उदयपुर महाराणा संग्राम सिंह-प्रथम की ५३७वीं जयंती के अवसर पर महाराणा मेवाड चैरिटेबल फाउण्डेषन, उदयपुर की ओर से ऐतिहासिक दुर्ग चित्तौडगढ के कुम्भा महल, कुम्भलगढ के अस्तबल, अजमेर के राजकीय संग्रहालय तथा उदयपुर के सिटी पेलेस म्यूजियम व मोती मगरी के वीर भवन में प्रदर्शनी प्रदर्शित की गई है। प्रदर्शनी में महाराणा संग्राम सिंह के जीवनकाल से जुडे ऐतिहासिक चित्रों व जानकारियाँ दी गई हैं। इस प्रदर्शनी का शीर्षक ’स्वतंत्रता के ध्वजधारक मेवाड कुल गौरव महाराणा संग्राम सिंह‘ है। इस वर्ष राणा सांगा की जयंती वैशाख कृष्ण नवमी, रविवार २८ अप्रेल २०१९ के दिन मनाई जावेगी।
मेवाड के वीर योद्धा महाराणा संग्रामसिंह जी का जन्म वैशाख कृष्ण की नवमी, विक्रम संवत् १५३९ को शुभ नक्षत्र में हुआ था। उनका शासनकाल १५०९-१५२८ ई. तक रहा। मध्यकालीन भारत में राजपूताना के शक्तिशाली शासक एवं योद्धा, महाराणा संग्रामसिंह का परिचय उनके शरीर पर रणक्षेत्र में मिले ८० घावों से जाना जाता है। मुगल बादशाह बाबर ने स्वयं तुजुक-ए-बाबरी में भारत भूमि के शक्तिशाली हिन्दु शासक के रूप में मेवाड के महाराणा संग्राम सिंह का उल्लेख किया है, जो मुगल आंधी को रोकने में सक्षम थे। प्रदर्शित
महाराणा मेवाड चैरिटेबल फाउण्डेषन, उदयपुर के प्रशासनिक अधिकारी भूपेन्द्र सिंह आउवा ने बताया कि फाउण्डेशन की आउटरिच गतिविधियों का उद्देश्य वर्ष में मेवाड के महाराणाओं और उनके द्वारा जन एवं राज्यहितार्थ में किये गये कार्यों तथा उनके काल की ऐतिहासिक घटनाओं से मेवाड में आने वाले देशी-विदेशी पर्यटकों के साथ ही स्थानीय लोगों एवं विद्यार्थियों को भी रू-ब-रू करवाना है।
यह प्रदर्शनी १५ अप्रेल से १५ मई २०१९ तक उक्त सभी पर्यटन स्थलों पर एक माह तक निरंतर रहेगी।