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शब्दों से खिलवाड़ नहीं करें, भावनाओं के साथ शब्द स्वयं चलते हैं - विजय जोशी

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15 Feb 24
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शब्दों से खिलवाड़ नहीं करें, भावनाओं के साथ शब्द स्वयं चलते हैं - विजय जोशी

कहानी, कला, गीतों की रमझोल, समकालीन कविता, संस्कृत साहित्य की उपादेयता, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में हिन्दी का योगदान, बाल कथा के विविध आयाम , महिला काव्य सुधा एव समीक्षा से सरोबार रहा कोटा साहित्यिक महोत्सव का तीसरा दिन , पुस्तक मेले कांपेक्ट डिस्क बुक्स प्रदर्शनी बनी आकर्षण का केंद्र |

शब्दों से खिलवाड़ नहीं करें, भावनाओं के साथ शब्द स्वयं चलते हैं - विजय जोशी

            राजकीय सार्वजनिक मण्डल पुस्तकालय कोटा में पंच दिवसीय संभाग स्तरीय पुस्तक मेले में तीसरे दिन 14 फरवरी 2024  को पंच दिवसीय साहित्यिक महोत्सव में तीसरे दिन के उद्घाटन सत्र में द्वीप प्रज्ज्वलन मुख्य अतिथि डॉ संजय गुप्ता वरिष्ठ नेत्र रोग विशेषज्ञ , डॉ गोपाल कृष्ण भट्ट “आकुल” डॉ प्रभात सिंघल पूर्व संयुक्त निदेशक  जन संपर्क , युवा कवि किशन प्रणय एवं विजय जोशी ने द्वारा किया गया |

            स्वागत उद्वबोदन में पुस्तक डॉ दीपक श्रीवास्तव ने कहा कि " पुस्तक मेला एवं कोटा साहित्यिक महोत्सव  का उद्देश्य " वसुधैव कुटुंबकम की भावना का है, देश दुनिया में शिक्षा, साहित्य, कला, संस्कृति, शोध, आध्यात्म के माध्यम से पाठकों को जोड़ने के उद्देश्य से यह आयोजन किया जा रहा है, इसमें युवाओं को पुस्तकों से जोड़ने के लिए पुस्तक प्रर्दशनी, पुस्तक विमोचन, पुस्तक समीक्षा एवं कवि सम्मेलन जैसे आयोजन किये जा रहे हैं, हमें अत्यन्त ख़ुशी है, कि इस साहित्यिक महोत्सव में युवाओं की सहभागिता सराहनीय है‌।

साहित्य सृजन में शब्दों के साथ कभी भी खिलवाड़ नैन करना चाहिए। भावनाओं के साथ शब्द स्वयं चलते हैं। किसी भी पुस्तक की समीक्षा का यहीं बेहतर आधार होता है। यह विचार कथाकार और समीक्षक विजय जोशी ने आज राजकीय सार्वजनिक मंडल पुस्तकालय में पांच दिवसीय पुस्तक मेला एवं कोटा साहित्यिक महोत्सव समारोह के तीसरे दिन के प्रथम सत्र की चर्चा में व्यक्त किए। साहित्यकार किशन प्रणय जोशी से उनके सृजन और समीक्षा विधा पर चर्चा कर रहे थे।

 जोशी ने कहा साहित्य अपने समय के समाज की अभिव्यक्ति होता है जो आने वाली पीढ़ी का मार्ग तो प्रशस्त कर सकता है पर लेखन की दृष्टि से सामयिक नहीं हो सकता। इस संदर्भ में उन्होंने कई उदाहरण से अपनी बात को पुष्ट करते हुए कहा कि आज समय आ गया है जब हमें साहित्य में नवाचार के लिए सोचना होगा और नई सोच के साथ लिखना होगा। उन्होंने कहा हर पुस्तक में कोई सच्चाई होती है। समीक्षा के दौरान नैसर्गिक रूप से लिखी पुस्तक विचारों को स्वयं उद्वेलित करती है। गीत विधा में दखल रखने वाले जोशी ने " रे़ बंधु तेरा कहां मुकाम " सुना कर श्रोताओं को गुदगुदाया।

 दूसरे सत्र में जोशी ने प्रसिद्ध कवि विश्व मित्र दाधीच से उनके साहित्य कर्म पर चर्चा की। दाधीच ने अपने संस्मरण के साथ अपना  35 साल पुराना लिखा गीत " अकातरा" सुनाया और इस से जुड़े रोचक प्रसंग सुनाएं। आज के साहित्यिक सत्रों का शुभारंभ पूर्व संयुक्त निदेशक जनसंपर्क विभाग डॉ. प्रभात कुमार सिंघल ने मां सरस्वती की पूजा अर्चना कर किया। इस अवसर पर बद्री लाल दिव्य, जितेंद्र निर्मोही, कृष्णा कुमारी, बिगुल जैन, डॉ.शशि जैन सहित कई साहित्यकार मौजूद रहे। पुस्तकालय अधीक्षक डॉ.दीपक कुमार श्रीवास्तव ने सभी का स्वागत किया। प्रारंभ में वरिष्ठ नेत्र रोग चिकित्सक डॉ. संजय गुप्ता ने प्रदर्शनी स्थल पर मां सरस्वती की पूजा अर्चना कर आज के कार्यक्रम का शुभारंभ किया।

            तीसरे सत्र मे किशन प्रणय की समकालीन कविताओं पर डॉ. नन्दकिशोर महावर की वार्ता हुई जिसमें समकालीन कविताओं पर बात करते हुए किशन प्रणय ने कहा कि कविताओं में समकालीनता हो पर अनुभूति की प्रधानता के साथ। जटिल भाषा का प्रयोग करके कविता को गूढ़ बनाने का काम किया जा रहा है, जिससे भाव मरते दीख पड़ते हैं। किशन प्रणय ने अपनी कविताओं का भी पाठ किया जिसमें चंद्रमा है मेरा मारकेश, रणथंभोर में बाघ आदि कविता का पाठ किया। चौथा सत्र मे संचालन के विविध आयामों पर डॉ रेणु श्रीवास्तव ने   मंच संचालन की टिप्स बताई। पांचवा सत्र मे संस्कृत साहित्य की उपादेयता डॉ कपिल गौतम ने ज्ञान को विज्ञान के साथ जाननाही प्राचीन सभ्यता को ही आधुनिक विज्ञान करने का प्रयास है। जो देता है वही देवता हैं, जैसे सूर्य, पृथ्वी जल और आकाश। छठवां सत्र मे  भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में हिन्दी भाषा का योगदान, डॉ महिषा शर्मा ने बताया कि " समाचार पत्रों के माध्यम से स्वतंत्रता के लिए जनचेतना पैदा हुईं। पांच हजार अंग्रेज बत्ती करोड़ भारतीयों पर हावी रहे। भारतेन्दु ने राष्ट्र भाषा के प्रचार प्रसार के लिए पूरे भारत में भ्रमण किया, और भारत दुर्दशा नाटक के माध्यम से जागृति जगाई। मैथिली शरण गुप्त की भारत भारती, जयशंकर प्रसाद की अआमायनी ने आजादी दिलाई। सातवां सत्र मे आचार्य धनराज शर्मा ने जिन्दगी जीने का सूत्र बताया। सफर लम्बा होतो सामान कम रखो, जिन्दगी ज्यादा जीना है तो अरमान कम रखो, इसके माध्यम से जीने की राह बताई।

            आठवां सत्र मे किशन वर्मा के राजस्थानी गीत मधूर मधुर गुन गुन जारी करें भंवरा गीत पढ़कर श्रोताओं की दाद पाई | नवम सत्र मे महिला काव्य सुधा का आयोजन किया गया, जिसमें आर्यन लेखिका मंच के प्रतिनिधि मण्डल ने काव्य पाठ किया, जिसमें  डॉ वीणा अग्रवाल ने अध्यक्षता की,श्यामा शर्मा, डॉ अपर्णा पाण्डेय, अनुराधा शर्मा, उषा झा, पल्लवी न्याती,प्रतिभा शर्मा, डॉ इन्दु बाला शर्मा, वंदना आचार्य, साधना शर्मा, डॉ कृष्णा कुमारी, स्मृति शर्मा, स्नेहलता शर्मा, डॉ नील प्रभाव नाहर, डॉ मनु वशिष्ठ, डॉ युगल शर्मा  ने अपनी कविताओं से नवाजा जिसे श्रोताओं ने सराहा, इसका संचालन रेखा पंचोली ने किया। दशकों सत्र में - गजलों का सोन्दर्य डॉ कृष्णा कुमारी कमसिन, सुनो कहानी में रेखा पंचोली ने व्याख्यान दिया।

            कार्यक्रम संयोजिका डॉशशि जैन ने अवगत कराया है कि इस आयोजन में चौथे दिन सिन्धी साहित्य में सामाजिक आयाम एवं पर्यावरण, राजस्थानी गीतों की रमझोल में मुकुट मणिराज, राजस्थानी हिन्दी के आयाम में महेश पंचोली, ढाई कड़ी की रामलीला और पात्र,, साहित्य एवं शोध, शरद की शब्दावली, विराट कवि सम्मेलन, हिन्दी बाल साहित्य : दशा और दिशा, हाड़ौती अंचल का राजस्थानी साहित्य पर नहुष व्यास पत्र वाचन करेंगे, बाल काव्य मजूषां, एक शाम आपके नाम, डॉ क्टर्स टॉक एवं सांस्कृतिक संध्या का भी आयोजन किया जायेगा जिसमें शहर के जाने माने गायक कलाकार प्रस्तुति देगें।

प्रमुख क्षेत्र की पुस्तकें

पुस्तक प्रदर्शनी में सेल्फ हेल्प , नॉन फिक्सन, फिक्सन, साईन्स फिक्सन, क्राईम  मिस्ट्री एवम थ्रीलर, बिजनेस एण्ड मेनेजमेंट , जीवनीया , क्लासीक्स , हिन्दी नोवेल्स, स्पीरीचुयल्स , माईथोलोजी , यंग फिक्सन, विश्वकोश , चिल्ड्रेन्स बुक्स इत्यादि ।स्वामी विवेकानद एवं स्वामी रामकृष्ण साहित्य सी.डी.फ़ोटोज़ प्रदर्शनी लगाई गई ।

प्रमुख प्रकाशक :

 समारोह में जायकों , फिंगर प्रिंट , प्रभात प्रकाशन , राजपाल , हार्पर कोलिन्स, पैंगविन रेन्डम हाउस , सीमोन एंड सुस्टर , राधाकृष्ण, राजकमल , एनीकडोट , स्कालिस्टीक, पेन –मेक मिलन , ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सीटी , ब्लूम्सबरी , केम्ब्रीज, एनीकडोट इत्यादि के साथ - साथ जया बुक वर्ल्ड, ए.के.बी. पब्लिसर्स, एनीकडॉट पब्लिकेशन , स्वामी साहित्य  वितरकों ने भागीदारी की है।

ख्यात लेखकों की प्रमुख पुस्तकें :

पुस्तक मेले में प्रख्यात लेखक राबिन शर्मा , जेम्स क्लीयर , अमीश , अंकुर बारिकों, ए.पी.जे. अब्दुल कलाम आजाद , ओशो , जे.के. रोलिंग, दीप त्रिवेदी , राबर्ट ग्रीन आई आदि की पुस्तकें प्रदर्शित की गई हैं।

हाड़ोती के लेखक :

पुस्तक मेले में हाड़ोती अंचल के विष्णु हरिहर , योगीराज योगी , रामेशवर “रामू “जितेंद्र निर्मोही , विजय जोशी , अंबिका दत्त चतुर्वेदी , डॉ विवेक मिश्र , देवकी दर्पण , हरिचरण अहरवाल , योगेश यथार्थ , डॉ कृष्णा कुमारी , श्यामा शर्मा , रेखा पंचोली , मुकटमणी राज , मंजु किशोर रश्मि , सी.एल.सांखला , डॉ प्रभात सिंघल ,फिरोज अहमद , डॉ हुकुम चंद जैन , ममता महक , डॉ नन्द किशोर महावर ,हेम सिंह हेम, रामवातार सागर , डॉ अदित्य कुमार गुप्ता,  महेंद्र नेह , राम नारायण “हलधर”, रामकरण प्रभाती , प्रीतिमा पुलक , जगदीश भारती , डॉ कृष्णा कुमारी , डॉ अनीता वर्मा ,मेघना तरुण , चाँद शेरी , किशण प्रणय , किशन वर्मा , सुरेश पण्डित , प्रेम शास्त्री सहित 100 से अधिक स्थानीय लेखकों की पुस्तकें भी प्रदर्शित की गई हैं।

     पुस्तक मेले  में बड़ी संख्या में साहित्यकार, विद्यालयों, महाविधालयों के छात्रों समेत आमजन देखने के लिए प्रतिदिन उमड़ रहे हैं।


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