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रोहिंग्या करार दो साल के अंदर शरणार्थियों की वापसी पर लक्षित

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17 Jan 18
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यांगून, बांग्लादेश ने आज कहा कि सैन्य कार्वाईं के चलते विस्थापित हो कर शरणार्थी बने अल्पसंख्यक रोहिंग्या मुसलमानों की दो साल के अंदर स्वदेश वापसी पर उसकी और म्यांमा की सहमति हो गईं है। यह पहला मौका है जब शरणार्थी बने लाखों रोहिंग्या मुसलमानों की देश वापसी का ठोस समय तय किया गया है। वैसे, अब भ्री यह साफ नहीं है कि उनकी देश वापसी की शर्ते क्या होंगी।
यह करार म्यांमा की राजधानी न्यपीदाव में इस हफ्ते हुआ। यह तकरीबन साढ़े सात लाख रोहिंग्या मुसलमानों पर लागू होगा जिन्होंने 2016 अक्तूबर के बाद सैन्य कार्वाईं के चलते वतन छोड़ कर बांग्लादेश में पनाह ली थी।
बांग्लादेश सरकार ने एक बयान में बताया कि करार का लक्ष्य स्वदेश वापसी की शुरआत के दो साल के अंदर रोहिंग्या मुसलमानों को म्यांमा लौटाने पर लक्षित है।बयान में यह नहीं बताया गया है कि कब रोहिंग्या शरणार्थियों की वापसी की शुरआत होगी।उधर, म्यांमा सरकार ने कहा है कि वह 23 जनवरी से रोहिंग्या मुसलमानों के स्वागत करने के कार्यांम पर अमल कर रही है।इस करार के दायरे में तकरीबन दो लाख रोहिंग्या शरणार्थियों को शामिल नहीं किया गया है जो अक्तूबर 2016 से पहले से बांग्लादेश में रह रहे हैं। इन्हें सांप्रदायिक हिंसा और सैन्य कार्वाइयों के चलते म्यांमा से भागना और बांग्लादेश में शरण लेना पड़ा था। दोनों देश अंतत: उस फॉर्म पर सहमत हो गए जिन्हें रोहिंग्या शरणार्थियों को यह प्रमाणित करने के लिए भरना पड़ेगा कि वह रखाइन प्रांत के हैं। इस प्रांत में म्यांमा की सेना ने सैकड़ों रोहिंग्या गांवों में कथित रूप से सैन्य सफाईं अभियान चलाया। म्यांमा में बांग्लादेश के राजदूत मोहम्मद सफीउर रहमान ने बताया, हम आने वाले दिनों में यह प्रािया शुरू करने में सक्षम होंगे।
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