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स्मार्ट विलेज में पशुधन स्वास्थ्य शिविर का आयोजन

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24 May 24
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स्मार्ट विलेज में पशुधन स्वास्थ्य शिविर का आयोजन

उदयपुर, महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर एवं पशुपालन विभाग, उदयपुर के संयुक्त तत्वाधान में स्मार्ट गांव ब्राह्मणों की हुन्दर में एक दिवसीय पशुधन स्वास्थ्य शिविर का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के आरम्भ में निदेशक प्रसार शिक्षा, डॉ. आर.ए. कौशिक ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुये कहा कि स्मार्ट गांव मदार एवं ब्राम्हणों की हुन्दर में विश्वविद्यालय द्वारा विकसित नवीन कृषि प्रौद्योगिकी एवं नवाचार को अपनाने की अपील की। इस शिविर का मुख्य उद्देश्य पशुपालकों को पशु स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करना है।



डॉ. सिद्धार्थ मिश्रा, विभागाध्यक्ष, पशु उत्पादन विभाग, राजस्थान कृषि महाविद्यालय, उदयपुर ने पशु प्रबन्धन पर प्रकाश डालते हुये बताया कि पशु आहार में खनिज लवण (मिनरज मिक्चर) का समावेश करना आवश्यक है। जिसके फलस्वरूप अधिक दुग्ध उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है एवं पशुओं के शारिरीक स्वास्थ्य भी सुदृढ़ बना रहता है। साथ ही पशुओं में बांजपन के उपचार पर जानकारी प्रदान की ।
डॉ. योगेश बारोलिया, पशु चिकित्सा अधिकारी, बड़ी, उदयपुर ने बताया कि ग्रीष्मकाल में पशुओं को कैसे सुरक्षित रखा जाये एवं उन्हें किस प्रकार से उचित वातावरण उपलब्ध कराया जाये ताकि पशुओं के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव ना पड़ें। इसके साथ ही उन्होनें यह भी बताया कि ग्रीष्मकाल में पशुओं में होने वाली बिमारियों हेतु उचित टीकाकरण करवाना अनिवार्य हैं तथा इस वर्ष भी लम्पी रोग से बचाव हेतु आगामी सप्ताह में विभाग द्वारा घर-घर जाकर पशुओं का टीकाकरण किया जायेगा।
शिविर के दौरान डॉ. दत्रादेय चौधरी, पशु चिकित्सक, बड़गांव, उदयपुर ने कार्यक्रम के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुये पशुओं में होने वाले रोगों के बारे में संक्षिप्त जानकारी दी इसके साथ ही पशुओं में होने वाले रोगों की रोकथाम हेतु आवश्यक दिशानिर्देश भी दिये। साथ ही बताया कि शिविर में 180 बड़े पशुओं का उपचार किया गया तथा इन पशुओं को गल-घोटू रोग का टिकारण किया गया। शिविर में 305 बकरियों को कृमिनाशी दवाई पिलाई गयी जिससे 205 पशु पालकों को लाभान्वित किया गया।
डॉ. आर.एस. राठौड़, स्मार्ट विलेज समन्वयक, मप्रकृप्रौविवि, उदयपुर ने कार्यक्रम का संचालन किया एवं अन्त में सभी पधारे आगन्तुकों को धन्यवाद ज्ञापित करते हुये इन पशुओं में होने वाले बाह्य एवं आन्तरिक परजीवीयों को नियंत्रण करने हेतु संक्षिप्त जानकारी प्रदान की।

 


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