बालोतरा | चंपालाल व्यास बनाम राज्य सरकार एवं अन्य सहित आधे दर्जन से अधिक याचिकाओं पर उच्च न्यायालय के न्यायाधिपति पी.के. लोहरा ने याचिकाकर्ताओं की ओर से एडवोकेट क्षेमेंद्र माथुर द्वारा दी गई दलीलें स्वीकार कर एवं याचिकाओं का निस्तारण करते हुए यह व्यवस्था दी है कि शिक्षा विभाग में उच्च पद पर पातेय वेतन कार्य करते हुए मूल पद का वेतनमान एवं भत्ता देना नियम विरुद्ध है। उल्लेखनीय है कि चंपालाल व्यास ने बालोतरा उपखंड क्षेत्र के टापर स्थित राजकीय उच्च माध्यमिक स्कूल में प्रधानाध्यापक के तौर पर सेवाएं दी थीं, जबकि उनका मूल पद माध्यमिक स्तर का ही था।
एडवोकेट क्षेमेंद्र माथुर ने बताया कि यह व्यवस्था राज्य सरकार के सभी विभागों में समान रूप से लागू होगी। अब इस निर्णय से राज्य के किसी भी विभाग के कर्मचारी को, जिस पद पर उसने कार्य किया है, उस उच्च पद का पातेय वेतन पर कार्य ग्रहण करने की दिनांक से उस उच्च पद का वेतनमान एवं भत्ता तथा वेतन निर्धारण परिलाभ मिलेगा। इस निर्णय का लाभ केवल याचिकाकर्ताओं को ही मिलेगा। न्यायालय ने अपने निर्णय में याचिकाकर्ताओं के पक्ष में अपने आदेश की पालना के लिए राज्य सरकार को तीन महीने के भीतर समस्त भुगतान करने का आदेश दिए हैं।
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