GMCH STORIES

गाल ब्लैडर में हुए ट्यूमर का लेप्रोस्कोपिक सर्जरी द्वारा हुआ सफल इलाज

( Read 9641 Times)

10 Jun 22
Share |
Print This Page
गाल ब्लैडर में हुए ट्यूमर का लेप्रोस्कोपिक सर्जरी द्वारा हुआ सफल इलाज

उदयपुर के गीतांजली मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल की गैस्ट्रोएंटरोलॉजी टीम द्वारा 80 वर्षीय वृद्ध महिला रोगी की सफल रेडिकल कोलेसिस्टेक्टोमी लेप्रोस्कोपिक सर्जरी की गई। इस अत्यंत जटिल सफल ऑपरेशन को करने वाली टीम में जी. .आई सर्जन डॉ कमल किशोर बिश्नोई गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट डॉ पंकज गुप्ता, डॉ धवल व्यास, डॉ मनीष दोडमानी, एनेस्थेसिस्ट डॉ पूजा, एसआईसीयू इंचार्ज डॉ संजय पालीवाल, ओटी इंचार्ज हेमंत गर्ग, आईसीयू स्टाफ. ओटी स्टाफ का बखूबी योगदान रहा जिससे यह ऑपरेशन को सफलतापूर्वक अंजाम दिया गया।

क्या था मसला:

डूंगरपुर से 80 वर्षीय वृद्ध महिला पेट में दर्द की शिकायत के साथ गीतांजली हॉस्पिटल लाया गया| रोगी से पूछने पर उसने बताया कि पिछले एक माह से उसके पेट में दर्द हो रहा था और इसके अलावा कोई और तकलीफ नही थी| रोगी के पेट की सोनोग्राफी की गयी| रिपोर्ट आने पर पता लगा कि रोगी के गालब्लैडर में पथरी थी और उसके साथ में ही एक गाँठ जैसा प्रतीत हुआ| गाँठ को देखते हुए उसका सीटी स्कैन किया गया, सीटी स्कैन की रिपोर्ट में पुष्टि हुई कि रोगी के गालब्लैडर में कैंसर है| रोगी के इलाज की योजना में एनेस्थेसिस्ट, रेडियोलोजिस्ट व टीम के साथ परिणाम निकला कि रोगी की गालब्लैडर में से कैंसर की गाँठ को पूर्ण रूप से निकल कर उसे कैंसर मुक्त किया जा सकता है|

इस ऑपरेशन को करने में सबसे बड़ी चुनौती रोगी की उम्र थी, चूँकि रोगी काफी वृद्ध थी| प्रायः इस तरह के ऑपरेशन में रेडिकल कोलेसिस्टेक्टोमी की जाती है अभिप्राय गालब्लैडर के साथ में लीवर की दो सेगमेंट व साथ में लिम्फनोड को भी निकलते हैं| इस ऑपरेशन को दो तरह से किया जाता है पहला ओपन सर्जरी और दूसरा लेप्रोस्कोपिक सर्जरी| गीतांजली हॉस्पिटल में लेप्रोस्कोपी ऑपरेशन की सम्पूर्ण सुविधाएँ हैं| रोगी की लेप्रोस्कोपिक रेडिकल कोलेसिस्टेक्टोमी की योजना बनाई गयी| रोगी की लगभग 3 घंटे तक लेप्रोस्कोपिक सर्जरी चली, जिसमें सभी लिम्फनोड निकाल दिए गए और साथ ही लीवर के दोनों सेगमेंट भी निकाल दिए गए| रोगी को मात्र एक दिन आईसीयू में रखा गया, अगले दिन रोगी खाना खाने की स्तिथि में थी| चौथे दिन रोगी स्वस्थ चलते हुए घर गयी, रोगी को ऑपरेशन के दौरान ज्यादा बड़ा चीरा नही आया| एक सप्ताह बाद रोगी को चेकअप के लिए बुलाया गया| रोगी बिल्कुल स्वस्थ है एवं अपनी दिनचर्या का निर्वहन कर रहा है| रोगी की बायोप्सी की रिपोर्ट आ गयी है जिसमें पता चला की रोगी के सेकंड स्टेज ट्यूमर था, सारे लिम्फनोड निकल चुके थे|

डॉ कमल ने बताया कि 80 वर्षीय वृद्ध महिला के लेप्रोस्कोपिक रेडिकल कोलेसिस्टेक्टोमी द्वारा सफल ऑपरेशन कर स्वस्थ जीवन प्रदान किया गया| यदि रोगी की ओपन सर्जरी होती तो उसमें खून का स्त्राव अधिक होता और रोगी को स्वस्थ होने में काफी समय लग जाता वहीँ लेप्रोस्कोपिक सर्जरी से चीरा भी छोटा लगा, खून का स्त्राव भी कम हुआ, दर्द भी कम हुआ और रोगी जल्दी स्वस्थ भी हो गया|

गीतांजली हॉस्पिटल में जी. आई. सर्जरी तथा गैस्ट्रोएंटरोलॉजी से संबंधित सभी एडवांस तकनीके व संसाधन एंडोस्कोपी यूनिट में उपलब्ध हैं जिससे जटिल से जटिल समस्याओं का निवारण निरंतर रूप से किया जा रहा है।

गीतांजली हॉस्पिटल के पिछले 15 वर्षों से सतत रूप से हर प्रकार की उत्कृष्ट एवं विश्व स्तरीय चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध करा रहा है एवं जरूरतमंदों को स्वास्थ्य सेवाएं देता आया है।


Source :
This Article/News is also avaliable in following categories : GMCH ,
Your Comments ! Share Your Openion

You May Like