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संकोच छोड़ समाज को दिशा देने आगे आएं इंटेलेक्चुअल्स - प्रो. सिंहल 

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18 Apr 19
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संकोच छोड़ समाज को दिशा देने आगे आएं इंटेलेक्चुअल्स - प्रो. सिंहल 

उदयपुर,  वर्तमान में चल रही बहस विचारधाराओं का युद्ध है। समाज को दिशा देने का काम बुद्धिजीवियों का है और उसे सारे संकोच छोड़ते हुए अधिकारिता के साथ राष्ट्रवाद तथा राष्ट्र प्रथम के भाव को स्थापित करना होगा। देश की चिंता करने वाले लोगों को चुनना होगा। हमें नया नैरेटिव प्रतिस्थापित करना होगा। 

यह बात राजस्थान विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. जे.पी. सिंघल ने मंगलवार को यहां मंगलम् वाटिका में ग्रुप आॅफ इंटेलेक्चुअल्स की ओर से आयोजित विचार गोष्ठी में कही। उन्होंने कहा कि इस बार लोकसभा का चुनाव देश के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। यह चुनाव नकारात्मक ताकतों और राष्ट्रवादियों के बीच हो रहा है। नकारात्मक ताकतें चाहती हैं कि चुनाव के माध्यम से देश पर कब्जा कर लिया जाए और फिर देश को तोड़ने और कमजोर करने की साजिश हो। उन्होंने कहा कि हमें अपने वोट का सही इस्तेमाल कर नकारात्मक ताकतों को नष्ट करना चाहिए। आज देश में ऐसे राष्ट्रवादियों की जरूरत है जो कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाएं और चार लाख कश्मीरी पंडितों को दोबारा से घाटी में अपने घरों में बसाएं। यदि इस काम में पाकिस्तान कोई अड़चन डालता है तो देश की सरकार को पाकिस्तान को भी मुंह तोड़ जवाब देना चाहिए। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्रशंसा करते हुए कहा कि भारतीय सेना ने 80 किलोमीटर पाकिस्तान में घुसकर जो एयर स्ट्राइक की उसका लोहा दुनिया ने माना है। आज हमारी सेना की ताकत दुनियाभर में उभर कर सामने आई है। इसे सरकार की दृढ़ इच्छा शक्ति ही कहा जाएगा कि अंतरिक्ष में एंटी सैटेलाइट मिसाइल का भी सफल परीक्षण कर लिया गया है। उन्होंने कहा कि देशवासियों को अधिक से अधिक मतदान करना चाहिए। जो लोग आज सबूत मांग कर सेना का मनोबल गिरा रहे हैं उन्हें भी सबक सिखाने की जरूरत है। 

उन्होंने कहा कि अब राष्ट्रवाद, राष्ट्रहित, राष्ट्रप्रेम, राष्ट्रीय विचार, राष्ट्रीय मूल्यों को प्रतिस्थापित करने का महत्वपूर्ण दायित्व बुद्धिजीवी वर्ग का है। देश में दो विचार चल रहे हैं एक राष्ट्र विरोध के विचार वाले तथाकथित बुद्धिजीवी लोग हैं जो इस देश को गौरव देने के प्रतिमानों पर प्रश्नवाचक चिह्न लगाते हैं तो दूसरी ओर राष्ट्रीय विचारों वाला बुद्धिजीवी वर्ग है जिसे राष्ट्र से प्रेम है, जो राष्ट्रीय मूल्यों का संहावक है तथा उसे राष्ट्रीय सांस्कृति पर गर्व है। ऐसे में बुद्धिजीवी वर्ग को संघठित होकर राष्ट्रविरोधी ताकतों को कमजोर करने का संकल्प करना होगा। 

गोष्ठी में बालूदान बारहठ ने कहा कि विदेशी ताकतों का वर्तमान चुनाव में पश्चिम बंगाल में तृण मूल कांग्रेस का प्रचार करते पाया जाना, यह देश के लिए बहुत खतरनाक है। राष्ट्र की संस्कृति पर संकट है। राष्ट्रविरोधी और टुकड़े टुकड़े गैंग नया नैरेटिव रच रहे हैं। टुकड़े टुकड़े गैंग के चेहरे कन्हैया कुमार का कम्युनिस्ट पार्टी से चुनाव लड़ना तथा देश की प्रमुख राजनितिक पार्टी कांग्रेस, राजद, इत्यादि का चुप रहना बहुत ही खतरनाक प्रवृत्ति है। इनका देश के प्रमुख समाचार तंत्र, शिक्षा तन्त्र प्रशासनिक तंत्र पर कब्जा है। ऐसे दलों के चाल चरित्र तथा चेहरे को ताकत से उजागर करने की आवश्यकता है। 

साहित्य अकादमी के पूर्व अध्यक्ष डाॅ. देव कोठारी ने कहा कि देश की बहुत सी समस्याएं प्रथम प्रधानमन्त्री की देन है। यशोदा दशोरा ने कहा कि देश में अनुशासनहीनता बढ़ रही है। मूल्यों को ह्रास हो रहा है। आंदोलनों में देश की संपत्ति का नुकसान पहुंचाते हैं। छात्रों को एनसीसी से जोड़ना चाहिए। 

गोविन्द गुरु जनजातीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. कैलाश सोडाणी ने कहा कि प्रजातंत्र वोट से जीवित है तथा अधिक से अधिक मतदान होना चाहिए। हम भी निकलें और पड़ोसी को भी साथ लेकर निकलें, यही संकल्प होना चाहिए। बांसवाड़ा में विधानसभा चुनाव में 82 प्रतिशत मतदान हुआ, जबकि उदयपुर शहर में कम रहा।

बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष रामकृपा शर्मा ने कहा कि 100 लोगों से संपर्क कर उन्हें मतदान के लिए प्रेरित करें। वनवासी कल्याण आश्रम की राधिका लड्ढा ने कहा कि राष्ट्र प्रथम के भाव को ध्यान में रख कर मतदान करने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए। 

ग्रुप आॅफ इंटेलेक्चुअल्स के अध्यक्ष दामोदर श्रीमाल व सचिव ललित इंद्रावत ने सभी का आभार व्यक्त किया। 


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