GMCH STORIES

चिरस्थायी पर्यावरण की दिशा में एक कदम पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन

( Read 14167 Times)

05 Nov 19
Share |
Print This Page
चिरस्थायी पर्यावरण की दिशा में एक कदम पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन

पेसिफिक विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर अध्ययन विभाग व रसायन विज्ञान विभाग के संयुक्त तत्वधान में “ चिरस्थायी पर्यावरण की दिशा में एक कदम” एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया।जिसमें देश के विभिन्न राज्यों से लगभग 150 प्रतिभागियों ने उत्साह पूर्वक भाग लिया।संगोष्ठी का शुभारंभ मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन से किया गया। इस अवसर पर पेसिफिक विश्वविद्यालय के सचिव श्री राहुल अग्रवाल ने बताया कि पर्यावरण को समृद्ध किए बिना विकास करना मानव जीवन के अस्तित्व पर बहुत बड़ा संकट उत्पन्न कर देगा I

संगोष्ठी के मुख्य अतिथि प्रोफेसर एन. एस. राठौड़ (कुलपति, महाराणा प्रताप कृषि व तकनीकी विश्वविद्यालय ) ने बताया कि हम अपने दैनिक जीवन उपयोगी वस्तुओं द्वारा भी पर्यावरण को क्षति पहुंचा रहे हैं। उन्होंने बताया कि दिन प्रतिदिन हम विज्ञान के क्षेत्र में उन्नति कर रहे हैं किंतु पर्यावरण विकास उस गति से नहीं हो रहा है। उन्होंने अपने वक्तव्य में रोचक उदाहरणों द्वारा बताया कि सौर ऊर्जा के उपयोग द्वारा हम प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण कर पृथ्वी को प्रदूषण से बचा सकते हैं।

प्रोफेसर बी डी राय (कुलपति, पेसिफिक विश्वविद्यालय) ने बताया कि यदि हम सुधार व बदलाव चाहते हैं तो प्रारंभ से ही पर्यावरण क अनुकूल युक्तियों को उपयोग में लाना होगा।

इस अवसर पर प्रोफेसर हेमंत कोठारी (अधिष्ठाता, स्नातकोत्तर अध्ययन ) ने पेसिफिक विश्वविद्यालय द्वारा विज्ञान क्षेत्र में किए गए अनुसंधानो के बारे में विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि ‘क्वांटम डॉट्स’ शोध कार्य में विश्व विद्यालय को अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त हुई है।

प्रोफेसर एस. सी. आमेटा (प्रख्यात रसायनविद) ने बताया कि पृथ्वी के वातावरण को स्वच्छ रखना हमारा दायित्व है । उन्होंने बताया कि मनुष्य की बढ़ती महत्वाकांक्षाओं व भौतिक सुविधाओं के कारण प्राकृतिक संसाधनों का अंधाधुंध दोहन हो रहा है। जिससे आज के समाज को शुद्ध भोजन, शुद्ध वायु ,शुद्ध जल, प्रभावशाली दवाइयां अच्छा वातावरण नहीं मिल पा रहा है।यदि हम हमारी आने वाली पीढ़ी को स्वच्छ व शुद्ध पर्यावरण देना चाहते हैं तो हमें एक प्रभावशाली कदम उठाने की अति आवश्यकता है।

डॉ नीतू शोरगर (संगोष्ठी संयोजक) ने बताया कि हमारी पृथ्वी पर शताब्दियों से जल, वायु व ध्वनि प्रदूषण हो रहा है जिसका मुख्य कारण बढ़ते हुए उद्योग, परिवहन कृषि व जनसंख्या है।उन्होंने बताया कि सभी अवशिष्ट पदार्थों का पुनर्चक्रण व पुनःउपयोग होना बहुत आवश्यक है अन्यथा शुद्ध जल व स्वच्छ वायु का इतना अभाव हो जाएगा कि पृथ्वी पर जीवन असंभव हो जाएगा।

प्रोफेसर रामेश्वर आमेटा (अधिष्ठाता विज्ञान महाविद्यालय) ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

इस राष्ट्रीय संगोष्ठी के तकनीकी सत्रों में पर्यावरण के सभी आयामों पर 25 प्रतिभागियों ने मौखिक पत्र वाचन तथा लगभग 100 प्रतिभागियों ने पोस्टर प्रस्तुतियां दी। डॉ सतीश आमेटा ने अपने शोध पत्र वाचन में बताया कि रासायनिक खाद के विकल्प के रूप में गाजर घास से बनी इको फ्रेंडली खाद का विभिन्न फसलों पर सकारात्मक प्रभाव के साथ प्रयोग किया जा सकता है। समापन सत्र में मौखिक पत्र वाचन तथा पोस्टर प्रस्तुतीकरण हेतु पुरस्कार वितरित किए गए। जिनमें प्रथम स्थान यासमीन अहमद, द्वितीय स्थान डॉ सतीश आमेटा व कहकशा अंसारी रहे।

पोस्टर प्रस्तुतीकरण में प्रथम स्थान पर जयेश भट्ट व मेघावी गुप्ता द्वितीय स्थान पर योगेश्वरी व्यास एवं तृतीय स्थान पर नेहा कपूर व रीमा अग्रवाल रहे। चिकित्सालयों में व्याप्त कीटाणुओं के संक्रमण को दूर करने के लिए प्रभावी प्रबंधन की प्रस्तुति हेतु अंकिता सिंघवी को विशेष पुरस्कार प्रदान किया गया

अंत में डॉक्टर गजेंद्र पुरोहित (निदेशक, पेसिफिक विज्ञान महाविद्यालय) ने धन्यवाद ज्ञापित किया। संगोष्ठी का संचालन डॉ शालू दाधीच ने किया तथा उपरोक्त जानकारी डॉ नीतू अग्रवाल व डॉ अभिषेक सक्सेना द्वारा दी गई।


Source :
This Article/News is also avaliable in following categories : Udaipur News
Your Comments ! Share Your Openion

You May Like