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जीवन मूल्योंऔर मानवीय सन्दर्भों , सांस्कृतिक परिवेश के सशक्त रचनाकार डॉ. प्रभात कुमार सिंघल

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14 Oct 23
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15 अक्टूबर को जन्मदिन पर विशेष 

जीवन मूल्योंऔर मानवीय सन्दर्भों , सांस्कृतिक परिवेश के सशक्त रचनाकार डॉ. प्रभात कुमार सिंघल

रचनाकार अपने परिवेश और संस्कार के साथ अर्जित अनुभवों से सृजन सन्दर्भों को विकसित ही नहीं करता वरन् उसे संरक्षित भी करता है। यह भाव और स्वभाव ही एक रचनाकार के सामाजिक सरोकारों को परिलक्षित करता है। इन्हीं सन्दर्भों को अपने भीतर जागृत करते हुए अपने रचनाकर्म में सतत् रूप से सक्रिय हैं राजस्थान सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और शैक्षिक नगरी  और चंबल की धरा कोटा के निवासी लेखक, पत्रकार और पूर्व वरिष्ठ जन संपर्क कर्मी डॉ.प्रभात कुमार सिंघल। 

 सेवा काल से ही इनके कला, संस्कृति और साहित्यिक विचारों, व्यवहार, कार्यशैली और लेखन के साथ कुशल आयोजन और प्रबंधन को देखने–समझने का अवसर मिला है। सामाजिक समरसता और समन्वय को समर्पित  सिंघल अपने समभाव और दृष्टिकोण से अपने सृजन कर्म और व्यवहार के प्रति सजग और चेतन होकर निरन्तर सृजन यात्रा कर रहैं हैं। 

     सरकारी सेवा काल में सभी वर्ग के सहकर्मियों को साथ लेकर चलने एवं तनाव मुक्त वातावरण की कार्य शैली  विकसित की और सतत् रूप से इसे अपने व्यवहार में संरक्षित और पल्लवित रखा। इसीलिए प्रत्येक व्यक्ति इनके कार्य- व्यवहार से प्रभावित रहा और आगे बढ़ने का मार्ग भी प्रशस्त हुआ। अपने कार्य-व्यवहार से इन्होंने सभी वर्ग के व्यक्तियों की हर संभव मदद की, उनकी समस्या और पीड़ा में भागीदार बने और छोटे-बड़े सभी से पूरा आदर एवं स्नेह भाव रखते हुए अपने सहज स्वभावानुरूप अपने कार्य को समर्पित रहे। आपने जीवन में कर्म की प्रधानता को प्रमुख मानते हुए हमेशा कर्म को ही सच्ची पूजा माना। "मन चंगा तो कठौती में गंगा" और " पूत कपूत तो क्यों धन संचय, पूत सपूत तो क्यों धन संचय" के अपने पिताश्री के वाक्यों को हमें जीवन का ध्येय माना।

     आप सेवाकाल के पश्चात् निरन्तर सृजन रत तो हैं ही, समाज के सभी क्षेत्रों के प्रतिभाशाली और विशेषज्ञ व्यक्तियों, महिलाओं, बच्चों इत्यादि पर लिखते समय उन्हें प्रोत्साहन देने और प्रेरित करने का भाव सदैव मन में रखते हैं। आज सत्तर वर्ष की उम्र में भी जिंदा दिल रहने की मुख्य वजह लेखन से प्राप्त ऊर्जा को मानने वाले डॉ. सिंघल नि:स्वार्थ भाव से लेखन को ही अपनी पूजा, धर्म और कर्म मानते हैं।  सेवा काल से ही लेखन के क्षेत्र में विभिन्न विषयों कला- संस्कृति, पुरातत्व, इतिहास, पर्यटन, सभी क्षेत्रों के विकास, , बाल विवाह , दहेज जैसी सामाजिक कुरुतियों के उन्मूलन, पर्यावरण संरक्षण, जल संरक्षण, नशा मुक्ति, स्वच्छता, रक्तदान ,दिव्यांग कल्याण जैसे सामाजिक सरोकार और मातृभाषा हिंदी के विकास, लोकोत्सव, लोकतीर्थ, लोककलाएं, लोक देवी-देवता, लोकनृत्य, लोकगीत, लोक-चित्रांकन, आंचलिक मेले आदि विभिन्न विषयों पर हजारों  आलेख, फीचर, रिपोर्ताज,  सफलता की कहानियाँ, साक्षात्कार, बाल आलेख और बाल कहानियां, सरल एवं सुग्राहय भाषा शैली में निर्बाध लेखन कार्य करने वाले लेखकों तथा रचनाधर्मियों में  राजस्थान के साहित्य एवं मीडिया जगत में एक सशक्त हस्ताक्षर हैं। लेखन में भी पर्यटन लेखक के रूप में आपने विशिष्ठ पहचान कायम की है। सभी विधाओं पर आपका लेखन हाड़ोती और राजस्थान तक ही सीमित नहीं रह कर  देश के संदर्भ में भी व्यापक स्वरूप लिए हैं। आपके आलेख और पुस्तकें तथ्यात्मक, सूचनात्मक और शोध परक होने से शोधार्थियों के लिए उपयोगी सिद्ध हुए हैं। 

सृजन :

      इनका रचनाएं बड़ी संख्या में कई सरकारी एवं गैर सरकारी पत्र-पत्रिकाओं में निरंतर प्रकाशित हो रही हैं । अस्सी और नब्बे के दशकों में मुख्य रूप से दिल्ली प्रेस की पत्रिकाएं सरिता, मुक्ता, गृहशोभा,चंपक, सुमन सौरभ में, धर्मयुग, हिन्दुस्तान, कादम्बिनी, दिनमान, नवनीत सहित  केद्रीय समाज कल्याण बोर्ड की पत्रिका "समाज कल्याण", भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय की पत्रिका "कुरूक्षेत्र", योजना मंत्रालय की पत्रिका "योजना", भारतीय रेलवे बोर्ड की पत्रिका "भारतीय रेल",भारतीय डाक तार विभाग की पत्रिका "डाक तार", परिवार कल्याण मंत्रालय की पत्रिका "हमारा घर",  संस्कृति मंत्रालय की पत्रिका "आजकल" और  इंडिया एयर लाइंस की मासिक पत्रिका "स्वागत" आदि पत्रिकाओं में इनके आलेख व्यापक रूप से प्रकाशित हुए हैं। इसी दौर के

समाचार पत्रों में नवभारत टाइम्स, दैनिक हिन्दुस्तान, पंजाब केसरी, देनिक ट्रिब्यून, जनसत्ता, अमर उजाला,दैनिक जागरण, पांचजन्य, राजस्थान पत्रिका, दैनिक नवज्योति, राष्ट्रदूत एवं स्थानीय कोटा के समस्त समाचार पत्रों सहित अन्य कई समाचार पत्रों ने निरंतर आपकी रचनाओं को प्राथमिकता से प्रकाशित किया गया है। इस दौर में बाल पत्रिका चंपक और लोटपोट में इनकी बाल कहानियां और विभिन्न विषयों पर बाल रचनाएं बहुतायत से प्रकाशित हुई हैं। यूएसए से प्रकाशित हिंदी-अंग्रेजी द्विभाषी साप्ताहिक " हम हिदुस्तानी" में भी लंबे समय तक इनकी रचनाएं प्रकाशित हुई हैं। अनेक पत्र - पत्रिकाएं समय-समय पर इनसे लेख आमंत्रित कर प्रकाशित करते थे। वर्तमान में इनके लेखन की विशेषताओं की वजह से ये राष्ट्रीय हिंदी समाचार पोर्टल प्रभा साक्षी, नई दिल्ली, प्रेसनोट.इन, उदयपुर, इंडिया मीडिया.इन, मुंबई, समाचार लहरे.इन, नई दिल्ली एवं अमर उजाला.इन,दिल्ली के स्थाई लेखकों की सूची में शामिल हैं। देश के कई समाचार पत्रों में इनकी रचनाएं निरंतर प्रकाशित हो रही हैं।  यही नहीं विभागीय और अन्य विभागों और संस्थाओं के पत्र-पत्रिकाओं का लेखन, संपादन और प्रकाशन भी करवाया और निजी स्तर पर  पुस्तकें भी लिख कर प्रकशित करवाई हैं । इसी समर्पण और लगन का परिणाम रहा कि आप सेवा निवृति तक राजस्थान में विख्यात लेखक के रूप में स्थापित हो गए। 

     सेवा निवृत्ति के दस वर्ष के काल-खंड में आपने कला-संस्कृति और पर्यटन को अपने लेखन का प्रमुख आधार बनाते हुए इन पर आधारित सैंकड़ों लेख लिखने के साथ-साथ अपनी 43 पुस्तकों में से 28 पुस्तकें केवल पर्यटन की विविध विधाओं और विषयों पर लिखी हैं। देश के इतिहास, भूगोल, संस्कृति और पर्यटन को समझने में इनका पर्यटन साहित्य महत्वपूर्ण है। आपने आज देश में "पर्यटन लेखक" की पहचान स्थापित करने में विशेषज्ञता अर्जित की है। विभिन्न विषयों के साथ-साथ खास तौर पर पर्यटन पर लिखने की वजह से ही इन्हें विभिन्न संस्थाओं द्वारा कई अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय पुरस्कार और सम्मान से सम्मानित किया गया है। 

पुस्तकें :

आपने नव साक्षरों के लिए तीन पुस्तकें जय चंबल, हाड़ौती के मन्दिर और लोक देवता तेजा जी का लेखन किया जिनका प्रकाशन जिला साक्षरता समिति, कोटा द्वारा किया गया था। आपने  कोटा एक विहंगम दृष्टि और हाड़ौती - करोली दिग्दर्शन पुस्तकों का लेखन अतिरिक्त सीएडी आयुक्त धर्मेंद्र भटनागर के साथ संयुक्त रूप से किया। आपके शोध प्रबंध पर आधारित पुस्तक "राजस्थान में पुलिस प्रशासन" ( शोध ग्रंथ) प्रकाशित हुई। आराध्य तीर्थ , राजस्थान के आस्था स्थल - धार्मिक पर्यटन) , ऐसा देश है मेरा-भारत भ्रमण , अतुल्य अजमेर-विश्व स्तरीय पहचान , कोटा एक विहंगम दृष्टि ( द्वितीय संस्करण), चंबल तेरी यही कहानी , मीडिया संसार - पत्रकारिता और जन संचार, ये है हमारी रंग बिरंगी बूंदी ,  अद्भुत राजस्थान , भारत की विश्व विरासत - यूनेस्को की सूची में शामिल, हमारा भारत हमारी शान, उदयपुर राजस्थान का कश्मीर (अंग्रेजी में ), भारत में समुद्र तटीय पर्यटन, विश्व रेगिस्तान का इंद्रधनुष , पर्यटन और संग्रहालय, पर्वतीय पर्यटन - विशेष सन्दर्भ अरावली,  रोमांचक साहसिक पर्यटन - एडवेंचर स्पोर्ट्स, मन्दिर संस्कृति - धार्मिक पर्यटन, वर्ल्ड हेरिटेज गोलबल टू लोकल (अंग्रेजी में ),भारतीय पर्यटन में इस्लामिक आर्किटेक्चर, पर्यटन को सुगम बनाती भारतीय रेल, भारतीय स्थापत्य कला की अमूल्य निधि  जैन मंदिर और राजस्थान - हाड़ोती की पुरातत्व संपदा आपकी प्रमुख पर्यटन पुस्तकें हैं।

     इनके साथ-साथ स्माइल एंड वर्क कार्टून बुक, प्रगति की मुस्कान,  बदलती तस्वीर,आशा की किरण( निराश, तनाव ग्रस्त युवाओं के लिए), स्वातंत्राय स्वर्ण जयंतीका, राजस्थान में पंचायती राज और ग्रामीण विकास, आगे बढ़ता राजस्थान- विशेष सन्दर्भ उद्योग,व्यापार, वाणिज्य, श्रीगंगानगर संदर्शिका, अजमेर संभाग संदर्शिका,  उद्यानिकी - फूल,फल, सबजी,मसाला और ओषधीय खेती को बढ़ावा, राजस्थान और आज का कोटा, मीडिया ..

जनसंचार माध्यम,  मेंटल हेल्थ, कर्मयोगी  प्रमुख पुस्तकों के साथ-साथ  करीब 100 से ज्यादा पुस्तिकाओं और स्मारिकाओं का लेखन, संपादन एवं प्रकाशन कर सृजन सन्दर्भों को समृद्ध किया है।

प्रकाशनाधीन :

वर्तमान में आपकी अद्भुत भारत के नाम से देश की क्षेत्रीय सांस्कृतिक विरासत के आधार  उत्तर भारत, दक्षिण भारत, पूर्वी भारत, पश्चिमी भारत, मध्य भारत और पूर्वोत्तर भारत 6 पुस्तकें प्रकाशनाधीन हैं।  अन्य पुस्तकें  

"अलबेले उत्सव और मेले - भारत के पर्यटन उत्सवों के संदर्भ में और नई बात निकल कर आती है ( संस्मरण ) प्रकाशनाधीन हैं। हाड़ोती अंचल के साहित्यकारों, इतिहासकारों और कलाकारों  एवम् विविध प्रतिभाओं पर एक पुस्तक " जियो तो ऐसे जियो" लेखन प्रक्रिया में है।

शोध कार्य

       अपने पीएच.डी. शोध कार्य  के अतिरिक्त आपने शोधात्मक दृष्टि से कोटा , बूंदी बारां, झालावाड़, अजमेर, उदयपुर, श्रीगंगानगर जिलों के इतिहास, कला,संस्कृति, समाज और विकास  पहलुओं पर, सांस्कृतिक हाड़ौती, सांस्कृतिक राजस्थान, सांस्कृतिक भारत,भारत में समुद्र तटीय संस्कृति, विश्व रेगिस्तान,भारत के संग्रहालय, हाड़ौती के स्वतंत्रता सेनानी, एडवेंचर टूरिज्म, चंबल नदी, पत्रकारिता और जनसंचार, भारत में धर्म स्थल, पर्वतीय पर्यटन, राजस्थान के आस्था स्थल, हाड़ोती के संग्रहालय और पुरासंपदा, उद्यानिकी ( भारत के सन्दर्भ में), राजस्थान में पंचायती राज एवं ग्रामीण विकास, आदिम जनजाति सहरिया, उदयपुर संभाग के आदिवासी, कैथून के कोटा डोरिया साड़ी के बुनकर आदि विषयों पर

निजी  स्तर पर शोध कार्य किया है। लगभग 95 फीसदी शोध कार्य पर पुस्तकों का प्रकाशन किया जा चुका हैं, कुछ शेष हैं। इन्होंने करीब 10 विद्यार्थियों का शोध कार्य और पत्रकारिता में मार्गदर्शन प्रदान किया है।

राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजन :

 आपने समय - समय पर ऑन लाइन और ऑन मोबाइल राष्ट्रीय संगोष्ठियों का आयोजन भी किया है। रोमांचक साहसिक पर्यटन पुस्तक पर राष्ट्रीय वर्चुअल संगोष्ठी, हमारे जीवन के समृद्ध अतीत की याद दिलाने में संग्रहालय की अहम भूमिका, राजस्थान दिवस 30 मार्च 2022 पर "राजस्थान में पर्यटन की दशा, दिशा और संभावनाएं", विश्व पुस्तक दिवस अप्रैल 2022 पर "इंटरनेट की आंधी में बरकरार है पुस्तकों का महत्व" और कविता दिवस 2023 पर  सार्थक राष्ट्रीय संगोष्ठियों का आयोजन किया है। देश के कई समाचार पत्रों और न्यूज पोर्टल्स द्वारा इनका प्रकाशन किया।

अकादमिक उपलब्धियां :

   अकादमिक उपलब्धि के अंतर्गत आपने कल्चरल हेरिटेज एंड टूरिज्म पोटेंशियल प्रशिक्षण ( हरिश्चंद्र माथुर प्रशिक्षण संस्थान, जयपुर 19 से 26 सितम्बर ), वूमेंस डेवलपमेंट प्रशिक्षण 25 से 30 नवंबर 1991), सात दिवसीय बेसिक कंप्यूटर प्रशिक्षण ( जयपुर ), जिला साक्षरता समिति कोटा का मासिक पत्र " चामल धारा" का तीन वर्ष तक प्रकाशन एवं सम्पादन, जिला ग्रामीण विकास अभिकरण कोटा की मासिक पत्रिका " विकास पत्रिका" का प्रकाशन एवं सम्पादन, जनजाति क्षेत्रीय विकास  विभाग उदयपुर की मासिक पत्रिका " आदिवासी विकास" का प्रकाशन एवं सम्पादन कार्य प्रमुख हैं। 

सम्मान :

आपको विभन्न संस्थाओं द्वारा अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर पर्यटन का प्रचार-प्रसार करने के लिए श्री कर्मयोगी सेवा संस्थान कोटा द्वारा "कर्मयोगी इंटरनेशनल प्राइड अवार्ड - 2022 " से, पर्यटन लेखक के रूप में  सामर्थ्य सेवा संस्थान झालावाड़ द्वारा "सामर्थ्य ग्लोबल एक्सीलेंस अवार्ड -2023" से, ऑल इंडिया पीस मिशन गुरुग्राम द्वारा विश्व पर्यटन दिवस 27 सितंबर 2022 को  पर्यटन लेखन से सद्भावना और भाईचारा बढ़ाने में योगदान के लिए " राष्ट्रीय सामाजिक समरसता सम्मान-22" से, राष्ट्रीय हिन्दी समाचार पोर्टल प्रभा साक्षी, नई दिल्ली की 18 वीं वर्षगांठ पर दिल्ली में आयोजित समारोह में 8 नवंबर 2019 को लेखन के क्षेत्र में शोल ओढ़ा कर प्रशस्ति पत्र एवं स्मृति चिन्ह प्रदान कर " हिंदी सेवा सम्मान" से तथा पर्यटन के क्षेत्र में कई पुस्तकें लिखने और हाड़ौती क्षेत्र का राष्ट्रीय स्तर पर प्रचार-प्रसार में उत्कृष्ट कार्य करने पर कोटा की संस्था न्यू इंटरनेशनल द्वारा 6 जनवरी 2021 को " हाड़ौती गौरव सम्मान " से,राजकीय सार्वजनिक मंडल पुस्तकालय कोटा द्वारा वरिष्ट नागरिक जन दिवस - 2018 पर प्रशस्ति पत्र एवं मेडल प्रदान कर "वरिष्ठजन पर्यटक लेखक सम्मान" से, राजस्थान के आस्था स्थल पुस्तक के लिए कोटा जिले के प्रभारी सचिव आलोक ने 25 मई 2018 को माल्यार्पण कर एवं अद्भुत राजस्थान पुस्तक के लिए जिला कलेक्टर उज्जवल राठौर ने 2 मार्च 2021 को उपरना और मोतियों की माला पहना कर सम्मानित किया। हिंदी साहित्य समिति, बूंदी द्वारा 23 अक्टूबर 2022 को  पर्यटन लेखक के रूप में शाल ओढ़ा कर और सम्मान पत्र प्रदान कर हिंदी "साहित्य रत्न और समाज रत्न अलंकरण" से तथा मानसिक स्वास्थ्य के लिए राष्ट्रीय स्तर पर प्रचार-प्रसार के उल्लेखनीय कार्य के लिए रोटरी क्लब कोटा द्वारा "राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता सम्मान -22"से सम्मानित किया गया। 

         इन प्रमुख पुरस्कारों और सम्मान के साथ-साथ आपको उत्कृष्ट सेवाओं के लिए विभिन्न पदों पर तीन बार कोटा जिला प्रशासन द्वारा उत्कृष्ट सेवाओं के लिए सहायक जनसंपर्क अधिकारी पद पर 15 अगस्त 1989 को, जन संपर्क अधिकारी पद पर 26 जनवरी 1993 को तथा सहायक निदेशक पद पर 15 अगस्त 2010 को सम्मानित किया गया। अनेक जिला कलेक्टर और विभागीय निदेशकों ने व्यक्तिगत पत्रों के माध्यम से आपके कार्यों और लेखन की सराहना की हैं। पीएच.डी.की उपाधि प्राप्त करने पर कोटा जिला आफिसर्स क्लब द्वारा 4 फरवरी 1996 को प्रशस्ति पत्र प्रदान कर सम्मानित किया गया। संयुक्त निदेशक पद पर पदोन्नति होने पर सूचना केंद्र, उदयपुर में 25 दिसम्बर 2012 को पत्रकारों द्वारा एवं कोटा पत्रकार मित्र मंडल द्वारा कोटा में संयुक्त निदेशक पद पर ज्वॉयन करने पर 29 अप्रैल 2013 को अभिनंदन किया गया। कोटा राजकीय सार्वजनिक मंडल पुस्तकालय द्वारा हिन्दी दिवस -2018 पर " प्रशस्ति पत्र एवं मेडल प्रदान कर " हिंदी साहित्य सेवा" सम्मान से और पुनः अंतर्राष्ट्रीय वृद्ध जन दिवस - 2019 पर " व्योश्री सम्मान - 2019" से सम्मानित किया गया। वर्किंग जर्नलिस्ट फेडरेशन ऑफ इंडिया की कोटा इकाई द्वारा 5 दिसम्बर  2021 को "पत्रकार सम्मान" से, राजकीय सार्वजनिक मंडल पुस्तकालय द्वारा राजस्थान दिवस 2023 पर आयोजित " हमारा रंग बिरंगा  राजस्थान" ऑन लाइन राष्ट्रीय सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता में संयोजक की सफल भूमिका के लिए 23 अप्रैल 2022 को प्रशस्ति पत्र प्रदान कर और श्री राजाराम कर्मयोगी सेवा संस्थान कोटा द्वारा साहित्यकार और लेखक के रूप में  22 मई 2022 को कोटा में आयोजित साहित्यकार सम्मान समारोह में " शान- ए-राजस्थान श्री राजा राम कर्मयोगी साहित्य गौरव सम्मान -2022" से मोतियों का कंठहार पहना कर, शाल ओढाकर एवं सम्मान पत्र प्रदान कर सम्मानित किया गया। कोटा की संस्था मदर टेरेसा और शिशु भारती ग्रुप ऑफ एजुकेशन द्वारा " अक्षर अभिनंदन - 2023" से और भारत सरकार के जन शिक्षण संस्थान द्वारा  कोटा जिले को साक्षरता अभियान में प्रथम लाने के लिए किए गए उत्कृष्ट प्रचार - प्रसार के लिए अक्षत तिलक, माल्यार्पण, उपरना और पगड़ी पहना कर श्रीफल एवं सम्मान पत्र प्रदान कर सम्मानित किया गया।

परिचय :     

        ऐसे समभाव और विचारशील लेखक डॉ. प्रभात कुमार सिंघल का जन्म कोटा में 15 अक्टूबर 1953 को पिता स्व. चमन लाल सिंघल माता स्व.  सुमन लता के परिवार में सबसे बड़े पुत्र के रूप में हुआ। आप तीन भाई बहिन हैं। आपका विवाह  मंजू कुमारी से 1978 में सम्पन्न हुआ। आपके प्रारंभिक जीवन का परिवेश कभी भी उत्साहवर्धक नहीं रहा, परिस्थितियां हमेशा विषम बनी रही। जीवन में उत्साह के परिवेश का उजास आपको जन्म के 24 साल बाद प्राप्त होने आरम्भ  हुआ जब एक निजी कंपनी में कार्य करते हुए 1977 में इतिहास विषय से स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की तथा पीएच.डी. के लिए पंजीकरण करवाया। हालांकि बीच में नौकरी लग जाने से इनका यह सपना 1996 में पूरा हुआ।पत्रकारिता एवं जन संचार में स्नातकोत्तर डिप्लोमा में शैक्षिक योग्यताधारी प्रभात जी ने 'राजपुताने में पुलिस प्रशासन (1857-1947)' विषय पर  पीएच.डी. की है। ये राजस्थान के सूचना एवं जनसंपर्क विभाग में 1979 में सहायक जनसंपर्क अधिकारी के पद पर आए और अक्टूबर 2013 में संयुक्त निदेशक पद से सेवा निवृत हुए।  सेवा निवृत्त होने के पश्चात्  पुनः विभाग में  22 अगस्त से 13 अक्टूबर 2013 तक संविदा पर पर सेवाएं दी एवं 6 जनवरी 2021 से 30 अप्रैल 2021 तक कोटा नगर विकास न्यास में विशेषाधिकारी ( जन सम्पर्क) पद पर रहे। आपने सेवा निवृत्ति के बाद ढाई वर्ष तक कोटा से "टुडे आईं" पाक्षिक समाचार पत्र का प्रकाशन एवं सम्पादन कर पत्रकारिता सन्दर्भों को गति दी। अन्ततः यही कि अपने आप को सृजनात्मकता में लीन करने वाले डॉ. प्रभात कुमार सिंघल ऐसे विचारशील लेखक हैं जो समाजिक और सांस्कृतिक सन्दर्भों को सतत् रूप से संस्कारित, पल्लवित और संरक्षित रखने की दिशा में निरन्तर प्रयासरत हैं।

- विजय जोशी, 


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