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कलांगन शिवम् में शिल्प कृतियों के मध्य हुआ रंगतरंग

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09 May 24
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कलांगन शिवम् में शिल्प कृतियों के मध्य हुआ रंगतरंग


 नेशनल गैलरी ऑफ मॉडर्न आर्ट, नई दिल्ली के पूर्व महानिदेशक व अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त मूर्तिकार अद्वैत गणनायक ने कहा है कि संचार क्रांति व डिजीटल मीडिया के कारण कला और कलाकार को अपने कला-कौशल के दम पर चुनौतियों का सामना करना होगा।


 
  गणनायक लेकसिटी में प्रस्तर शिल्प कृतियों के अनूठे संग्रहालय सुखेर स्थित कलांगन शिवम् में गीत-संगीत व चित्रों भरी शाम ‘रंगतरंग’ के तहत कला संवाद में कलाकारों व कला प्रेमियों को संबोधित कर रहे थे।

 
इस मौके पर उन्होंने कलाकारों से आह्वान किया कि वे अपना जड़ों से जुड़े और कलाभ्यास करें। कलाकृति सृजन में जब तक पूर्ण मनोयोग, निरंतर प्रयास व अभ्यास न होगा तब तक न तो कलाकार को संतुष्टि प्राप्त होगी और न ही कलाकृति में निखार आएगा। उन्होंने कलाकारों को आश्वस्त किया कि जल्द ही उदयपुर के कलाकारों के साथ मिलकर एक अद्वितीय प्रोजेक्ट का क्रियान्वयन किया जाएगा।  

 
आरंभ में शिवम् के संस्थापक व कार्यक्रम संयोजक सृजनधर्मी शिक्षक व प्रस्तर शिल्पकार हेमंत जोशी ने अतिथियों का स्वागत किया और कलांगन व इस प्रकार के आयोजन के उद्देश्य पर प्रकाश डाला।
मुख्य अतिथि ने कलांगन शिवम् में प्रदर्शित प्रस्तर शिल्प कृतियों का अवलोकन किया और शिल्पकार हेमंत जोशी के कला-कौशल को अद्भुत बताया। कार्यक्रम का संचालन कपिल पालीवाल ने किया जबकि आभार प्रदर्शन की रस्म सुनील लड्ढा ने अदा की।

 
कला में भी मार्केटिंग जरूरी:  


इस मौके पर गणनायक ने स्थानीय कलाकारों के सवालों के जवाब में कहा कि अन्य तमाम उत्पादों की भांति कलाकृतियों के लिए भी मार्केटिंग जरूरी है। उन्होंने स्तरीय संग्रहालयों, कला वीथियों आदि में अपनी कलाओं के बेहतर ढंग से प्रदर्शित करने और इसके माध्यम से अपनी कला को देश-दुनिया तक पहुंचाने की आवश्यकता प्रतिपादित की। उन्होंने कहा कि सरकार भी प्रयास कर रही है कि कलाकारों को संबल प्रदान करने के लिए नई-नई योजनाएं क्रियान्वित हो। उन्होंने यह भी कहा कि कलाकार का भी दायित्व है कि वह यह सुनिश्चित करें कि अपनी कला के माध्यम से राष्ट्र निर्माण में किस स्तर का योगदान दे रहा है।  


कलाकारों के समक्ष है अस्तित्व का संकट:

 
  बतौर विशिष्ट अतिथि कलाप्रेमी व युवा उद्यमी नितीज मुर्डिया ने कहा कि इन दिनों स्थानीय परंपरागत कलाओं और कलाकारों के सामने अस्तित्व बचाएं रखने का संकट आ पड़ा है। उन्होंने विदेशी और सस्ती पीवीसी कलाकृतियों के बड़े बाजार के कारण कलाकारों की कृतियों के उचित दाम न मिलने की समस्या के साथ बिचैलियों के कारण कला का पूरा-पूरा दाम न मिलने की विसंगति को भी उजागर किया। इसी प्रकार कश्ती फाउंडेशन प्रमुख श्रद्धा मुर्डिया ने कहा कि वर्तमान हालातों को देखते हुए कला व कलाकारों को संबल देने के लिए कला संरक्षण व संवर्धन से जुड़ी संस्थाओं केा आगे आने की जरूरत है। उन्होंने कश्ती फाउंडेशन के माध्यम से इस दिशा में किए जा रहे प्रयासों की जानकारी देते हुए कलाकारों से आह्वान किया कि वे अपनी कलासाधना में निरंतरता रखें और लगातार नया सृजन करते रहें।  


रंगतरंग में हुई भांति-भांति की प्रस्तुतियां:

 
 कार्यक्रम दौरान कलांगन शिवम् में बहुविध प्रस्तुतियों ने मौजूद प्रबुद्धजनों और कलाप्रेमियों को सम्मोहित कर दिया। स्थानीय कलाकारों को प्रोत्साहित करने के लिए मुख्य अतिथि अद्वैत गड़नायक ने कलाकारों की उभरती उम्मीदों पर आधारित एक पंेटिंग बनाई।  इसी प्रकार रजत कहानीवाला की कई कहानियों के साथ डाॅ. चित्रसेन का बांसुरी वादन आकर्षण का केन्द्र रहा। इसके साथ ही सनातनी साहित्यकार कपिल पालीवाल ने अपनी सनातनी शेरो-शायरी व राष्ट्रवादी विचारधारा पर आधारित कविताओं की प्रस्तुति देकर माहौल में ऊर्जा का संचार किया तो ख्यातनाम वास्तुकार व स्केच आर्टिस्ट सुनील लड्ढा के निर्देशन में अर्बन स्केचर्स ने स्कैचिंग की वहीं चित्रकार नीलोफर मुनीर ने कागज व गत्ते से हस्तशिल्प आकृतियों के निर्माण की लाइव प्रस्तुति दी। इस मौके पर विभिन्न विधाओं के कलाकारों के साथ सोशल मीडिया एक्सपर्ट्स, यू-ट्यूबर्स, चित्रकार, गीतकार-संगीतकार भी मौजूद रहे।


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