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अब इंटरनेट की खेमेबंदी

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18 May 15
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इधर भारत में नेट न्यूट्रैलिटी का झमेला चल रहा है और उधर इंग्लैंड में इंटरनेट को खास किस्म से खेमेबंद करने की कोशिश चल रही है। यूरोपीय आयोग ने 'डिजिटल सिंगल मार्केट' नामक व्यवस्था कायम करने की बात चलाई है जिसके तहत यूरोप की तमाम ई-कॉमर्स कंपनियाँ एक समूह के रूप में काम करेंगी। इस व्यवस्था का हिस्सा बनने वाली 28 यूरोपीय देशों की ई-कॉमर्स कंपनियाँ एक बहुत शक्तिशाली समूह में तब्दील हो जाएंगी, जिसके सामने दूसरे देशों की ई-कॉमर्स कंपनियों का टिक पाना मुश्किल होगा। यह व्यवस्था यूरोपीय देशों के तो हित में है लेकिन स्वस्थ प्रतिस्पर्धा और इनोवेशन के खिलाफ है जिसके लिए इंटरनेट को जाना जाता है। दुनिया की तकनीकी कंपनियों के संगठन इन्फॉरमेशन टेक्नॉलॉजी इंडस्ट्री काउंसिल इस प्रस्ताव पर आग-बबूला है। उसने आगाह किया है कि इससे डिजिटल यूरोपीय किला तैयार होगा जो खुली इंटरनेट व्यवस्था को प्रभावित करेगा और अटलांटिक पार संबंध खराब होंगे। यह व्यवस्था खुद यूरोप में भी नए और छोटे खिलाड़ियों के सामने आने में रुकावट पैदा करेगी
अगर सोशल नेटवर्किंग या मैसेजिंग की बात करें तो भारत में फेसबुक का जोर है या फिर व्हाट्सएप का। लेकिन एक और सोशल वेबसाइट जो दुनिया भर के पेशेवरों के बीच लोकप्रिय है, वह है लिंक्ड इन, जो फेसबुक की लोकप्रियता के दौर में थोड़ी उपेक्षित हो गई है। यह नौकरीपेशा लोगों या कारोबारियों के लिए बेहद उपयोगी सोशल नेटवर्किंग प्लेटफॉर्म है लेकिन एक खास किस्म का मकसद होने के कारण आम-फहम उपभोक्ताओं को आकर्षित करने में नाकाम रही है। पिछले कुछ महीनों से लिंक्ड इन भारत में अपनी मौजूदगी मजबूत करने में जुटी है। नतीजा यह है कि देश में लिंक्ड इन उपभोक्ताओं की संख्या तीन करोड़़ के पार पहुंच गई है। बड़ी बात यह है कि उसके लिए भारत अमेरिका के बाद दूसरा सबसे बड़ा बाजार है। पूरी दुनिया में लिंक्डइन के उपयोक्ताओं की संख्या 36.4 करोड़़ है। कंपनी ने जब 2009 में भारत में परिचालन शुरू किया था जब उसके उपयोक्ताओं की संख्या 34 लाख थी।

इस बार घटी स्मार्टफोनों की बिक्री

क्या स्मार्टफोनों का भारतीय बाजार ठहराव-बिंदु की तरफ बढ़ रहा है? सन् 2015 की पहली तिमाही के नकारात्मक आंकडे़ तो यही संकेत देते हैं। भारत में आम तौर स्मार्टफोनों की बिक्री की खबर सकारात्मक ही होती है। इस बार स्थिति अलग है। साइबर मीडिया रिसर्च की रपट कहती है कि पहली तिमाही में इनकी बिक्री सात प्रतिशत घटकर 1.95 करोड़़ इकाई रह गई है। सिर्फ स्मार्टफोन ही क्यों फीचर फोन का समूचा बाजार ही प्रभावित हुआ है। देश में फीचर फोन समेत कुल मोबाइल हैंडसेट बाजार, जनवरी से मार्च की तिमाही में पिछली तिमाही के मुकाबले 15 प्रतिशत घटकर 5.3 करोड़़ इकाई रहा है। इससे पिछली तिमाही के आंकड़े बेहतर थे।

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