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व्यक्ति ,व्यक्तित्व और सफल जीवन परस्पर अवलम्बित :डॉ. मीनू श्रीवास्तव

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28 May 23
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व्यक्ति ,व्यक्तित्व और सफल जीवन परस्पर अवलम्बित :डॉ. मीनू श्रीवास्तव

महाविद्यालय की अधिष्ठाता डॉ मीनू श्रीवास्तव ने महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रैाद्यैागिकी विश्वविद्यालय उदयपुर, के संघटक सामुदायिक व् व्यावहारिक विज्ञान महाविद्यालय ,  के प्लेसमेंट सेल एंड इनफार्मेशन ब्यूरो द्वारा  "बहुआयामी व्यक्तित्व लक्षणों के विकास के माध्यम से उज्ज्वल भविष्य की तैयारी" विषयक  एक दिवसीय कार्यशाला के उद्घटान सत्र में बतौर अध्यक्ष व्यक्त किये।  आपने कहा की व्यक्तित्व एक व्यक्ति के जीवन में आवश्यक है जो न केवल पेशेवर सफलता तय करता है बल्कि व्यक्तिगत जीवन में उसके समग्र व्यवहार और दृष्टिकोण को भी निर्धारित करता है। हमारा व्यक्तित्व यह निर्धारित करता है कि हम किसी विशेष चीज़ पर कैसे कार्य या प्रतिक्रिया करते हैं और हम दुनिया से कैसे बातचीत और प्रतिक्रिया करते हैं। आपने बताया की पूरी कार्यशाला के दौरान तीन सत्र आयोजित किये जायेंगे यथा सम्प्रेषण कौशल ,योग व् व्यक्तित्व तथा सकारात्मक व्यक्तित्व।

  आयोजन सचिव डॉ गायत्री तिवारी ने बताया की कार्यक्रम का उद्देश्य. प्रतिभागियों को व्यक्तित्व लक्षणों की आवश्यकता और महत्व के बारे में बताना  तथा व्यक्तित्व लक्षणों के बहुआयामी पहलुओं के प्रति प्रतिभागियों के ज्ञान को बढ़ाना था।  व्यक्तित्व विकास आपको समाज के साथ-साथ आसपास के लोगों से पहचान और स्वीकृति प्राप्त करने में मदद करता है। यह जीवनपर्यन्त व्यक्ति के विकास को प्रभावित करता है जो उसके अंतर्वैयक्तिक तथा अंतरा  वैयक्तिक संबंधों का मूलाधार है। छात्र जीवन में यदि इसकी अहमियत समझ ली जाए तो भावी सुखी व्यावसायिक और व्यक्तिगत जीवन का मार्ग प्रशस्त हो जाता है।
प्रथम  वक्ता श्री उत्कर्ष व्यवहार परिवर्तन और संचार विशेषज्ञ,जतन संस्थान, उदयपुर ने ने विविध गतिविधियों के माध्यम से 1 जी से लेकर 5 जी के संचार सफर के विषय में सारगर्भित चर्चा की। आपने कहा की सम्प्रेषण कौशल हमें दूसरों के साथ संबंध बनाने और बनाए रखने में मदद करता है। हम अपने विचारों, विचारों और भावनाओं को बेहतर ढंग से समझने के लिए साझा कर सकते हैं कि हम एक दूसरे से कैसे संबंधित हैं। यह इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह उन लोगों को अनुमति देता है जो सुनने या बोलने में सक्षम नहीं हैं, उन्हें यह महसूस करने का मौका मिलता है कि वे समाज का हिस्सा हैं।
द्वितीय वक्ता डॉ. शुभा सुराणा योग प्रशिक्षक,उदयपुर ने योग द्वारा व्यक्तित्व विकास पर प्रकाश डालते हुए कहा की योग एक महान कला और विज्ञान है. यह भावनात्मक स्थिरता लाता है। यह नकारात्मक भावनाओं को नियंत्रित करने में मदद करता है। योगाभ्यास जैसे यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार और ध्यान भावनात्मक प्रबंधन में मदद करते हैं। उन्होंने प्राणयाम का प्रायोगिक अभ्यास कराया.
      तीसरी  वक्ता प्रोफेसर विजय लक्ष्मी चौहान, सेवानिवृत्त प्रोफेसर और विभागाध्यक्ष -मनोविज्ञान विभाग,एमएलएसयू, उदयपुर, ने सकारात्मक व्यक्तित्व के बारे में बताते हुए कहा की जब आप एक सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित करते हैं, तो आप अपने बारे में बेहतर महसूस करने लगेंगे। आप अपने आप को अधिक सम्मान और प्यार देंगे, और बदले में यह आपके आत्मविश्वास के स्तर और आंतरिक शक्ति को बढ़ाएगा। आप नई चुनौतियों का सामना करेंगे और अपने आत्म-सीमित विश्वासों से बाहर आएंगे।कार्यक्रम के सह आयोजन सचीव डॉ सरला लखावत और डॉ हेमू राठौड़ तथा तकनीकी सहयोगी डॉ स्नेहा जैन व् श्रीमती रेखा राठौड़ थे।   इस अवसर पर लगभग 67 छात्र छात्रों ने उत्साह से भाग लिया।


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