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29वीं सिन्धु दर्शन यात्रा: देशभक्ति और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक

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15 Jun 25
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29वीं सिन्धु दर्शन यात्रा: देशभक्ति और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक

लेह-लद्दाख में आयोजित 29वीं सिन्धु दर्शन यात्रा इस वर्ष भी राष्ट्रीय एकता, सांस्कृतिक गौरव और देशभक्ति की भावना को सजीव करने जा रही है। इस पावन यात्रा में देश के विभिन्न राज्यों से लगभग 3,000 श्रद्धालु हिस्सा लेंगे, जो सिन्धु नदी के तट पर एकत्र होकर भारत की विविधता में एकता और आध्यात्मिक आस्था का संदेश देंगे।

पृष्ठभूमि:

सिन्धु दर्शन यात्रा की शुरुआत वर्ष 1997 में लद्दाख के सांसद श्रीयुक्त लद्दाखी और लालकृष्ण आडवाणी जी के मार्गदर्शन में हुई थी। इस यात्रा का उद्देश्य था कि भारतीय नागरिकों को यह स्मरण कराया जाए कि सिन्धु नदी, जो कि भारत की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक पहचान का आधार है, आज भी भारत में प्रवाहित हो रही है – विशेष रूप से लद्दाख में।

यह यात्रा न केवल धार्मिक महत्व रखती है, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक विरासत, राष्ट्रप्रेम, और हिमालयी क्षेत्र में सैन्य बलों के बलिदान को भी सम्मान देने का एक माध्यम है। श्रद्धालु तिरंगा लेकर यात्रा में शामिल होते हैं और सिन्धु नदी की पूजा कर देश के लिए सुख-शांति की प्रार्थना करते हैं।

इस वर्ष की विशेषताएं:

तीन हजार से अधिक यात्री देशभर से शामिल होंगे।

सांस्कृतिक कार्यक्रम, राष्ट्रीय ध्वज फहराना, और सैनिकों को सम्मान जैसी गतिविधियाँ आयोजित की जाएंगी।

लेह प्रशासन, सेना और सामाजिक संगठनों का सहयोग इस आयोजन को सफल बनाने में लगा हुआ है।

आयोजकों की बात:

प्रदेश उपाध्यक्ष रमन सुद ने बताया कि यह यात्रा केवल एक धार्मिक यात्रा नहीं, बल्कि यह हर भारतीय के भीतर देश के प्रति समर्पण और गर्व की भावना को पुनः जागृत करती है।
प्रदेश महामंत्री अरविन्द जारौली ने कहा कि यह यात्रा हमें हमारी जड़ों की याद दिलाती है और राष्ट्र की एकता को मजबूत करती है।

 

 


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