महारानी लक्ष्मी बाई पन्ना सी महान थी, जौहर में दी आहुति जिसने अपने प्राण की, सती के सतीत्व और विधि के विधान की, गाथा है उसी पद्मिनी के स्वाभिमान की.... : डॉ. अनामिका जैन अम्बर
राष्ट्रभक्ति के पृष्ठों से तुम नाम भले हटवा देना, मेरे जिस्म के टुकड़े चीलों कव्वो को बटवा देना। मैं कहता हूँ एक बार कश्मीर भी दे दो योगी को, आतंकवाद यदि बचे तो मुझको इंचों में कटवा देना।....: सौरभ जैन सुमन (मेरठ)
- राणा की तलवार अमर है, मीरा के रैदास अमर, पद्मिनियों की परछाई से हो जाते वनवास अमर। मेवाड़ी माटी का गौरव फिल्में क्या बतलाएगी, पन्ना का बलिदान अमर है, जौहर का इतिहास अमर- राव अजात शत्रू
उदयपुर, 18 सितम्बर। सुनील सागर चातुर्मास व्यवस्था समिति की ओर से आचार्यश्री सुनीलसागर ससंघ के पिच्छी महोत्सव के तहत शनिवार को नगर निगम के टाउन हॉल प्रांगण में हुआ अखिल भारतीय विराट कवि सम्मेलन गुलाबी सर्दी में देर रात तक काव्य की बारीश में भीगता रहा। श्रोताओं के मुंह से कभी हंसी के फव्वारे छूटते रहे तो कभी ठहाकों से नगर निगम का पाण्डाल गूंजता रहा। वीर रस एवं श्रृंगार की कविताओं ने तो ऐसा समा बांधा कि श्रोता देर रात तक पाण्डाल में जमे रहे और वहां से टस से मस नहीं हुए। वीर रस ने उपस्थित श्रोताओं में देशभक्ति का ऐसा ज्वार घोला कि भारत माता की जय के नारों से आसमान गूंज उठा। श्रृंगार रस ने भी प्रेम, प्यार और मोहब्बत की ऐसी लडिय़ां बिखेरी कि हर किसी का दिल बाग-बाग हो गया।्र कवि सम्मेलन में कवियों द्वारा एक से बढ़ कर एक रचनाओं की प्रस्तुतियां दी जिससे दर्शकों से तो उन्हें दाद मिली ही साथ में हास्य और श्रृंगार के रसिकों ने वन्स मोर- वन्स मोर की भी आवाजें लगा कर कवियों की रचनाओं को भरपूर सम्मान दिया।
अध्यक्ष शांतिलाल वेलावत ने बताया कि सूत्रधार राव अजात शत्रू के साथ मंच पर कवि सौरभ जैन, अनामिका अम्बर, मुन्ना बेट्री, एकता आ्रर्या, निशामुनि गौड़, दीपक भाटिया और कालु पण्डित ने अपनी एक से बढ़ कर एक ऐसी कविताएं और गीत सुनाए कि पूरा नगर निगम का पाण्डाल गुलाबी सर्दी में देशभक्ति के जोश और ठहाकों की फूलझडिय़ों से गूंज उठा।
कवि राव अजात शत्रु ने अपनी काव्य रचना- राणा की तलवार अमर है, मीरा के रैदास अमर, पद्मिनियों की परछाई से हो जाते वनवास अमर। मेवाड़ी माटी का गौरव फिल्में क्या बतलाएगी, पन्ना का बलिदान अमर है, जौहर का इतिहास अमर को सुनाकर श्रोताओं से जमकर दाद लूटने के साथ ही खूब तालियं बटोरी और श्रोताओं में देशभक्ति का जोश भर दिया। नाथद्वारा से आये कवि कानू पण्डित ने अपनी रचना जिन्दगी में लाख ऊंची उड़ान तेरी, परिवार के प्रति तू फर्ज मत भूलना, खुद की जवानी तेरी जिन्दगी को दे दी प्यारे, ऐसे बुढ़े पिता का कर्ज मत भूलना सुना कर युवाओं को अपने माता- पिता के प्रति उनके फर्ज को याद दिलाया। इस रचना को श्रोताओं ढेर सारा प्यार ओर सम्मान दिया और तालियों की गडग़ड़ाहट से टाऊन प्रांगण को गूंजा दिया।
अलीगढ़ से आई कवियित्रि एकता आर्या ने अपनी रचनाओं से श्रोताओं को मंत्रमुज्ध करते हुए अपनी रचना - धर्म पताका से नतमस्तक धरती अम्बर होते हैं। प्रवचन सुनकर के जाना जैसे पैगम्बर होते हैं। सारे ही चोईस तीर्थंकर देते यह सन्देश हमें, जो कांटोंं पर हंस कर चलते वो ही दिगम्बर होते हैं सुनाई तो पूरा पाण्डाल धर्ममयी हो गया और तीर्थंकरों और आचार्यश्री गुरूदेव के जयकारों से गूंज उठा। इसके बाद एक से बढक़र एक रचनाएं सुनाकर उन्होंने श्रोताओं की खूब तालियां बटोरी।
डॉ अनामिका जैन अम्बर (मेरठ)-ने अपनी रचना- महारानी लक्ष्मी बाई पन्ना सी महान थी, जौहर में दी आहुति जिसने अपने प्राण की, सती के सतीत्व और विधि के विधान की, गाथा है उसी पद्मिनी के स्वाभिमान की- सुनाकर श्रोताओं की खूब वाह-वाही लूटी। इनकी रचना ने एक बार फिर से श्रोताओं केे अन्दर देशभक्ति की ज्वाला फूंकी।
कवि एवं कवि सम्मेलन का संचालन कर रहे -सौरभ जैन सुमन (मेरठ) ने अपनी रचना- कश्मीर समस्या पर: राष्ट्रभक्ति के पृष्ठों से तुम नाम भले हटवा देना, मेरे जिस्म के टुकड़े चीलों कव्वो को बटवा देना। मैं कहता हूँ एक बार कश्मीर भी दे दो योगी को, आतंकवाद यदि बचे तो मुझको इंचों में कटवा देना। सुनाकर श्रोताओं में देश भक्ति की जोरदार हलचल मचा दी।
प्रचार मंत्री पारस चित्तौड़ा ने बताया कि कवि सम्मेलन का शुभारम्भ दीप प्रज्वलन एवं सरस्वती वन्दना से प्रारम्भ हुआ। सरस्वती वन्दना एवं मंगलाचरण कोटा से आई यशीका जैने ने प्रस्तुत किया। कवि सम्मेलन के मुख्य अतिथि उदयपुर जिला पुलिस अधीक्षक राजेन्द्र प्रसाद गोयल एवं विशिष्ट अतिथि बाहुबलि जैन थे। इस कवि सम्मेलन में चातुर्मास व्यवस्था समिति के शांतिलाल वेलावत, सुरेश पदमावत, देवेन्द्र छाप्या, जनकराज सोनी, पारस चित्तौड़ा आदि ने मुख्य अतिथि, विशिष्ट अतिथि एवं कवियों का स्वगत अभिनन्दन किया।
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