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बेसहारो का सहारा बना मेवाड हॉस्पीटल

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09 Jul 16
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बेसहारो का सहारा बना मेवाड हॉस्पीटल
उदयपुर मेवाड हॉस्पिटल में श्रीमती रूपी बाई उम्र 65 व६ार् निवासी देवगड राजसमन्द का सफलतापूर्वक घुटने का जोड प्रत्यारोपण व उसी पैर के मल्टीपल फ्रेक्चर का ऑपरेशन किया गया।
मेवाड हॉस्पिटल समुह के मेनेजींग डायरेक्टर डॉ. मनी६ा छापरवाल जी ने बताया कि रूपी देवी को विगत 7-8 वर्षोंसे से बाएं पैर में ऑर्थराईटिस (गठिया) की बिमारी थी जिसका सम्यानुसार उचित उपचार ना कराने के कारण विगत 2 वर्षोंसे दो बार अलग-अलग जगह पर फ्रेक्चर हुआ, और उचित ईलाज के अभाव मे दोनो बार हडडी अपने आप आडी-टेडी जुड गयी जिसकी वजह से उनका अपने दैनिक कार्यो के लिए भी चलना फिरना बंद हो गया। इस स्थिति मे कई अस्पतालो मे परामर्श लेने पर सबने अहम्दाबाद या किसी अन्य बडे शहरो मे जाने की सलाह दी।
मरीज श्रीमती रूपी बाई की जाँच के उपरान्त डॉ. मनीष छापरवाल जी ने बताया कि मेडीकल सांइस में ऐसे दुर्लभ केस (मरीज) यदाकदा ही आते है जिन्हें विश्वस्तरीय उन्नत मेडिकल सुविधाओं व अनुभव के साथ ही सही उपचार मिल पाता है।
मरीज श्रीमती रूपी बाई का सफल ऑपरेशन के बाद अपने आपको भाग्यशाली मानती है और सहृद्य डॉ. मनीष छापरवाल साहब को अनेकानेक बार धन्यवाद देती हैं कि उसे मेवाड मे ही मेवाड हॉस्पीटल में विश्वस्तरीय चिकित्सा सुविधा मिल गई।
डॉ. मनीष छापरवाल जी ने ऑपरेशन में ( कम्पुयूटर अस्सिटिड नेविगेशन सिस्टम )के द्वारा मरीज की हड्डी को सटीक सीधा किया जा सका तथा लाँग स्टेम के साथ जोड प्रत्यारोपण किया व उसी पैर के टिबीया फ्रेक्चर को प्लेटिंग द्वारा जोडा गया।
मेवाड में ही, मेवाड के, मेवाड हॉस्पीटल में विश्वस्तरीय चिकित्सकों द्वारा अवेक क्रेनोटोमी व इंडोस्कोपिक वेरिसील लीगेशन आदि अत्यन्त जटिल व क्रिटिकल सर्जरी में विशेषज्ञों की टीम के साथ महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है।
इसी सोच के साथ राजस्थान के ग्रामीण क्षेत्रें को उत्कृष्ट चिकित्सा व दक्ष चिकित्सकों के द्वारा उपलब्ध कराने हेतु राजस्थान में कस्बाई व शहरी क्षेत्रे में 12 मेवाड हॉस्पीटल कार्यरत है यही नहीं मध्य प्रदेश में भी 6 हॉस्पीटल को यही चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध करा रहे है।
डॉ. मनीष छापरवाल ने यह भी बताया कि मेवाड हॉस्पिटल राज्य सरकार की भामाशाह योजना के अन्तर्गत मान्यताव्याप्त हैं और अब तक इस योजना के अन्तर्गत बहुत सारे मरीजों का ईलाज किया जा चुका है।

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