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हाड़ोती साहित्य में महिलाओं का योगदान" विषय पर होगी आगामी पुस्तक ........

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16 Mar 24
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हाड़ोती साहित्य में महिलाओं का योगदान" विषय पर होगी आगामी पुस्तक ........

कोटा / राजस्थान में हाड़ोती अंचल की कला और संस्कृति को अपने साथ लिए साहित्य की सुगंध से महकती पुस्तक " जियो तो ऐसे जियो" बहुप्रतीक्षित पुस्तक तीन माह के इंतजार के बाद सामने आई। यह एक ऐसी पुस्तक है जो प्रकाशित होने से पहले ही लोकप्रिय हो गई। हाड़ोती के प्रसिद्ध कवि और गीतकार स्व.प्रेम जी प्रेम को समर्पित यह पुस्तक  हाड़ोती अंचल की शिक्षा, साहित्य और संस्कृति क्षेत्र 99 प्रतिभाओं के व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रभावी रूप से रोशनी डाल कर विभिन्न क्षेत्रों में उनके अप्रतिम योगदान को उजागर करती है। अनेक प्रतिभाओं ने अपने तप और साधना से अथक परिश्रम से विभिन्न क्षेत्रों में स्वयं अपना और हाड़ोती का नाम राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पटल पर रोशन किया है। महिला दिवस पर पुस्तक विमोचन के साथ - साथ 11 विदुषी महिलाओं का सम्मान भी किया गया,जिन्हें मोती की माला , शाल एवं पुस्तक भेंट की गई।
    कृति से संदेश लिकलता है की हाड़ोती में हिंदी और राजस्थानी भाषा का मान बढ़ाया, साहित्य को समृद्ध कर साहित्य की सेवा की, अपने शोध और लेखन से इतिहास, पुरातत्व, भूगोल आदि क्षेत्रों को समृद्ध किया, लोक संस्कृति को जीवंत बनाए रखने में लोक कलाकारों ने  योगदान किया और विविध क्षेत्रों में अपनी प्रतिभा का परिचय दिया। स्थापित प्रतिभाओं और नवोदित प्रतिभाओं को साथ-साथ मंच प्राप्त हुआ है। इस अर्थ में यह कृति वर्तमान समय के साहित्य और संस्कृति  की दशा और दिशा को उजागर करती नज़र आती है।  वरिष्ठ साहित्यकार जितेंद्र  ' निर्मोही ' इस कृति लेखन के मुख्य सूत्रधार बने। संपादन सहयोग के रूप में सार्वजनिक मंडल पुस्तकालय की सहायक प्रभारी डॉ.शशि जैन पुस्तक से जुड़ी। कथाकार और समीक्षक विजय जोशी ने पुस्तक की भूमिका लिख कर इसका महत्व बढ़ाया। 
      आने वाली पीढ़ियों का मार्गदर्शन जाने वाली इस कृति का विमोचन पिछले दिनों  विश्व महिला दिवस की पूर्व संध्या पर 6 मार्च को राजकीय सार्वजनिक मण्डल पुस्तकालय कोटा के सभागार में महिला विमर्श के साथ महिला अथितियों द्वारा किया गया। कार्यक्रम अध्यक्ष डॉ रेणु गुप्ता वरिष्ठ चर्म रोग एवं सौंदर्य विशेषज्ञ , मुख्य अतिथि डॉ. पुरवा अग्रवाल नियंत्रक (वित्त) कोटा विश्वविधालय कोटा , विशिष्ट अतिथि डॉ. मनीषा शर्मा प्रोफेसर (हिन्दी) साहित्यकार ,श्यामा शर्मा, डॉ. संगीता देव , डॉ. कृष्णा कुमारी , डॉ प्रज्ञा गौतम , स्नेहलता शर्मा, डॉ.निशा गुप्ता तथा गेस्ट ऑफ ऑनर ख्यातनाम साहित्यकार जितेंद्र निर्मोही एवं रामेश्वर शर्मा “रामू भैया” रहे । कार्यक्रम का शुभारंभ माँ सरस्वती के चित्र पर तिलक पूजा, माल्यार्पण एवं सरस्वती वंदना के साथ किया गया। महिला स्थितियों ने कृति में शामिल प्रतिभाओं को पुस्तक भेंट की।
       कृति पर विचार रखते हुये मुख्य वक्ता वरिष्ठ कथाकार एवं समीक्षक वियजी जोशी ने कहा कि - इस कृति का शीर्षक ही इसका परिचय देने में सक्षम है, इस माने में कि जीवन तो सभी अपने-अपने स्वभावानुरूप अपनी आवश्यकता और अपेक्षानुरूप जीते हैं और जी रहे हैं तथापि इस कृति का उद्घोष कि 'जियो तो ऐसे जीयो' अपने अन्तर्निहित नाद में आमन्त्रित और अभिमन्त्रित करता है कि अपने भीतर के स्वर को तनिक अपने चिंतन की ताल से समन्वित कर जुगलबन्दी का अवसर तो प्रदान करो। तब स्वयं ही अनुभूत करोगे कि कैसे यह जुगलबन्दी आपके नैसर्गिक तत्वों को झंकृत कर  जीवन जीने के कौशल को विकसित करने का मार्ग प्रशस्त करती है।
     मुख्य अतिथि डॉ. पुरवा अग्रवाल ने कहा कि लैंगिक समानता के लिए आवश्यक है कि बेटियों को आत्मनिर्भर बनाए । अध्यक्षता कर रही डॉ. रेणु गुप्ता ने कहा कि भारत की नारी पृथ्वी पर किसी की तुलना में न तो हीन है, न दीन है। सम्पूर्ण जगत में उसकी अमर कीर्ति युगों-युगों तक कभी लुप्त नहीं होगी यानी सदैव बनी रहेगी। साहित्यकार श्यामा शर्मा, डॉ.कृष्णा कुमारी ने महिला अधिकारों को समर्पित काव्यपाठ और झालावाड़ जिले से आए राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त अशोक सोनी और 101 वाद्य बजाने का वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने वाले सौरभ सोनी ने संगीतमय प्रस्तुतियों से सभी का मनोरंजन किया।
       स्वागत करते हुए पुस्तकालय अधीक्षक डॉ. दीपक कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि -स्त्री सभी स्वरूप में भारतीय ज्ञान परम्परा के अनुसार वन्दनीय, पूजनीय और अनुकरणीय मानी गई है। शास्त्रों में उल्लेखित सभी आधारों पर स्त्री के पूजन या सम्मान को सर्वोपरि रखा गया है। आभार व्यक्त करते हुए कृति लेखक डॉ. प्रभात कुमार सिंघल ने  बताया कि आगामी वर्ष महिला दिवस से पूर्व " हाड़ोती साहित्य में महिलाओं का योगदान" विषय पर पुस्तक लिखने का प्रयास करेंगे। मंच संचालन डॉ.शशि जैन ने किया।
      समारोह में समारोह में  कोटा जिले से साहित्यकार डॉ.अपर्णा पांडेय, जितेंद्र कुमार शर्मा ' निर्मोही,', जितेंद्र गौड़, महेश पंचौली, डॉ.मनीषा शर्मा, पल्लवी दरक न्याति, राम मोहन कौशिक, विजय कुमार शर्मा, डी.के. शर्मा, इतिहासकार फिरोज़ अहमद, मुद्रशास्त्री शैलेश जैन, शिक्षाविद् आर.पी.,गुप्ता, बैंकिंग साक्षरता से जुड़े वन्यजीव फोटोग्राफर  विजय माहेश्वरी,समाजसेवी आशा देवी मल्लाह, के.डी.अब्बासी और बूंदी जिले से डॉ.राजेंद्र कुमार निर्मल प्रमुख रूप से मौजूद रहे।


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