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भोजपुरी सिनेमा की दशा और दिशा बदल देगी महादेव का गोरखपुर : राजेश नायर 

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28 Mar 24
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भोजपुरी सिनेमा की दशा और दिशा बदल देगी महादेव का गोरखपुर : राजेश नायर 

साउथ सिनेमा के दिग्गज निर्माता निर्देशक राजेश नायर का भोजपुरी भाषा, संस्कृति और मिट्टी से इतना गहरा लगाव है कि उन्होंने भोजपुरी फिल्म महादेव का गोरखपुर का निर्देशन करने का जिम्मा उठाया। भोजपुरी और हिंदी में एक साथ बनी यह फिल्म ना सिर्फ तमिल, तेलुगू और कन्नड़ में एक साथ  29 मार्च 2024 को रिलीज हो रही है, बल्कि भोजपुरी सिनेमा के इतिहास में ऐसा पहली बार होने जा रहा है जब भोजपुरी भाषा में बनी फिल्म अमेरिका में भी रिलीज हो रही है। पिछले दिनों फिल्म के निर्देशक राजेश नायर ने इस फिल्म को लेकर बातचीत की, पेश है कुछ खास अंश .... 

 

साउथ सिनेमा से भोजपुरी इंडस्ट्री की तरफ रुझान कैसे हुआ? 

इस फिल्म को पहले मैं हिंदी में ही बनाना चाह रहा था। लेकिन जब मैने इस विषय पर रिसर्च करना शुरू किया तो इसी दौरान मुझे अहसास हुआ कि भोजपुरी बहुत ही प्यारी और भोजपुरी बहुत ही प्यारी और खूबसूरत भाषा है। भोजपुरी में संवाद बोलने में एक रिदम होता है। उसके बाद हमने सोचा कि इस फिल्म को दो भाषाओं में बनायेंगे। फिर मैने इसे भोजपुरी और हिंदी में एक साथ शूट किया और डब करके इससे तमिल तेलुगू और कन्नड़ में रिलीज कर रहे हैं।

इस विषय पर फिल्म बनाने का विचार कैसे आया

मेरे एक लेखक मित्र आईएएस अधिकारी हैं। इस कहानी को शुरू में उन्होंने ही लिखा था। यह कहानी शिव परंपरा की है। हम सभी अपने आपको शिव का बहुत बड़ा भक्त मानते हैं।  सवाल यह है कि हम भक्त तो हैं, लेकिन क्या हम शिव के वॉरियर हैं। महाकाल ने लोगों की रक्षा करके के लिए अपनी एक सेना बनाई है। जिसे उनका ही अंश माना जाता है जो समय आने पर उसको पता चला चलता है कि उसे क्या करना है। वो कौन और क्या है। मैं खुद भी बहुत बड़ा शिव भक्त हूं। मुझे लगा कि यह विषय मेरे दिल के बहुत करीब है और इसपर बहुत ही खुबसूरत फिल्म बनाई जा सकती है।

इस फिल्म के लिए रवि किशन से कैसे संपर्क किया आपने?

वीर भद्र को ढूंढता ढूंढता रवि किशन के पास आ गया, उनकी आंखे बहुत प्रभावित करती हैं। जब आप फिल्म में उनकी आंखे देखेंगे तो आपको पता चलेगा कि उनको इस फिल्म के लिए मैने क्यों चुना। बहुत ही अद्भुत कलाकार हैं। इस फिल्म में वह शिव के अंश वीर भद्र और एक पुलिस अधिकारी की भूमिका में नजर आएंगे

फिल्म में जिस तरह से रवि किशन का किरदार दिख रहा है, ऐसा लगता है कि फिल्म की कहानी दो कालखंड की बताई गई है?

 इस फिल्म की कहानी सिर्फ एक या दो कालखंड की नहीं है। इस फिल्म में बहुत सारे कालखंड देखने को मिलेंगे। इस फिल्म में  रवि किशन जी के वीर भद्र की भूमिका के जरिए एक अलग कालखंड की कहानी देखने को मिलेगी तो उनके पुलिस अधिकारी के किरदार के जरिए अलग कालखंड की कहानी। इन दो कालखंड के बीच ऐसा बहुत सारे रोचक संस्करण आएंगे जिसे दर्शक देखकर खूब आनंदित भी होंगे और उनके इस फिल्म के माध्यम से एक अलग ही भोजपुरी सिनेमा देखने को मिलेगा।


भोजपुरी और हिंदी में फिल्म आपने बनाया ही है, इसके अलावा इस फिल्म को देश की बाकी भाषाओं में रिलीज करने के पीछे क्या सोच रही है?

'महादेव का गोरखपुर' यूनिवर्सल सब्जेक्ट है। इस फिल्म विषय अपने आप में काफी यूनिक है। यह एक ऐसी फिल्म है जिसे किसी भी भाषा में डब करके रिलीज कर दिया जाए, दर्शकों को पसंद आएगी। अगर व्यवसायिक दृष्टिकोण से भी देखा जाए तो रवि किशन जी की साउथ में बड़ी तगड़ी फैन फालोइंग है। वैसे भी मेरा मानना है कि सिनेमा को प्रांत और भाषा के बंधन में नहीं बांधा जा सकता है। अच्छा सिनेमा दर्शकों के दिलों में अपनी जगह बना ही लेता है चाहे वह किसी भी प्रांत और भाषा का सिनेमा क्यों ना हो।

अंत में आप दर्शकों से क्या कहना चाहेंगे?

मैं यही कहना चाहूंगा कि पूरे परिवार और अपने बच्चों के साथ फिल्म थियेटर में देखने आइए। कुछ अरसे से भोजपुरी सिनेमा पर अश्लील होने की तोहमत बहुत लगी हैं। हाल के बरसों में आए कुछ लोगों ने लालच और पैसा कमाने के चक्कर में इसे खराब किया। एक समय था जब अमिताभ बच्चन, अजय देवगन जैसे बड़े सितारे भोजपुरी फिल्में बड़े ही सम्मान से करते थे। मुझे उम्मीद है कि इस फिल्म के माध्यम से भोजपुरी सिनेमा का खोया सम्मान वापस आएगा।


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