विश्व हाइपरटेंशन दिवस के अवसर पर मधुबन कॉलोनी स्थित शहरी आयुष्मान आरोग्य मंदिर (जनता क्लिनिक) में एक जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें हाई ब्लड प्रेशर जैसी गंभीर लेकिन अक्सर नजरअंदाज की जाने वाली बीमारी के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता प्रभारी चिकित्सक डॉ. मुनव्वर हुसैन जी रहे, जिन्होंने हाइपरटेंशन को ‘धीमे ज़हर’ की तरह बताया, जो बिना शोर किए शरीर के कई महत्वपूर्ण अंगों को नुकसान पहुंचाता है।
डॉ. मुनव्वर जी ने अपने संबोधन में बताया कि आज के दौर में हाई ब्लड प्रेशर सिर्फ बुज़ुर्गों की बीमारी नहीं रह गया है, यह युवाओं को भी तेजी से अपनी चपेट में ले रहा है। इसकी मुख्य वजहें बदलती जीवनशैली, अत्यधिक तनाव, भोजन में नमक का अधिक उपयोग, धूम्रपान, तंबाकू और शराब का सेवन, अनियमित खानपान, शारीरिक मेहनत की कमी और नींद पूरी न होना हैं। उन्होंने कहा कि लोग अक्सर सिर दर्द, चक्कर आना, चिड़चिड़ापन या थकान जैसे लक्षणों को नजरअंदाज कर देते हैं, जबकि ये हाई बीपी के शुरुआती संकेत हो सकते हैं।
कार्यक्रम के दौरान उन्होंने यह भी बताया कि कैसे समय रहते पहचान और इलाज न होने पर हाइपरटेंशन हार्ट अटैक, ब्रेन स्ट्रोक, किडनी फेलियर और आंखों की रोशनी तक छीन सकता है। उन्होंने यह भी समझाया कि हाइपरटेंशन की स्थिति में 'लाइफस्टाइल मॉडिफिकेशन' अत्यंत आवश्यक है जिसमें संतुलित आहार, नियमित व्यायाम, तनाव नियंत्रण और दवाओं का सही समय पर सेवन शामिल है।
इस मौके पर सीनियर नर्स शर्ली जॉय जी ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि उन्होंने अपने कार्यकाल में कई बार यह देखा है कि मरीज ब्लड प्रेशर को सामान्य मानकर लापरवाही करते हैं, लेकिन जब समस्या बढ़ती है, तब गंभीर परिणाम सामने आते हैं। उन्होंने कहा कि कई बार ऐसे मरीज आते हैं जिनका अचानक बीपी बहुत बढ़ जाता है और उन्हें इमरजेंसी में भर्ती करना पड़ता है। उन्होंने सभी से आग्रह किया कि वे समय-समय पर ब्लड प्रेशर की जांच कराएं और डॉक्टर की सलाह के अनुसार उपचार लें।
कार्यक्रम के दौरान उपस्थित मरीजों और उनके परिजनों ने डॉक्टर से सीधे सवाल पूछे, जिनका उत्तर डॉ. मुनव्वर जी ने बहुत सरल भाषा में देकर लोगों की शंकाओं को दूर किया। आयोजन में क्लिनिक के अन्य स्टाफ सदस्यों अल्का लबाना, पुष्पा शर्मा, हिमांशु ताबियार, रुचिता चौधरी, सूरज राठौड़ और पंकज जी ने भी सक्रिय सहभागिता निभाई।
कार्यक्रम का मुख्य संदेश यही था कि हाइपरटेंशन को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। यह कोई छोटी बीमारी नहीं लेकिन समय रहते पहचाने जाने पर नियत्रण में ली जा सकती हे