उदयपुर : बी.एन.संस्थान के उदयपुर और राजसमंद विज्ञान वर्ग के विद्यार्थियों का शैक्षणिक भ्रमण आयोजित हुआ। शैक्षणिक भ्रमण में विज्ञान संकाय डीन डॉ रेणु राठौड़, एसोसिएट डीन डॉ ऋतू तोमर, डॉ संगीता राठौड़, डॉ कमल सिंह राठौड़, डॉ देवेंद्र पारीक, डॉ प्रीति मेहता, डॉ चंद्रपाल सिंह चौहान, डॉ निकुंज जैतावत, डॉ लोकेश सुथार, डॉ सांत्वना बाफना, दीपाली बारेगामा के साथ विज्ञान वर्ग के 21 विद्यार्थी उपस्थित थे।भौतिक विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष तथा शैक्षणिक भ्रमण संयोजक डॉ देवेंद्र पारीक के अनुसार फतेह सागर झील के अंदर 50सेंटीमीटर अपार्चर का MAST मास्ट (मल्टी एप्लीकेशन सोलर टेलीस्कोप) हैं। और इसकी सहायता से सूर्य के प्रकाश को एक जगह फोकस करने के पश्चात अलग-अलग तरह के शोध किए जाते है। प्रोफेसर शिबू के मैथ्यू, रम्या बीरेड्डी, अनिशा कुलहरी ने छात्रों को विभिन्न शोध संबंधी जानकारी दी गई तथा सूर्य में उपस्थित विभिन्न परतौ के बारे में बताया गया। सूर्य के सबसे अंदर कोर अम्बरा होता है और उसके बाद फोटोस्फीयर, क्रोमोस्फीयर, कोरोना होती है। फोटोस्फेयर पर सन स्पॉट (सौर धब्बे या कलंक)उपस्थित होते है जिनके चुंबकीय क्षेत्र के बारे में अध्ययन किया जाता है। फतेह सागर झील में उपस्थित सौर वैधशाला में एक अन्य स्पार टेलीस्कोप भी उपलब्ध है जो की1975 से स्थापित है जिसके बारे में रवि चौरसिया ने विस्तृत जानकारी दी और ये बताया कि इस टेलीस्कोप के सहायता से सूर्य की सतह को चकती के रूप में देखा जाता है। उच्च रिज़ॉल्यूशन की विशेष दूरबीनों से देखने पर सौर ज्वालाएँ, बड़े पैमाने पर उत्सर्जन भी दिखाई देता है। और वैज्ञानिक उनसे प्राप्त आंकड़ों और तस्वीरों से सूर्य के चुंबकीय क्षेत्र में बदलाव, विस्फोट और अंतरिक्ष के मौसम पर पड़ने वाले प्रभाव के कारणों को समझते हैं और विभिन्न सूर्य संबंधित शोध किए जाते है। उन्होंने यह भी बताया कि टेलीस्कोप को झील के बीच में इसलिए रखते है जिससे हवा में विक्षोभ न्यूनतम रहे जिससे की सूर्य से संबंधित उच्च गुणवत्ता की शोध की जा सके और बेहतरीन चित्र उपलब्ध हो सके। यह शैक्षणिक भ्रमण डॉ. राजा बायन्ना के विशेष प्रयासों से आयोजित हुआ। यह सब बाते जानकर विज्ञान वर्ग के छात्र अत्यंत रोमांचित हुए तथा शोध के प्रति रुचि जागृत हुई। उदयपुर में भारत का एकमात्र और विश्व के छः में से एक गोंग (ग्लोबल ओसीलेशन नेटवर्क ग्रुप)टेलीस्कोप भी हैं, ये सारे फिजिकल रिसर्च लेबोरेटरी, अहमदाबाद और इसरो के अंतर्गत संचालित हैं।सूर्य की इन गतिविधियों के अध्ययन के लिए इस वेधशाला के वैज्ञानिकों की टीम पिछले पांच दशकों से खगोल विज्ञान और खगोल भौतिकी, सौर भौतिकी, अंतरिक्ष और वायुमंडलीय विज्ञान सहित अन्य विज्ञानों का शोध और अध्ययन कर रही है। यह वेधशाला सूर्य के रहस्यों का अध्ययन करने वाले दुनिया के शीर्ष संस्थानों में से एक है।यह वेधशाला आने वाले समय में आदित्य एल-1 सौर मिशन के साथ भी एक सफलता की कहानी लिखेगी।