उदयपुर | जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ डिम्ड टू बी विवि के संघटक साहित्य संस्थान द्वारा पिछले 08 वर्षो के दौरान गिलुण्ड के समीप छतरीखेडा, जवासिया व पछमता से प्राप्त मृद भाण्डो, पूराविधियों, लघू अश्व उपकरणों का वैज्ञानिक तरीको से विश्लेषण किया तथा 300 से अधिक पुराविधियों को साहित्य संस्थान को नियमानुसार सौपी। प्रो.ललित पाण्डेय, डॉ. प्रबोध, डॉ. इशा प्रसाद, केनेसा स्टेट विवि , यूएसए की प्रोफेसर टेरेसा पिछले 15 दिनों से इस कार्य में लगे हुए थे। रिसर्च के समापन पर गुरूवार को सभी शोधार्थी कुलपति प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत , पीजीडीन प्रो. जीएम मेहता से वार्ता की ओर यह विश्वास व्यक्त किया कि भविष्य में भी दोने विवि का आपस में सम्बंध बना रहेगा। डॉ. पाण्डेय ने बताया कि छतरीखेडा में बसावट की नियमितता है आधुनीककाल, मध्यकाल, पूर्वमध्यकाल , पूर्वऐतिहासिक कालीन, ताम्र पाषाणकालीन बसावट के अवशेष मिले है। डॉ. टेरेसा रेकजेक ने बताया कि गिलुण्ड सभ्यता में नगरीकरण के साथ सूर्य पूजन, व्यापार , कृषि एवं मिटट्ी के बर्तनो की कलाकारी देखते ही बनती है।