मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय के लोक प्रशासन विभाग द्वारा संविधान दिवस पर ‘‘भारतीय गणतंत्र एवं संविधान : अपेक्षाएँ एवं उपलब्धियाँ’’ विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आगाज हुआ।
संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र में जम्मू विश्वविद्यालय के प्रो. बलजीत सिंह ने अपने वक्तव्य में कहा कि संविधान कानून के शासन को सुनिश्चित करता है तथा उदारवादी भारतीय लोकतंत्र में भारतीय संविधान ने जनअपेक्षाओं को पूरा किया है। दक्षिण गुजरात विश्वविद्यालय सूरत के प्रो. नीलेश जोशी ने कहा कि भारतीय सामाजिक-सांस्कृतिक विविधताओं में देश को एकीकृत करने और आर्थिक विकास को गति देने में संविधान ने अपनी महती भूमिका निभाई है।
राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर के प्रो. संजीव भाणावत ने पत्रकारिता और मीडिया तथा स्वतंत्रता के विविध पक्षों को उठाते हुए कहा कि पत्रकारिता और मीडिया की बदलती दुनिया खासतौर से ऑनलाइन प्लेटफॉर्म और सोशल मीडिया और साथ में कृत्रिम बौद्धिकता के दौर में निजता तो भंग हुई ही है बल्कि आम व्यक्ति के जीवन में भी अनेक तकनीकी जटिलताएँ उत्पन्न हो गई है।
छिंदवाड़ा विश्वविद्यालय के प्रो. राजेन्द्र मिश्रा ने अपने वक्तव्य के कहा कि समाज के अंतिम छोर पर खड़े आम व्यक्ति को संविधान की संरक्षण प्रदान करता है।
परिवहन विभाग, राजस्थान सरकार के संयुक्त आयुक्त डॉ. मन्ना लाल रावत ने अनुसूचित जनजातियों और इनसे संबंधित नीतियों और कानूनों की प्रासंगिकता, सीमितता और अल्प क्रियान्वयन पर चिंता प्रकट की। उनका मत था कि जनजातियों के संवैधानिक हितों पर पुनर्विचार की आवश्यकता है।
कार्यक्रम का संचालन डॉ. गिरिराज सिंह चौहान ने किया तथा धन्यवाद देते हुए प्रो. सी.आर. सुथार ने कहा कि आज संगोष्ठी में 40 प्रतिभागियों ने ऑनलाइन पत्रवाचन किया तथा 27 नवंबर को संगोष्ठी पूर्णतया ऑफलाइन रहेगी तथा लगभग दो दर्जन पत्रवाचन होंगे।