उदयपुर । बिना आत्मज्ञान के परमात्मा की प्राप्ति संभव नहीं है। आत्मज्ञान का अर्थ है, संसार में अपने जन्म को सार्थक करने की दिशा में सतत् जागरुक रहते हुए परोपकार के लिए समर्पित रहना। यह बात नारायण सेवा संस्थान के बडी स्थित सेवा महातीर्थ में ’श्रीराम-कृष्ण अवतार कथा‘ व अपनों से अपनी बात कार्यक्रम में मंगलवार को व्यासपीठ से कैलाश मानव ने कही। उन्होंने कहा कि परमात्मा स्वंय भी व्यक्ति को अपने कर्म का स्मरण दिलाने के लिए सदा ज्ञान गीता के साथ सारथी रुप में तत्पर रहते हैं। उन्होंने कहा कि प्राणी मात्र को अपने धर्म व कर्म को भूलना नहीं चाहिए। अगर व्यक्ति धर्म भूलेगा तो अपने कर्म से विमुख हो जाएगा। धर्म की स्थापना के लिए धर्म से बडा संसार में कोई और कर्म नहीं है। कार्यक्रम का सीधा प्रसारण आस्था चैनल पर हुआ। संचालन महिम जैन ने किया।