बांसवाड़ा, ज्योतिष, कर्मकाण्ड एवं प्राच्य परम्पराओं के विशेषज्ञ पं. कुंजबिहारी दत्त आचार्य का गुरुवार को निधन हो गया। अस्सी वर्षीय पं. आचार्य पिछले दो माह से बीमार चल रहे थे। गुरुवार को सवेरे बड़ौदा के अस्पताल में उन्होंने अंतिम साँस ली। वे अपने पीछे भरा-पूरा परिवार छोड़ गए हैं।
आयुर्वेदाचार्य की उपाधि प्राप्त पं. कुंजबिहारी आचार्य एलोपैथी एवं आयुर्वेद दोनों विधाओं के साथ ही पारंपरिक जड़ी-बूटियों एवं औषधि विज्ञान के भी ज्ञाता थे। अग्निहोत्री परिवार की परंपरा में पले-बढ़े पं. आचार्य को ज्योतिष, कर्मकाण्ड और पुरातन विद्याओं का ज्ञान अपने पिता सिद्ध ज्योतिर्विद एवं तपस्वी पं. शिवशंकर आचार्य (शिवा महाराज) से प्राप्त हुआ।
अत्यन्त सरल, सहज एवं विनम्र स्वभाव के धनी और सदैव आत्म आनंद में निमग्न रहने वाले पं. आचार्य ने नैमा समाज के गोरजी के रूप बरसों तक शुभाशुभ प्रसंगों में पाण्डित्य व आचार्यत्व का दायित्व निभाया। विगत तीन वर्ष से उन्होंने अपने आपको साधना में समर्पित कर दिया था।
अपने यजमानों में ‘काना महाराज’ के नाम से प्रसिद्ध पं. कुंजबिहारी आचार्य को कल ही बड़ौदा के अस्पताल में भर्ती कराया गया था जहां अनथक प्रयासों के बावजूद उन्हें नहीं बचाया जा सका।