GMCH STORIES

शिक्षा में साहित्य एवं नैतिकता का स्थान‘‘ विषयक पर हुआ व्याख्यान

( Read 4425 Times)

13 Jan 19
Share |
Print This Page
शिक्षा में साहित्य एवं नैतिकता का स्थान‘‘ विषयक पर हुआ व्याख्यान

भौतिक शिक्षा के साथ-साथ नैतिक शिक्षा भी जरूरी - प्रो. योगानंद शास्त्री

 

उदयपुर १२ जनवरी/ भारतीय संस्कृति विश्व की सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है क्योकि इसमें नैतिक एवं मानवीय मूल्यों को बडा महत्व दिया गया है। संस्कारो से ही श्रेष्ठ संस्कृति का निर्माण होता है। विधार्थियों के सर्वांगीण विकास के लिए भौतिक शिक्षा के साथ साथ नैतिक शिक्षा की भी आवश्यकता है। नैतिक शिक्षा से सर्वांगीण विकास संभव है। प्राचीन काल म तक्षशीला, नालंदा , गुरू कुल कांगणी, बनारस विवि इसका जीता जागता उदाहरण है अवसर था शनिवार को जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ डीम्ड टू बी विश्वविद्यालय का ३२ वे स्थापना दिवस पर दिल्ली विधानसभा के पूर्व विधानसभा अध्यक्ष डॉ. योगानन्द शास्त्री ने बतौर मुख्य अतिथि कही। प्रारंभ में कुलपति प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि राष्ट्र की शैक्षिक सामाजिक सास्कृतिक चेतना में विद्यापीठ अपनी भूमिका को निरंतर सकि्रय बनाये हुए है, सामने आने वाली चुनौतियों का सामना करना हम अपनी मजबूती से अपना कदम आगे बढा रहे है आज का दिन हमारे लिए अपने सामाजिक दायित्व को पूर्ण भाषित करने का है जिन मूल्येां और उद्ेश्यों के लिए विद्यापीठ जैसी संस्थाओं का निर्माण हुआ है। अतिमुख्य अतिथि केन्द्रीय विश्वविद्यालय हरियाणा के संस्थापक कुलपति प्रो. मूलचंद शर्मा ने कहा नैतिक मूल्यों को जीवन में धारण करने की प्रेरणा देना आज की आवश्यकता है। ज्ञान की व्याख्या करते हुए उन्होने कहा कि जो शिक्षा विधार्थियों को अंधकार से प्रकाश की ओर असत्य से सत्य की ओर बंधनो से मुक्ति की ओर ले जाये वही शिक्षा है। उन्होने कहा कि हमारे मूल्य हमारी विरासत है। मूल्य की संस्कृति के कारण हमारी विश्वभर में पहचान है। अध्यक्षता करते हुए कुलाधिपति एच.सी. पारीख ने कहा कि स्थापना दिवस हमारे लिए आत्म चिंतन का अवसर है यह दिवस बिते दिनों में किए गए कार्यो के मूल्यांकन और दायित्वों का बोध एक साथ कराने का ह। क्यों कि अच्छे समाज को बनाने की जिम्मेदारी शिक्षा की है। विशिष्ट अतिथि कुल प्रमुख भंवरलाल गुर्जर ने कहा कि विद्यापीठ समग्र ग्रामीण समुदाय के उत्थान के लिए कार्य कर रही है। जो कि संस्थापक जन्नु भाई का सपना था। उन्होंने कहा कि विद्यापीठ की नई पीढी को संकल्प के साथ ग्रामीण क्षेत्रों में सामुदायिक शिक्षा का कार्य करना है। दिल्ली के पूर्व विधायक विनय शर्मा ने भी अपने विचार व्यक्त किए। प्रारम्भ में संस्थापक जन्नुभाई की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर संस्था गीत का की प्रस्तुति दी गई। संचालन डॉ. अमि राठौड ने किया धन्यवाद कुलप्रमुख बी.एल. गुर्जर ने किया। समारोह में सभी विभागों के विभागाध्यक्ष, डीन व डायरेक्टर सहित आदि तमाम कार्यकर्ता उपस्थित थे।


Source :
This Article/News is also avaliable in following categories : Udaipur News
Your Comments ! Share Your Openion

You May Like