उदयपुर। विश्व अस्थमा दिवस के अवसर पर आज पेसिफिक मेडिकल कॉलेज एण्ड हॉस्पिटल के वक्ष एवं क्षय रोग विभाग की ओर से एक विशेष जागरूकता वर्कशॉप का आयोजन किया गया। विश्व अस्थमा दिवस हर साल मई महीने के पहले मंगलवार को मनाया जाता है। इस वर्ष की थीम " मेक इनहेल्ड ट्रीटमेंट्स एक्सेसिबल फॉर ऑल" (Make Inhaled Treatments Accessible for ALL) रखी गई है।
वर्कशॉप का उद्घाटन पीएमसीएच के प्रिंसिपल डॉ.यू.एस.परिहार,वक्ष एवं क्षय रोग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ.सी.एस.पुरोहित,डॉ.अतुल लुहाडिया,डॉ.सुनील कुमार,डॉ.दीपक कालरा,डॉ.मनीष आडवानी एवं डॉ.ज्योति कुमारी ने मॉ सरस्वती के प्रतिमा पर माल्यार्पण करके किया।
वर्कशॉप के दौरान डॉ.सी.एस.पुरोहित ने कहा कि अस्थमा एक पुरानी सांस की बीमारी है, जिससे दुनियाभर में करोड़ों लोग प्रभावित हैं। भारत में लगभग 3.5 करोड़ लोग अस्थमा से पीड़ित हैं, जिनमें से एक बड़ी संख्या बच्चों और बुजुर्गों की है। विशेषज्ञों के अनुसार, प्रदूषण, धूल, धूम्रपान और जीवनशैली संबंधी कारणों से अस्थमा के मामले लगातार बढ़ रहे हैं।
डॉ.पुरोहित ने कहा कि इस वर्कशॉप का उद्देश्य आमजन और चिकित्सा विद्यार्थियों को अस्थमा की गंभीरता, इसके लक्षण, रोकथाम और उपचार के आधुनिक तरीकों के प्रति जागरूक करना है।
वर्कशॉप के दौरान वक्ष एवं क्षय रोग विशेषज्ञ डॉ.सुनील कुमार ने ब्रोन्कियल अस्थमा डायग्नोसिस के बारे में बताते हुए अस्थमा रोग में स्पाइरोमेट्री एवं लक्षण आधारित जॉच की महत्ता के बारे में विस्तार से चर्चा की।
वर्कशॉप में वक्ष एवं क्षय रोग विशेषज्ञ डॉ.अतुल लुहाडिया ने विश्व अस्थमा दिवस पर यह संदेश दिया कि अस्थमा को हराया जा सकता है, बस इसके बारे में जानकारी और सही प्रबंधन जरूरी है। अस्थमा को समय पर पहचान कर सही इलाज और जीवनशैली में बदलाव के जरिए नियंत्रित किया जा सकता है। लेकिन जागरूकता की कमी के कारण कई मरीज समय पर इलाज नहीं ले पाते।
डॉ.लुहाडिया ने इनहेलर का नियमित और सही तरीके से प्रयोग,धूल, धुएं और प्रदूषण से बचाव करें,शारीरिक व्यायाम और योग को जीवनशैली में शामिल करने पर जोर दिया।
इस अवसर पर पीएमसीएच के सभी विभागों के विभागाध्यक्षों सहित अन्य चिकित्सक,मेडिकल छात्र एवं नर्सिंग स्टाफ मौजूद रहे