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गाइडों को बताई मेवाड की आर्ष रामायण का महत्व

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24 Apr 18
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गाइडों को बताई मेवाड की आर्ष रामायण का महत्व विश्व विरासत दिवस मनाने के क्रम में सोमवार को यहां सिटी पैलेस स्थित महाराणा मेवाड चेरिटेबल फाउण्डेशन उदयपुर के कांफ्रेंस हॉल में शहर की ऐतिहासिक एवं प्राचीन धरोहर के संवर्द्धन, संरक्षण के उद्देश्य से किए जा रहे विभिन्न कार्यों की जानकारी पर्यटकों को मिलें इस बाबत स्थानीय गाइडों के लिए विशेष कार्यशाला आयोजित की गई।
कार्यशाला में विषय विशेषज्ञ डॉ. मनोहर श्रीमाली ने मेवाड में चित्रित आर्ष रामायण पर जानकारियां दी। उन्होंने बताया कि आर्ष अर्थात् ऋषि कृत वाल्मिकी की जानकारी दी गई। जिसमें उन्होंने बताया कि महाराणा जगतसिंह प्रथम के कार्यकाल में उदयपुर शहर में शहर के बीचोंबीच भव्य जगदीश मंदिर एवं वाल्मीकि द्वारा रचित महाकाव्य, जिसे आर्ष रामायण का नाम दिया गया है, का मेवाडी शैली में चित्रण शुरू किया गया। इस अभियोजन में करीब आठ ग्रंथ एवं साढे चार सौ से अधिक चित्रों का समागम किया गया। वर्तमान में यह चित्र ब्रिटिश म्यूजियम एवं प्राच्य शिक्षण संस्थान जोधपुर में संग्रहित है। उस समय इन चित्रों को दरबारी चित्र शैली के माध्यम से पूर्ण किया गया था। डॉ. श्रीमाली ने मेवाड की इस विशिष्ठ चित्र कला पर बखूबी व्याख्यान दिया। इस अवसर पर शहर के अनेक गाईड एवं फाउण्डेशन के अधिकारी उपस्थित थे।
इन्होंने लिया भागः सोमवार को आयोजित कार्यशाला में अनूप अधिकारी, अरूण भाटी, अशोक सिंह मकवाना, अशरफ खान परवेज, अभय सिंह सोलंकी, अभिजीत सिंह राठौड, अजय सिंह चौहान, आकाश टिक्कू, अक्षय सिंह राव, आनन्द स्वरूप शर्मा, अरूण आचार्य, अरविन्द सिंह शक्तावत, अशोक अधिकारी, अतुल गोधा, अयाज मोहम्मद शेख, अरविन्द सिंह राठौड, भंवर सिंह राजपूत, भोलेन्द्र सिंह चुण्डावत, भूपेन्द्र सिंह धाबाई, भूपेन्द्र सिंह हाडा, भुवनेश्वर सिंह तंवर, चन्द्र प्रकाश भट्ट, चतर सिंह चौहान, चंचल सिंह चुण्डावत, दशरथ सिंह झाला, दिनेश गौड, कमल सिंह राणावत, प्रवीण सिंह भाटी, वीरेन्द्र सिंह चौहान, दिलीप परिहार, रणजीत सिंह राठौड एवं शक्ति सिंह शक्तावत ने भाग लिया।

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