जैसलमेर। कृषि विज्ञान केन्द्र जैसलमेर के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ दीपक चतुर्वेदी ने बताया कि यह अभियान का मुख्य उद्देश्य खरीफ फसलों मैं उत्पादकता बढ़ाना और कृषकों की खेती में लागत को कम करना हे। साथ ही उन्होंने बताया कि केंद्र के वैज्ञानिक डॉ चारु शर्मा, डॉ बबलू शर्मा एवं काजरी के वैज्ञानिक डॉ. सुगन चंद मीणा, डॉ अनिल पाटीदार द्वारा किसानों के साथ सीधा संवाद स्थापित कर उनसे क्षेत्र की खरीफ के मौसम की फसलों में किसानों की समस्याएं क्षेत्र की जलवायु, मिट्टी, पानी आदि को ध्यान में रखते हुए किसानों को उन्नत कृषि सलाह दी गई। किसानों को सही फसलो, उन्नत किस्मों के चयन और उर्वरकों का उचित उपयोग कैसे करना है इसके लिए वैज्ञानिक सलाह दी गई। गांव गांव और विभिन्न भौगोलिक विशेषता वाले जैसलमेर जिले की मूंगफली ग्वार मोठ मूंग बाजरा फसलों के उन्नत बीजों की उपलब्धता, किस्मों के प्रकार, फसलों में पहले से रोगों के प्रबंधन, खरपतवार नियंत्रण जैसे विभिन्न विषयों पर किसानों की समस्या का समाधान किया गया। इसके साथ ही रोगों पर अनावश्यक दवाइयों के खर्च को रोकने में सक्षम जैविक उपचारों एवं प्रबंधन तकनीकों पर विस्तार से चर्चा की गई। कृषि यंत्रों पर उपलब्ध अनुदानों, डिग्गी निर्माण, सोलर फॉर्म पौंड, बागवानी की विभिन्न फसलों में किसानों को दी जाने वाली सुविधाओं पर उचित जानकारी प्रदान की गई।
राष्ट्रीय अभियान के तहत प्राकृतिक खेती को बढ़ाने के लिये जीवामृत, बीजमृत दशप्रणीय अर्क आदि तकनीकों के बारे में किसानों को उपयोग के तरीके पर चर्चा की। इस अभियान के तहत अनुसंधान को किसानों से जोड़कर कृषि क्षेत्र को अधिक उन्नत, सत्त और उपयोगी बनाने की दिशा में ठोस प्रयास किए जा रहे हैं।