उदयपुर । बाल मजदूरी में बच्चे का जीवन सिर्फ बाल श्रम में ही नही अपितु बाल शोषण, यौन हिंसा, उपेक्षा एवं दुर्व्यवहार से भी प्रभावित होता है। बाल श्रम का जहां सबसे बडा कारण गरिबी है वही एक कारण यह भी है कि ग्रामिण जनजाति क्षेत्र के लोग बाल श्रम से होने वाली हानियों से परिचित नहीं है। वे लोग शिक्षा की महत्ता को न समझकर अपने मासूम बच्चो को जाने-अनजाने बाल श्रम में संलग्न कर लेते है। इसी बात को ध्यान में रखकर गायत्री सेवा संस्थान द्वारा विश्व बाल श्रम निषेध दिवस पर संस्थान के कार्यक्षेत्र की प्रमुख तीन जिलो उदयपुर, प्रतापगढ एवं राजसमन्द में कुल १०१ ग्राम वास स्थानो पर “बाल श्रम की हानियाँ” विषय पर जनजागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए गए।
इस अवसर पर गायत्री सेवा संस्थान के संयुक्त निदेशक डॉ. शैलेन्द्र पण्ड्या ने जानकारी देते हुए बताया कि आज संस्थान द्वारा उदयपुर जिले के सराडा, गिर्वा एवं लसाडिया पंचायत समिति, प्रतापगढ जिले के छोटी सादडी एवं पिपलवुठ पंचायत समिति एवं राजसमन्द जिले के रेलमगरा पंचायत समिति में कुल १०१ जनजागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए गए। जिसमें संस्थान द्वारा संचालित निशुल्क बालिका शिक्षा केन्द्र (सखियो की बाडी) की बालिकाओं सहित स्थानिय जनप्रतिनिधी एवं ग्रामिण उपस्थित रहे। कार्यक्रम के अन्त में सभी ने अपने गांव म बाल श्रम न करवाने का संकल्प लिया।
इस अवसर पर बालिका शिक्षा कार्यक्रम के जिला परियोजना अधिकारी जिग्नेश दवे ने केन्द्र एवं राज्य सरकार द्वारा संचालित विभिन्न सामाजिक सुरक्षा योजनाओं की जानकारी देते हुए बताया कि संस्थान द्वारा प्रकाशित पोस्टर जिसमें सरल भाषा में बच्चो के सन्दर्भ की संयुक्त योजनाओं की जानकारी है उसे प्रत्येक गांव में जहां कार्यक्रम किए गए वितरित किया गया।
उदयपुर जिले की सराडा पंचायत समिति में ब्लॉक समन्वयक खेमराज पटेल, सलुम्बर में मुकेश शर्मा, लसाडिया में पुरणमल भाट, राजसमन्द जिले के रेलमगरा पंचायत समिति में योगेश सुखवाल एवं प्रतापगढ जिले में भेरूलाल भाट के मार्गदर्शन में कार्यक्रम सम्पन्न हुए।
जनजागरूकता कार्यक्रम में कुल ३०२५ लोगो ने संकल्प लेकर बाल श्रम न करवाने की बात कही।
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