रचलित । जीवोत्थान स्थानीय देशान्तर - अक्षांश पर संगणित। विशेषार्थ आपके स्थलीय पंचांग दृष्टव्य।  


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