उदयपुर जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ (डीम्ड) विश्वविद्यालय के सघठक विधि महाविद्यालय में सूचना के अधिकार दिवस पर आयोजित परिचर्चा में प्राचार्या डाॅ कला मुणेत ने कहा कि 1950 में जब संविधान बना तो अनुछेद 19 ;1द्ध क में जानने का अधिकार दिया गया लेकिन सुप्रिम कोर्ट उच्च न्यायालय से जानकारी प्राप्त करनी होती थी इस लिए यह बहुत महंगा पडता था लम्बे समय से सरकार मे पारदर्षीता लाने की कोषीष की जा रही थी 2005 अधिनियम लाकर सरकारी कार्यलयों से सुचना प्राप्त करने का अधिकार सिर्फ भारतीय नागरिको को राहत प्रदान करता है पो. एस एन व्यास प्रतिक जागिंड़ ने भी विचार व्यक्त किए संचालन व्याख्याता मीता चैधरी ने किया और धन्यवाद कीर्ति डांगी दिया विधि के विद्यार्थिओं मे अपने प्रषनो के उतर भी प्राप्त कीये।