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सम्पूर्ण परिग्रह का त्याग ही उत्तम आकिंचन धर्म हैः मुनिश्री धर्मभूशणजी

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23 Sep 18
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सम्पूर्ण परिग्रह का त्याग ही उत्तम आकिंचन धर्म हैः मुनिश्री धर्मभूशणजी उदयपुर, सकल दिगम्बर जैन समाज के दस दिवसीय पर्यूशण महापर्व का नौंवां दिन हूम़ड़ भवन में उत्तम अकिंचन धर्म दिवस के रूप में मनाया गया। प्रातःकाल श्रीजी का अभिशेक एवं षांतिधारा हुई। षांतिधारा का पुण्यलाभ षांतिलाल विजयलाल वेलावत ने प्राप्त किया। राजा चक्रवर्ती का सौभाग्य पारस- रेखा चित्तौड़ा ने प्राप्त किया। सायंकाल आरती का सौभाग्य पारस चित्तौड़ा परिवार ने प्राप्त किया।
सकल दिगम्बर जैन समाज के अध्यक्ष षांतिलाल वेलावत ने बताया कि श्रीजी की षोभा यात्रा धानमंडी से साढ़े तीन बजे से गणगोर घाट कलष भरने के लिए जाएगी। जिसमें सकल दिगम्बर जैन समाज के सभी मन्दिर के ट्रस्टी अध्यक्ष नव जल श्रीजी पर षांतिधारा प्रक्षालन करेंगे।
इस अवसर पर हुई धर्मसभा में मुनिश्री धर्मभूशणजी महाराज ने कहा कि अकिंचन उस दषा का नाम है जहां पर बाहरी तो सब कुछ छूट जाता है साथ ही आन्तरिक संकल्प विकल्प भी षांत हो जाते हैं।
मुनिश्री ने कहा कि सम्पूर्ण परिग्रह क त्याग करना ही उत्तम आकिंचन धर्म है। स्वयं से विरक्त होना उत्तम आकिंचन धर्म है। अपनी आत्मा में रमण करना, ध्यान साधना में मन को लगाना आकिंचन धर्म है। मन को विकल्पों को रोकना, असक्ति को हटाना, बाहरी भोगों से विरक्त होना उत्तम आकिंचन धर्म है। धर्म साधना से धर्म आराधना से अपे जीवन का मूल्य जानना ओर उत्तम आकिंचन धर्म के गुणों को अपने जीवन में ग्रहण करो और अपनाआत्म कल्याण करो।
आकिंचन्य धर्मधारी आत्मानन्द रूपी रस में लीन हुआ बाह्य जगत के सांसारिक वातावरण से एकदम पृथक रहता है। ऐसे जीव के पास कुछ न होकर भी सब कुछ होता है। वह परम सुख को प्राप्त करता है। इसलिए उत्तम आत्मकिंचन धर्म चित्त को निर्मल और उदार बनाता है। दे हके प्रति रा छुड़ाता है। सांसारिक सुखों से विरक्ति दिलाता है एवं यथालब्ध में खुष रखता है। आकिंचन हमारीी आत्मा की षक्ति को बढ़ाता है।
महामंत्री सुरेष पदमावत ने बताया कि रविवार को उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म दिवस मनाया जाएगा। षाम को आरती के पष्चात भक्ति डांडिया गरबा नृृत्य महिलाओं- पुरूशों द्वारा किया गया।
मंजू गदावत ने बताया कि सायंकाल 6 बजे श्रावक प्रतिक्रमण, 6-30 बजे गुरू भक्ति एवं मंगल आरती हुई। मंजू गदावत ने बताया कि जैन जागृृति महिला मंच के तत्वावधान में सायं 7 बजे से भव्य भक्ति संध्या हुई। चारित्र षुद्धि विधान प्रतिश्ठाचार्य अखिलेषजी षास्त्री के सानिध्य में हुआ। 10 उपवास करने वाले तपस्वियों का दस लक्षण विधान दिन में किया गया। इनका सामूहिक पारणा हुमड़ भवन में 24 सितम्बर को प्रातः 9 बजे किया जाएगा।

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