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टूटन से भी सृजन संभव : प्रो. लोढा

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01 Mar 15
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उदयपुर । लोकतंत्र में शक्तियों का विकेन्द्री करण होना आवश्यनक है। यदि स्था्नीय शक्तियां राज्यद सरकार के हाथों में केन्द्रित रहीं तो जन भागीदारी को शासन से जोडना दुश्व र हो जाएगा। इसके लिए राज्य सरकार की शक्तियों में टूटन आवश्य क है तभी स्थारनीय शासन प्रभावी रूप से कार्य कर सकेगा।
ये विचार सुखाडिया विश्व विद्यालय के राजनीति विज्ञान विभाग के प्रोफेसर संजय लोढा ने आज यहां विद्याभवन रूरल इंस्टीजट्यूट के सभागार में संस्था न के राजनीति विज्ञान विभाग और भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद के संयुक्त तत्वायवधान में आयोजित ‘तृणमूल स्त्र पर विकास : मुद्दे और चुनौतियां’ विषयका दो दिवसीय राष्ट्री य संगोष्ठी के समापन अवसर पर मुख्यृ वक्ताज के रूप में व्यगक्त‍ किया । प्रो. लोढा ने स्थायनीय शासन के लाभों में जन भागीदारी, उत्तगर दायित्वरता और पारदर्शिता जैसी आंशिक उपलब्धियों को रेखांकित करते हुए बताया कि फण्ड।, फंक्श्न और फंक्शानरीज के संदर्भ में स्था,नीय निकायों को सशक्तस बनाने की आवश्यऔकता है।
कार्यक्रम की अध्य क्षता करते हुए प्रो. अरूण चतुर्वेदी ने स्था नीय शासन को स्वांयत्तर‍ बनाना आवश्यिक है अन्य था लोकतांत्रिक विकेन्द्रीककरण की अवधारणा केवल आदर्श बन कर रह जाएगी। उन्हों ने स्व यं सेवी संगठनों और जन सहभागिता के सम्मिलित प्रयास तृणमेल स्तकर के विकास का सूत्र बताया। कार्यक्रम के मुख्यउ अतिथि बडौदा विश्वीविद्यालय के राजनीति विज्ञान विभाग के अध्यणक्ष प्रो. पी. एम. पटेल थे। धन्यावाद ज्ञापन संगोष्ठी के संयोजक डा. मनोज राजगुरू ने किया एवं डा. सरस्वअती जोशी ने संगोष्ठीव का प्रतिवेदन प्रस्तुीत किया।
संगोष्ठी. के संयोजक डा. मनोज राजगुरू ने बताया कि समापन समारोह से पूर्व हुए दो तकनीकी सत्रों में मीडिया स्वियं सेवी संगठन तथा प्रशासनिक और वित्तीकय संदर्भ के तहत तृणमूल स्तगरीय विकास पर विभिन्न शोधपत्र प्रस्तुनत किए गए। दोनों सत्रों की अध्य क्षता प्रो. पी. एम. पटेल और डा. सी. आर. सुथार ने की।
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