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साहसिक पर्यटन: रहस्य ,रोमांच, आध्यात्म से भरपूर गुफा पर्यटन

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24 Oct 21
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साहसिक पर्यटन: रहस्य ,रोमांच, आध्यात्म से भरपूर गुफा पर्यटन

भारत में खेलों के अलावा भी साहसिक पर्यटकों के लिए भी बहुत कुछ हैं। यदि आप भी रहस्यमयी चीजों को जानने के उत्सुक हैं तो गुफा पर्यटन महत्वपूर्ण आयाम है। भारत गुफाओं का ख़जाना है जहां एक से बढ़कर एक रहस्यमयी प्रसिद्ध गुफाएं आपके रोमांच को और ज्यादा बढ़ा देगीं। ऋषि-मुनियों से लेकर पाषाण युग में मानव तक गुफाओं में रहते थे। आमतौर पर पहाडी चट्टानों को खोदकर गुफाएं बनाई गई हैं। गुफाएं रोमांच, आध्यात्मिकता, रहस्य और ,इतिहास का अनोखा मिश्रण हैं। गुफाएं केवल पहाड़ों पर ही निर्मित नहीं होती हैं वरन यह जमीन के भीतर भी प्राकृतिक रूप से बहने वाली पानी की धारा से भी बनती हैं।

भारत में ऐसी कई गुफाएं हैं, जो हजारों साल पुरानी हैं।

इन गुफाओं और गुफा मंदिरों में अलग-अलग शताब्दियों की कलाओं के उदाहरण देखने को मिलते हैं। इन गुफाओं को देख कर पर्यटक आश्चर्यच कित रह जायेंगे और इनका अनुभव कभी नहीं भूल पाएंगे।गुफाओं का रखरखाव भारतीय पुरातत्व सोसायटी (एएसआई) द्वारा किया जाता है।

अजंता गुफाएं, महाराष्ट्र

जब हम भारत की प्रसिद्ध गुफाओं की चर्चा करते हैं तो सबसे पहला नाम महाराष्ट्र राज्य के उत्तर की और सह्याद्री पर्वत श्रृंखला के मध्य चट्टानों को काट कर बनाई गई

अजंता और एलोरा की गुफाओं का लिया जाता हैं जो निसंदेह: न केवल देश वरन दुनिया का गौरव हैं। अजंता की गुफाएंं प्रथम शताब्दी ईसा पूर्व और 6 वीं शताब्दी ईस्वी की घोड़े के नाल केे आकर की 30 बौद्ध गुफाओं का समूह है जिसमें 5 प्रार्थना भवन और शेष गुफाएं हैं। ये गुफाएं चित्रकला के लिए विश्व में पहचान बनाती हैं। चित्रकला के साथ - साथ समृद्ध मूर्ति शिल्प एवं जातक कथाएं देखने को मिलती हैं। वर्तमान में गुफा न. एक, दो, नो, दस, सोलह एवं सतरह दर्शनीय हैं। यहां चित्रित पदमपाणी का चित्र विश्व विख्यात है। यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में शामिल ये गुफाएं महाराष्ट्र में औरंगाबाद से 107 किमी.दूरी पर स्थित हैं। इन गुफाओं की खोज 1819 ई. में सेना के अधिकारी जान स्मिथ और उनके दल द्वारा की गई थी।

एलोरा गुफाएं, महाराष्ट्र

औरंगाबाद से 26 किमी.दूरी पर स्थित एलोरा की 34 गुफाएं बौद्ध, जैन और हिन्दू कला का अनूठा समन्वय लिए हैं जो अति सुंदर वास्तुकला के लिए पहचानी जाती हैं। एलोरा में 7 वीं और 9 वीं शताब्दी ईसवी की गुफाओं में दक्षिण की ओर स्थित 12 गुफाएं बौद्ध गुफाएं हैं जबकि 5 उत्तर दिशा में जैन गुफाएँ और बीच में 17 हिंदू गुफाएं हैं। कैलाश मंदिर गुफा संख्या 16 में है जो कि प्रवेश द्वार, असेंबली टॉवर आदि के बाद से दुनिया का सबसे बड़ा मोनोलिथ है, जिसे एक ही चट्टान से काटा गया है। एलोरा की गुफाओं में विश्वकर्मा की छवि भी शामिल है, जिन्हें हिंदू शिल्पियों के देवता कहा जाता हैं। ये गुफाएं भी यूनेस्को की विश्व धरोहर में शामिल की गई हैं। यहां हर वर्ष मार्च महीने में एलोरा महोत्सव आयोजित किया जाता है जिसमें प्रसिद्ध कलाकार शास्त्रीय संगीत और नृत्य करते हैं।

एलिफेंटा गुफाएँ, महाराष्ट्र

महाराष्ट्र में मुंबई से 11 किमी.दूर एलिफेंटा गुफाएँ मुंबई में एक आकर्षक पर्यटक केंद्र है। ये प्राचीन गुफाएं भारत में सबसे लोकप्रिय गुफाओं में से हैं। यहां गेट वे ऑफ़ इंडिया से बोट द्वारा पहुंचा जा सकता है। लगभग सात रॉक-कट गुफाएं 6 टी और 7 वीं शताब्दी की हैं। एक ही चट्टान में निर्मित मुख्य गुफा में हिंदू देवता भगवान शिव को दर्शाते हुए बड़े-बड़े मूर्तिकला फलक बनाए गए हैं। गुफा में मुख्य आकर्षण महेश-मूर्ति है जो सबसे प्रसिद्ध मूर्तियों में से एक है। इसमें भगवान शिव, भगवान ब्रह्मा और भगवान विष्णु को दर्शाया गया है। महेशमूर्ति के बाईं ओर पुरुष और महिला दोनों के रूप में भगवान शिव– अर्धनारीश्वर रुप में स्थित हैं। शिव की एक मूर्ति में उनके बालों से बहती गंगा को दर्शाया गया है। भगवान शिव को योगीश्वर के रूप में देखा जाता है - योगियों के राजा जिन्हें कमल पर बैठा हुआ देखा जाता है। भगवान शिव को नटराज के रूप में भी देखा जा सकता है। गुफाओं के अंदर, पोर्टिको, भव्य हॉल, आंगन और मंदिर दिखाई देते हैं। गुफाओं की भव्यता विस्मयकारी हैं।

जम्मू और कश्मीर की गुफाएँ

भारत का स्वर्ग कहे जाने वाले जम्मू और कश्मीर में दो प्रसिद्ध गुफाएं शिवालिक पहाड़ियों में शिवखोडी गुफाएं और अमरनाथ गुफाएं हैं जिनका काफी धार्मिक महत्व है।

शिवखोडी गुफा

भगवान शिव को समर्पित प्राकृतिक एवं धार्मिक शिवखोड़ी की गुफाएं जम्मू से 110 किमी.दूरी पर रियसी तहसील के अंतर्गत रण सू नामक स्थान पर स्थित हैं। रणसू से करीब 4 किमी. टेडी - मेडी पगडंडी पार कर गुफाओं तक पहुंचा जा सकता हैं। इस गुफा के अन्दर भगवान शंकर का 4 फीट ऊंचा शिवलिंग है। इस शिवलिंग के ऊपर पवित्र जल की धारा सदैव गिरती रहती है। शिव खोड़ी की गुफा में शिव के साथ पार्वती, गणेश, कार्तिकेय, नंदी की पिण्डियों के दर्शन होते हैं। यह गुफा स्वयंभू मानी जाती है। इनके साथ यहां सात ऋषियों, पाण्डवों और राम-सीता की भी पिण्डियां देखी जा सकती हैं। पिण्डियों पर गुफा की छत से जल की बूंदे गिरने से प्राकृतिक अभिषेक स्वतः होता है। शिव द्वारा बनाई गई यह गुफा बहुत गहरी है, इसका अंतिम छोर दिखाई नहीं देता। गुफा का आकर शिव के डमरू की तरह है। प्रवेश द्वार करीब 100 मीटर चौड़ा है और अंदर जैसे - जैसे प्रवेश करते हैं मार्ग संकरा हो जाता है। गुफा के भीतर गुफा बनी है। जनश्रुति है कि यह गुफा अमरनाथ तक जाती है।

अमरनाथ गुफा

जम्मू और कश्मीर में एक और गुफा अमरनाथ पर्वत पर स्थित अमरनाथ गुफा है। बर्फीली पहाड़ियों पर भू - तल से 3,888 मीटर ऊंचाई पर स्थित बहुत पवित्र गुफा है जिसका धार्मिक महत्व है। गुफा 5,000 वर्ष प्राचीन बताई जाती हैं। यहां बर्फ के रुप में शिवलिंग स्थित है जिसके दर्शन करने लाखों भक्त यहां आते हैं। प्राकृतिक हिम से निर्मित होने के कारण इसे स्वयंभू हिमानी शिवलिंग भी कहते हैं। आषाढ़ पूर्णिमा से शुरू होकर रक्षाबंधन तक पूरे सावन महीने में होने वाले पवित्र हिमलिंग दर्शन के लिए लाखों लोग यहां आते हैं। यह 140 किलोमीटर में फैली हुई है। अमरनाथ यात्रा जुलाई - अगस्त के महीनों में आयोजित की जाती है जिसके लिए पंजीयन कराना होता हैं। यह काफी कठिन और साहसिक यात्रा हैं। यहां यात्री ट्टुओं पर बैठ कर भी यात्रा पूरी करते हैं।

बादामी गुफाएं, कर्नाटक

कर्नाटक के बगलकोट जिले में स्थित सुरम्‍य और ऐतिहासिक बादामी गुफाएं 6 टी और 7 वीं शताब्दी ईस्वी में चट्टानों को काटकर लाल बलुआ पत्थर से एक पहाड़ी पर बनाई गई हैं। गुफाओं का मूर्ति शिल्प देखते ही बनता है। यहां चार गुफा मंदिर देखने को मिलते हैं जो शिव, विष्णु के दो मंदिरों और एक जैन मंदिर को समर्पित हैं। चट्टान काट की गुफाएं जैन गुफाएं बहुत बाद के समय की हैं। चार मुख्य गुफा एं लगभग 500 मीटर लंबाई में हैं और इनमें करीब 27 आकर्षक हिंदू नक्काशियों के साथ अलंकरण देखे जा सकते हैं। बादामी गुफाएं कर्नाटक में शीर्ष पर्यटक आकर्षण में हैं जो विश्व में प्रसिद्ध हैं। कर्नाटक की एक अन्य एहोल गुफा भी दर्शनीय है।

उदयगिरि और खंडगिरी गुफाएं,ओडिशा

ओडिशा में भुवनेश्वर से 6 किमी. पर स्थित बौद्ध एवं जैन धर्म की उदयगिरि और खंडगिरी की ऐतिहासिक करीब 15 गुफाएं दर्शनीय हैं। खंडगिरी की गुफाएं 133 फीट एवं उदय गिरी की गुफाएं 118 फीट ऊंची हैं। चंदेल शासक खारवेल ने जैन मुनियों के निवास के लिए इनका निर्माण कराया था।

बाघ गुफा का प्रवेश द्वार बाघ के मुंह जैसा दिखता है। दुमंजिली रानी की महल गुफा में जैन प्रतीक और युद्ध के आकर्षक दृश्य हैं। खंडगिरी गुफा सड़क के उस पार है और आपको वहां भी अवश्य जाना चाहिए। अनंत गुफा न.3 खंडागिरी में सबसे लोकप्रिय गुफाओं में से एक है और इसमें महिलाएं, हाथियों, एथलीटों और भूसे के फूलों के नक्काशीदार अलंकरण मोहक हैं।

तबो, हिमाचल प्रदेश

उत्तरी भारत के हिमाचल प्रदेश की स्पीति घाटी में तबो गुफाएँ काफी ऊँचाई पर स्थित हैं। स्थानीय बौद्ध लामाओं ने इन गुफाओं को ध्यान के योग्य पाया। यह एक बौद्ध मठभी है। एनएच -22 पर, बस के विपरीत तबो गांव की पहाड़ी पर बौद्ध भिक्षुओं द्वारा ध्यान के लिए इस्तेमाल किया जाता था। यहां आकर आपको प्रकृति का एक अद्भुद नजारा भी देखने को मिलेगा जो आपकी काफी आकर्षित करेगा।

मेघालय की गुफाएँ

मेघालय को गुफाओं का घर खा जाता है। मेघालय में जयंतियां हिल्स जिले में भारतीय उपमहाद्वीप में सबसे लंबी गुफा प्रणाली की खोज की गई है। दुनिया की सबसे लंबी गुफा यहां है। इन गुफाओं में क्रेम लिट प्राह, मेघालय, 30,397 मीटर, क्रेम कोटसती 21,530 मी , क्रेम टेनघेंग 21,250 मी और क्रेम उमथेलो-सिन्रैंग लेबेट 18,181 मीटर लंबी गुफाएं हैं। चेरापूंजी में मेघमाई गुफाएँ, मेघालय भारत में सबसे अधिक वर्षा प्राप्त करने वाले स्थान पर स्थित हैं। शिलांग और अन्य टूर पैकेजों से गुफाओं को देखने के लिए जा सकते हैं। मेघालय में मावसमाई गुफाएं भारत के सबसे साहसिक पर्यटन स्थलों में से हैं। गुफाओं को मावसमाई गांव के सोहरा बाजार से 6 किमी की दूरी पर स्थित है और यह गुफाएं सुदंरता का प्रतीक हैं।

उनादल्ली और मोगलाराजपुरम गुफाएं, आंध्र प्रदेश

आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा में स्थित उनादल्ली और मोगलाराजपुरम की ये प्राचीन गुफाएं 7 वीं शताब्दी की हैं। इन गुफाओं में भगवान शिव, ब्रह्मा और विष्णु को समर्पित मंदिर हैं। गुफाएँ कृष्णा नदी के सामने एक पहाड़ी के ऊपर स्थित हैं। कृष्णा नदी के तट पर स्थित और लगभग 8 किमी की दूरी पर, अरकू वैली गुफाएं भारत के रॉक-कट वास्तुकला और विरासत गुफाओं में से एक हैं। माना जाता है कि गुफाएं ठोस बलुआ पत्थर से बनाई गई हैं। उनादल्ली गुफाएं 420-620 ई, के विष्णुकुंडिन राजाओं से जुड़ी हुई हैं और अनंतपद्मनाभ और नरसिम्हास्वामी को समर्पित हैं। जीर्ण शीर्ण होने पर भी इन्हें देखना दिलचस्प होता हैं। यहां 5 मीटर लंबी भगवान बुद्ध की प्रतिमा,भगवान विष्णु,ब्रहम्मा, शिव मूर्तियों सहित गुफाओं की दीवारों पर शिल्प कौशल देखते ही बनता है।

त्रिची रॉक फोर्ट मंदिर और गुफाएं, तमिलनाडु

तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली रॉक किले के परिसर में स्थित, दो गुफा मंदिर, अर्थात् लोअर केव मंदिर और ऊपरी गुफा मंदिर, भारत में सबसे अविश्वसनीय गुफा मंदिरों में से हैं। त्रिची रॉक फोर्ट मंदिर मदुरै के पल्लव नायक

द्वारा पहाड़ी की चोटी पर बनाया गया था। गुफाओं के अंदर प्राचीन मूर्तियां खुदी हैं। थिरुवेलराय और पेचिपैलई गुफा मंदिरों में पंडरायकशन पेरुमल मंदिर जैसे रॉक-कट वाले मंदिरों के समान, इन अधूरे गुफा मंदिरों में पूर्व में शिव का मंदिर और पश्चिम में विष्णु का मंदिर है। निचले गुफाओं को खंभे के एक अद्वितीय रूप के रूप में चिह्नित किया जाता है, जो तमिलनाडु के अन्य मंदिरों में नहीं हैं।

भीमबेटका गुफाएँ, मध्य प्रदेश

मध्य प्रदेश में स्थित भीमबेटका में 1850 हेक्टेयर में 838 गुफाएं फैली हुई हैं। गुफाएं राज्य में रायसीना जिले के रातापानी वन्यजीव अभ्यारण्य के भीतर स्थित आकर्षण का केंद्र हैं। यहां प्रारंभिक ऐतिहासिक और मध्यकालीन रॉक पेंटिंग्स विश्व स्तर पर विख्यात हैं। इन गुफाओं की खोज 1958 में पुराविद् डॉ. वी. एस.वाकणकर ने की थी। शैलश्र्यों एवं शैलचित्रों के महत्व को देखते हुए इन्हें यूनेस्को ने विश्व धरोहर में शामिल किया हैं। यहां की यात्रा बहुत ही रोमांचक है।

डूंगेश्वरी गुफा मंदिर, बिहार

भारत के पूर्वी राज्य बिहार में कई गुफाएं स्थित है। बिहार में एक लोकप्रिय मंदिर, डुंगेश्वरी गुफा मंदिर बोध गया से 12 किमी. दूरी पर स्थित है। इन्हें महाकाल गुफाओं के रूप में भी जाना जाता है। यहां की गुफाओं में बौद्ध मंदिर देखे जा सकते हैं। लोगों का मानना है कि बुद्ध ने ध्यान के लिए बोधगया रवाना होने से पहले कई साल यहां ध्यान लगाकर बिताए थे। बौद्धों को यहां आना और आध्यात्मिक समय बिताना पसंद है, यह जगह की शांति में आधार है। बौद्ध मंदिरों की तीन गुफाएं हैं, जहां पर यह माना जाता है कि बुद्ध ने अपना कुछ समय बिताया था। यहां एक गुफा में बुद्ध की कमजोर अवस्था की एक सुन्दर मूर्ति में बुद्ध कठिन तपस्या कर रहे हैं जब कि अन्य मंदिर में बुद्ध की विशाल मूर्ति है। एक हिंदू देवी देवता दंगेश्वरी को गुफा के अंदर भी रखा गया है। यहां आपको अपार शांति का अनुभव होगा।

बोर्रा गुफाएं,आंध्र प्रदेश

आंध्र प्रदेश की बोर्रा गुफाएं प्राकृतिक गुफाएँ हैं जो गोथानी नदी (अराकू घाटी) से उत्पन्न हुई हैं जो इन गुफाओं से हो कर बहती हैं। ये गुफाएँ 150 साल से अधिक पुरानी हैं। ब्रिटिश भूविज्ञानी विलियम किंग गॉर्ज ने 1807 में इनकी खोज की थी। बोर्रा गुफाएं या 'बोर्रा गुहलू' स्टैलेग्माइट और स्टैलेक्टाइट संरचनाओं से भरे हुए हैं। शिव पार्वती, मातृ बालक, मानव मस्तिष्क, मगरमच्छ और रशिस दाढ़ी जैसी संरचनाएं देख सकते हैं। गुफा में पाया जाने वाली संरचनाओं में से एक प्रसिद्ध शिवलिंगम और गाय की मूर्ति को कामधेनु के रूप में जाना जाता है। गुफाएं एक वर्ग वर्ग किमी क्षेत्र में फैली हैं जिन्हें देखने के लिए हेलोजोन और मर्करी लैंप से रोशनी की व्यवस्था की गई है। भारत में इन कुछ प्रमुख गुुफाओं के अलावा भी अन्य गुुफाएं पर्यटन का केंद्र हैैंं।

 

 

 


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