उदयपुर । तेलीवाड़ा स्थित हुमड़ भवन में आचार्यश्री सुनीलसागर संघस्थ बाल ब्रह्मचारी विशाल भैया की सोलहकरण उपवास साधना पूरी होने पर सोमवार प्रात: 10बजे सकल दिगम्बर जैन समाज की ओर से बैण्डबाजों के साथ उनकी शोभायात्रा के साथ भव्य बिन्दोली निकाली गई। बिन्दोली में समाज के कईश्रावक- श्राविकाएं शामिल हुए। मंगलवार को पारणा उत्सव होगा।
महिला मण्डल अध्यक्षा श्रीमती मंजू गदावत ने बताया कि ब्रह्मचारी विशाल भैया की सोलहकरण की कठिन साधना पूर्ण होने पर हुमड़ भवन से प्रात: 10 बजे भव्य बिन्देाली निकाली गई। तपस्वी ब्रह्मचारी भैया को बग्घी में बिराजमान कराया गया। बैण्डबाजों के साथ निकली बिन्दोली में श्रावक- श्राविकाएं शाुमिल हुई। श्राविकाएं जहां मंगल गीत गाती चल रही थी वहीं श्रावक संघ तपस्वी के जयकारे लगा रहे थे। हुमड़ भवन से निकली बिन्दोली क्षेत्र में स्थित सात प्रमुख जिनालयों में दर्शन लाभ लेते हुए पुन: हुमड़ भवन पहुंची। यहां पर विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान सम्पादित किये गये। इसके बाद धर्मसभा हुई।
तप आराधना से मिलता है मोक्ष का मार्ग: सुमित्र सागरजी
धर्मसभा में सुमित्र सागरजी महाराज ने कहा कि जीवन में तप का बहुत बड़ा महत्व है। तप करने से ही मोक्ष का द्वार मिलता है। बिना तप के प्रभु भक्ति आराधना नहीं की जा सकती है। तप करने के लिए समता का भाव होना चाहिये, प्रभु पर अटूट श्रद्धा, विश्वास के साथ दृढ़ इच्छा शक्ति जरूरी है।
महाराज ने कहा कि तप से आप स्वयं को जान सकते हो। तप के द्वारा अपने शरीर की इन्द्रियों पर नियंत्रयण किया जा सकता है। जीवन में तप साधना के लिए मन पर नियंत्रण होना बहुत जरूरी है। जिसने मन को जीत लिया, उसने संसार को जीत लिया और जो संसार को जीत लेता है वह प्रभु के निकट पहुंच जाता है। जितना साधना में शरीर तपेगा उतना ही आत्म ज्ञान बढ़ेगा। प्रभु के सामने शुद्ध और सच्चे भाव से की गई प्रार्थना ही Èलदायी होती है। उन्होंने कहा कि जब आप मन्दिर में पूजा करते हैं, श्रीजी के शांतिधारा करते हैं उस समय आपका चित्त बिल्कुल एकाग्र होना चाहिये। त्याग और तपस्या के लिए एकाग्रता का भाव जयरी है।
प्रचार प्रसार मंत्री पारस चित्तौड़ा ने बताया कि शाम को 7.30 बजे भक्ति संध्या हुई जिसमें सकल दिगम्बर जैन समाज के श्रावक- श्राविकाओं ने भाग लिया। चित्तौड़ा के अनुसार 11 सितम्बर को प्रात: 10 बजे विशाल भैया का पारणा होगा। इसके साथ ही सम्मान समारोह एवं विशेष प्रार्थना सभा एवं प्रवचन होंगे।
धर्मसभा में पूर्व आचार्यश्री सुनीलसागरजी महाराज के सभी पूर्वाचार्यों के चित्र का अनावरण किया गया। उसके बाद शांतिधारा, दीप प्रज्वलन, सुनीलसागाजर महाराज ससंघ की अद्वविली की गई। धर्मसभा में मंगलाचरण दीदी पूजा हण्डावत परिवार ने किया जबकि संचालन बाल ब्रह्मचारी विशाल भैया ने किया।
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